शिवपुरी। स्वतंत्रता दिवस के 2 दिन शेष बचे है,भारतीय जनता पार्टी का हर घर तिरंगा अभियान शुरू हो चुका हैं,वही तिरंगा यात्रा भी शुरू हो चुकी है,देश आजादी के जश्न मे डूबा है यह नारा भी याद आने लगा है जय जवान जय किसान,लेकिन शिवपुरी जिले के वर्तमान परिदृश्य में देखे तो जय जवान और रोता किसान दिख रहा है। जिले में अतिवृष्टि की मार झेल चुका किसान यूरिया के अभाव में अब अपनी फसलो को जोतना शुरू कर दिया है।
कोलारस में बाढ़ की त्रासदी और खाद की कमी के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह से खराव हो गई हैं। हालात यह हो गए हैं बाढ़ के कारण खराब हुई फसल को बचाने के लिए इस समय किसानों को यूरिया की आवश्यता है, परंतु किसानों को यूरिया भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में किसानों की फसल खेत में पूरी तरह खराब हो गई है। इस स्थिति में किसानों ने जिस फसल की बड़ी मेहनत के साथ खेत में लगाया था, उसी पर अब ट्रैक्टर चलाकर मजबूरी में उसकी जुताई कर रहा है।
बताया जा सा है कि जिले में अभी तक एक सैकड़ा से अधिक किसानों ने फसल का बीज या पौध सड़ जाने और समय पर खाद नहीं मिल पाने के कारण खेतों में जुताई कर दी है। किसानों के अनुसर खाद के अभाव में फसल तो होनी नहीं है। अगर इसे जोत कर हम खेत अगली फसल के लिए तैयार नहीं करेंगे तो इस बार का नुकसान तो हो ही चुका है, अगली फसल भी हम नहीं ले पाएंगे।
खास बात यह है कि खेतों की जुताईकरने से पहले किसानों ने राजस्व विभाग के पटवारियों से फसल के नुकसान का सर्वे करने की बात कही तो पटवारियों ने यह कहते हुए सर्वे करने से इंकार कर दिया कि उनहें अभी सर्वे के आदेश नहीं हैं। यहीं शासन कुछ दिन पहले ही सर्वे के आदेश जारी कर चुका है।
181 पर शिकायत के बाद भी नहीं हुआ सर्वे
ग्राम अलावदी निवासी किसान रघुराज सिंह यादव की मानें तो उसके 20 बीघा के खेत में बोई हुई मक्का बाढ़ के कारण खराब हो गई। डेढ़ महीने में सिर्फ एक-एक फीट की हो सकी और पीली पड़ना शुरू हो गई।
बकौल रघुराज शासन द्वारा सर्वे के आदेश जारी करने के बाद उसने पटवारी से सर्वे
के लिए कहा लेकिन उसका कहना था कि अभी उन्हें सर्वे का आदेश नहीं मिला है। इसी के चलते उसने 181 पर भी शिकायत दर्ज करवाई। वहीं से तहसील में आवेदन के लिए कहा, तो उसने तहसील में भी आवेदन दिया, लेकिन इस पर भी सर्वे नहीं किया गया। अंत में उसने खेत में जुताई कर दी।
इनका कहना है
मैंने अपने खेत में मक्का बोई थी, बारिश के बाद उसमें यूरिया की आवश्यकता थी, परंतु वह मिली नहीं। फसल खराब हो गई. तो खेत जोतना पड़ा। - अभिषेक धाकढ़ किसान, खेराई।
बारिश के दौरान फसल में पानी बैठ गया। यूरिख मिला नहीं, इससे फसल दिन प्रतिदिन और खराब होती चली गई। अंततः उसे खेत में ट्रैक्टर चलाना पड़ा है।
मोहन सिंह धाकड़ किसान, मोहराई।
फसल का सर्वे शुरू हो गया है, हमारे पास रिपोर्ट आना भी शुरू हो गई हैं। किसी एकाथ जगह का इश्यू हो सकता है, उसे हम दिखवा लेंगे। यूरिया भी धीरे-धीरे उपलब्ध हो ही रहा है।
अनूप श्रीवास्तव, एसडीएम।
कोलारस में बाढ़ की त्रासदी और खाद की कमी के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह से खराव हो गई हैं। हालात यह हो गए हैं बाढ़ के कारण खराब हुई फसल को बचाने के लिए इस समय किसानों को यूरिया की आवश्यता है, परंतु किसानों को यूरिया भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में किसानों की फसल खेत में पूरी तरह खराब हो गई है। इस स्थिति में किसानों ने जिस फसल की बड़ी मेहनत के साथ खेत में लगाया था, उसी पर अब ट्रैक्टर चलाकर मजबूरी में उसकी जुताई कर रहा है।
बताया जा सा है कि जिले में अभी तक एक सैकड़ा से अधिक किसानों ने फसल का बीज या पौध सड़ जाने और समय पर खाद नहीं मिल पाने के कारण खेतों में जुताई कर दी है। किसानों के अनुसर खाद के अभाव में फसल तो होनी नहीं है। अगर इसे जोत कर हम खेत अगली फसल के लिए तैयार नहीं करेंगे तो इस बार का नुकसान तो हो ही चुका है, अगली फसल भी हम नहीं ले पाएंगे।
खास बात यह है कि खेतों की जुताईकरने से पहले किसानों ने राजस्व विभाग के पटवारियों से फसल के नुकसान का सर्वे करने की बात कही तो पटवारियों ने यह कहते हुए सर्वे करने से इंकार कर दिया कि उनहें अभी सर्वे के आदेश नहीं हैं। यहीं शासन कुछ दिन पहले ही सर्वे के आदेश जारी कर चुका है।
181 पर शिकायत के बाद भी नहीं हुआ सर्वे
ग्राम अलावदी निवासी किसान रघुराज सिंह यादव की मानें तो उसके 20 बीघा के खेत में बोई हुई मक्का बाढ़ के कारण खराब हो गई। डेढ़ महीने में सिर्फ एक-एक फीट की हो सकी और पीली पड़ना शुरू हो गई।
बकौल रघुराज शासन द्वारा सर्वे के आदेश जारी करने के बाद उसने पटवारी से सर्वे
के लिए कहा लेकिन उसका कहना था कि अभी उन्हें सर्वे का आदेश नहीं मिला है। इसी के चलते उसने 181 पर भी शिकायत दर्ज करवाई। वहीं से तहसील में आवेदन के लिए कहा, तो उसने तहसील में भी आवेदन दिया, लेकिन इस पर भी सर्वे नहीं किया गया। अंत में उसने खेत में जुताई कर दी।
इनका कहना है
मैंने अपने खेत में मक्का बोई थी, बारिश के बाद उसमें यूरिया की आवश्यकता थी, परंतु वह मिली नहीं। फसल खराब हो गई. तो खेत जोतना पड़ा। - अभिषेक धाकढ़ किसान, खेराई।
बारिश के दौरान फसल में पानी बैठ गया। यूरिख मिला नहीं, इससे फसल दिन प्रतिदिन और खराब होती चली गई। अंततः उसे खेत में ट्रैक्टर चलाना पड़ा है।
मोहन सिंह धाकड़ किसान, मोहराई।
फसल का सर्वे शुरू हो गया है, हमारे पास रिपोर्ट आना भी शुरू हो गई हैं। किसी एकाथ जगह का इश्यू हो सकता है, उसे हम दिखवा लेंगे। यूरिया भी धीरे-धीरे उपलब्ध हो ही रहा है।
अनूप श्रीवास्तव, एसडीएम।