कोलारस। डिलीवरी के लिए दो साथी महिलाओं के संग प्रसूता सामुदायिक अस्पताल कोलारस पहुंची। किसी ने भर्ती नहीं किया तो मजबूरी में जमीन पर गोदड़ी (कथरी) बिछाकर लिटा दिया। भर्ती होने के इंतजार में करीब 3 घंटे तक प्रसूता जमीन पर पड़ी रही। परिजनों ने परिचितों से संपर्क भर्ती कराने की गुहार लगाई। 3 घंटे बाद प्रसूता की सुध ली, तब जाकर अस्पताल में भर्ती हो सकी। अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि हादसे में घायल 15 महिला मजदूरों के इलाज में स्टाफ व्यस्त था।
जानकारी के मुताबिक ग्राम खरैह निवासी प्रसूता रीना आदिवासी उम्र 19 साल पत्नी रामगोपाल आदिवासी को दो साथी महिलाएं बुधवार की सुबह 7 बजे कोलारस अस्पताल भर्ती कराने पहुंची। अस्पताल स्टाफ ने रीना को भर्ती नहीं किया तो महिलाओं ने बिल्डिंग के बाहर जमीन पर ही प्रसूता रीना आदिवासी को लिटा दिया और भर्ती होने का इंतजार करती रहीं।
काफी देर तक अस्पताल के स्टाफ ने सुध नहीं ली तो परिजनों ने अपने परिचितों से फोन पर संपर्क किया। काफी मशक्कत के बाद अस्पताल स्टाफ पहुंचा और तीन घंटे बाद सुबह 10 बजे रीना आदिवासी की सुध लेकर अस्पताल में भर्ती किया। लेकिन फर्श पर लेटी प्रसूता की बेकद्री ने कोलारस अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। अस्पताल प्रबंधन का सफाई में कहना है कि शाम को लोडिंग ऑटो पलटने से 15 महिला मजदूर घायल हो गई थीं। मजदूरों के इंतजार में स्टाफ व्यस्त रहा।
पूरा मामला मेरे संज्ञान में है। पहले पीडिता रीना आदिवासी शिवपुरी जिला अस्पताल प्रसव के लिए चली गई थी। वहां उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके चलते वह कोलारस अस्पताल लौट आई। मुझे इस विषय में जानकारी नहीं है कि वह जमीन पर पड़ी रही। हमारे यहां स्टाफ की भी काफी कमी है। फोरलेन हाइवे पर हुए हादसे के कारण पूरा स्टाफ घायलों के इलाज में व्यस्त था। हो सकता है उसके चलते रीना आदिवासी पर किसी का ध्यान न गया हो। - डॉ. आशीष श्रीवास्तव, सीबीएमओ, सामुदायिक अस्पताल कोलारस