SHIVPURI NEWS - बाघों के साथ बना गिद्धों का घर, 400 प्रतिशत की वृद्धि की है प्रकृति मित्र ने

Bhopal Samachar

शिवपुरी। गिद्ध हमारे पारिस्थितिक तंत्र में एक बड़े सफाई कर्मी के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गिद्ध बडे की कुशल सफाई कर्मी होते है मृत जानवर के अवशेषों की सफाई करते है,जिससे प्रकृति में बीमारी देने वाले बैक्टीरिया का जन्म ना हो सके,शिवपुरी जिले के जंगल अब बाघों के घर के सााि गिद्धों का भी घर बन चुका है। फरवरी माह में हुई गिद्धों की गणना में गिद्धों की संख्या मे 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह इस कारण हुआ है कि बाघों के आने से जंगल में गिद्धों को पर्याप्त भोजन मिल रहा है और जंगल मे मानव समुदाय का भी दखल कम हुआ है।

माधव नेशनल पार्क में करीब दो साल पहले टाइगर आए हैं। चूंकि टाइगर शिकार करते हैं और उनके भोजन के बाद जानवरों के जो मृत अवशेष बच जाते हैं, उनको खाने के लिए गिद्ध आते हैं। पहले शिवपुरी में गिद्धों की संया में इतने बड़े स्तर पर बढ़ोतरी नहीं होती थी, लेकिन जब से पार्क में टाइगर आए तो एकाएक गिद्धों की संख्या में बड़े स्तर पर संख्या बढ़ी है। यह शिवपुरी जिले के पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है।

वन मंडल के डीएफओ सुंधाशु यादव व नेशनल पार्क की डीएफओ प्रियांशी सिंह ने बताया कि जिले भर में 17, 15 व 19 फरवरी को हर यथा संभव स्थानों पर गिद्धों की गणना का काम किया गया। इनमें कई प्रजाति के गिद्ध मिले हैं। पिछली बार इनकी संया महज 161 थी जो कि इस बार बढ़कर 607 पर पहुंच गई है। यह पर्यावरण संतुलन के लिए अच्छी खबर है। जिले में वन अमले ने जो गिनती की उनमें अधिकांश गिद्ध देशी, राज, सफेद है, जबकि नेशनल पार्क की सीमा में जो गिद्ध मिले हैं, उनमें देशी गिद्ध, यूरोशियन व राज गिद्ध शामिल हैं।

ऊंचे पेड़ों पर रहते हैं गिद्ध

गिनती के बाद जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें माधव नेशनल पार्क में इस बार 144 जबकि सामान्य वन मंडल में यह संया 463 है। जानकारों की मानें तो गिद्ध जंगल के प्राकृतिक सफाईकर्मी होते हैं। यह मृत मवेशियों के शवों को खाकर तमाम तरीके की बीमारियों के फैलने की संभावना को कम करते हैं। गिद्धों की नजर बहुत तेज होती है। इस कारण से वह काफी ऊंचाई से उड़ते हुए भी जमीन पर पड़े मृत मवेशियों को देख लेते है और फिर उसे अपना भोजन बना लेते हैं।

गिद्ध अधिक ऊंचे पेड़ों और कठोर चट्टानों के बीच बसेरा या घोंसला बनाकर अंडे देते हैं। इस बार जो तेजी से गिद्ध बढ़े हैं, इसे वन विभाग शुभ संकेत मानकर चल रहा है। पिछले कुछ सालों में गिद्धों की संया में काफी गिरावट हो गई थी, बल्कि कई क्षेत्रों में तो यह प्रजाति पूरी तरह से लुप्त हो गई थी।

गिद्ध क्यों हैं जरूरी

गिद्ध हमारे पारिस्थितिक तंत्र में एक बड़े सफाई कर्मी के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसा माना जाता है कि गिद्धों का पाचन तंत्र बहुत मजबूत होता है। जिसके चलते शवों में पलते हुए रोगजनक बैक्टीरिया व फफूंदी को आसानी से पचा लेते हैं. इसके साथ ही ये एंथ्रोक्स, फुट एंड माउथ व रेबीज जैसी महामारियों को पैदा करने वाले कीटाणु को भी खत्म कर देते हैं।

अगर प्रकृति में यह सफाई कर्मी पक्षी ना हो तो पूरे विश्व में हड्डियों के अवशेष, मरे हुए जानवरों का सड़ा बदबू मारता मांस और अन्य कायिक अंगों का अंबार लग जाएगा. वास्तव में देखा जाए तो गिद्ध नेचर के अपशिष्टों को नष्ट करने वाले एक अच्छे सिपाही हैं, ये मानव समुदाय के परम सेवक हैं. साथ ही स्वास्थ्य आर्थिक गतिविधियों और पर्यावरण के पोषक भी हैं।

पिछली बार की तुलना में गिद्धों की संख्या बढ़ी है। अभी हमारे स्टाफ ने तीन दिन लगातार गिद्धों की गणना की है। इसके बाद यह वृद्धि सामने आई है। पिछले कुछ सालों से गिद्धों की संया बढ़ती जा रही है और यह पर्यावरण के लिए अच्छी बात है। प्रियांशी सिंह, डीएफओ