SHIVPURI NEWS - मेडिकल कॉलेज सीधी भर्ती घोटाला, डीन को आयुक्त का नोटिस

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज भर्ती घोटाले के एक नहीं कई मामले हैं, इन सभी मामलों में न जाने कितने प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हैं। इसी क्रम में एक नया मामला सामने आया है। इस मामले में शिवपुरी मेडिकल कालेज में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त के निर्देशों को ताक पर रख कर सहायक प्राध्यापकों के पदों पर भर्ती कर दी गई है। इस पूरे प्रकरण में मेडिकल कॉलेज के डीन को नोटिस भी जारी हुआ था। अब यह मामला न्यायालय तक भी पहुंच गया है।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2023 में शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में पदस्थ प्राध्यापकों की पदोन्नति की गई थी। पदोन्नति उपरांत शिवपुरी मेडिकल कॉलेज ने विज्ञप्ति जारी कर मेडिकल कालेज के अधीन प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक के पदोन्नति एवं सीधी भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित भी किए और उक्त पदों पर भर्ती भी कर दी, जबकि चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की तरफ से भर्ती नहीं करने के निर्देश दिए गए थे।

इसी के चलते शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. केबी वर्मा को चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने नोटिस भी जारी किया। नोटिस में उल्लेख किया गया कि आपके द्वारा चिकित्सा महाविद्यालय, शिवपुरी के अधीन प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक के पदोन्नति एवं सीधी भर्ती के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु 14 जुलाई 2023 को विज्ञप्ति जारी कर आवेदन पत्र आमंत्रित किए किए थे।

नोटिस में इस बात का भी उल्लेख है कि सहायक प्राध्यापक से सह प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति उपरांत सहायक प्राध्यापक के पद को रिक्त रखे जाने के निर्देश वीडियो कान्फ्रेंस में आपको प्रदत्त किए गए थे, परन्तु आपके द्वारा निर्देशों की अवहेलना कर सहायक प्राध्यापक के पद पर सीधी भर्ती कर दी गई। यह मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम-3 का स्पष्ट उल्लंघन होकर कदाचार है । अतः उक्त कदाचार के लिए क्यों न आपके विरूद्ध मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के तहत विभागीय कार्रवाई की जाए। इस मामले में डीन से उनका स्पष्टीकरण भी मांगा गया।

अब यह भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दफन हो गया है। यहां बताना होगा कि प्राध्यापकों की पदोन्नति के मामले में भी विवाद ने काफी तूल पकड़ा था क्योंकि कई प्राध्यापकों की पदोन्नति में नियमों को ताक पर रखने के आरोप लगाए गए थे। अब इस मामले में न्यायालय में आठ पिटीशन दायर हो चुकी हैं, क्योंकि तमाम स्तरों पर शिकायतों के बावजूद जब कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे मामले को न्यायालय में चुनौती दी गई है।