शिवपुरी। शिवपुरी शहर की प्यासे कंठो की प्यास बुझाने वाली योजना सिंध जलावर्धन योजना में लगातार लीकेज होने के कारण अब लाइन को चेंज किया जा रहा है। अंतिम समय में इस प्रोजेक्ट की लागत 100 करोड़ के पार कर गई,लेकिन फिर भी यह प्रोजेक्ट पूर्ण:सफल नही रहा अंत:इस प्रोजेक्ट में उपयोग किए गए आधे पाईपो को बदलना पड रहा है,कांग्रेस के कैलाश ने इन्हीं पाईपो को बदलने का प्रश्न विधानसभा में पूछा कि पाइप लाइन डालने मे घटिया किस्म के पाइप खरीदे गए इसका जिम्मेदार कौन,इस सवाल का जवाब विधानसभा मे दिया गया कोई नही
मड़ीखेड़ा बांध से फिल्टर प्लांट और फिल्टर प्लांट से शिवपुरी शहर तक जीआरपी पाइप लाइन बिछाने के बाद सप्लाई लगातार प्रभावित होती रही। दोशियान कंपनी ने एक साथ सारे पाइप सप्लाई कर नगर पालिका से 50 करोड़ से ज्यादा का भुगतान करा लिया। नगर पालिका परिषद ने दोशियान से काम छीन लिया। फिर आधी लाइन बदलनी पड़ी।
आधी लाइन में बिछे जीआरपी पाइप की वजह से सप्लाई लगातार प्रभावित रहती है। ऐसे हालात में यह लाइन भी नगर पालिका बदलवा रही है। सरकार ने लाइन बदलने के लिए बजट जारी किया है। इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा में प्रश्न लगा तो नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री ने जवाब दिया, वह अपने आप में चौंकाने वाला है।
पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह ने विधानसभा में प्रश्न लगाया है कि मड़ीखेड़ा बांध से शिवपुरी शहर तक पेयजल लाने के लिए बार-बार घटिया पाइप लाइन डालकर शासन को करोड़ों की हानि पहुंचाकर अधिकारी व ठेकेदारों ने भारी भ्रष्टाचार किया है? इसका विधानसभा में नगरीय एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने नहीं में जवाब दिया है।
जबकि खुद सरकार ने जीआरपी पाइप लाइन बदलने के लिए बजट उपलब्ध कराया है। नगर पालिका टेंडर करके डीआई लाइन बिछा रही है। माधव नेशनल पार्क सीमा के में लाइन बदलने को लेकर काफी परेशानी आ रही है। जीआरपी पाइप लाइन खपाकर करोड़ों रुपए बर्बाद हो गए हैं। इसके बाद भी दोशियान सहित नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी व जनप्रतिनिधियों को बचाया जा रहा है।
तीसरे पक्ष एजेंसी पर मामला टालकर दोषियों को बचाया जा रहा
विधानसभा में पूछा गया कि पाइप लाइन में जो घटिया किस्म के पाइप खरीदे गए, उनकी गुणवत्ता के लिए उत्तरदायी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई की है? इसका विभाग के मंत्री ने जवाब में लिखा है कि पेयजल पाइप लाइन की गुणवत्ता की जांच शासन द्वारा नियुक्त तृतीय पक्ष एजेंसी एसजीएस एवं अन्य द्वारा की जाने के बाद ही भुगतान संबंधी कार्रवाई करने से कोई अधिकारी उत्तरदायी नहीं है।