NATIONAL INSURANCE COMPANY प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना का क्लैम नहीं दे रही थी, उपभोक्ता आयोग ने दिलवाया

Bhopal Samachar

शिवपुरी। न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग शिवपुरी के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद शर्मा, सदस्य अंजू गुप्ता और राजीव कृष्ण शर्मा ने बीमा कंपनी  नेशनल इंश्योरेंस के खिलाफ फैसला या है। व्यक्ति के खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत प्रीमियम राशि कटती थी। मौत के बाद बैंक के माध्यम से दस्तावेज जमा करा दिए। बीमा कंपनी ने क्लेम निरस्त कर दिया। अब आयोग के आदेश पर नेशनल इंश्योरेंस कंपनी 3 लाख रु. सूद सहित बीमा क्लेम की राशि देगी। मामले में पैरवी एडवोकेट अजय जैन ने की।

अभियोजन के अनुसार स्वर्गीय दीवान सिंह की पत्नी कल्पना तोमर बेटी रुचि तोमर और बेटा प्रतीक तोमर निवासी शिव शक्ति नगर शिवपुरी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के तहत एसबीआई शाखा शिवपुरी के प्रबंधक व नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ग्वालियर के प्रबंधक के खिलाफ परिवाद पेश किया था। बीमा पॉलिसी का 3 लाख रु. का क्लेम व 50 हजार क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग रखी थी। दरअसल मौत से पहले दीवान सिंह तोमर के बैंक में बचत खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत हर साल प्रीमियम राशि कटती थी।

दीवान सिंह का 13 नवंबर 2021 को हादसे में निधन हो गया। पॉलिसी नोमिनी के तहत पत्नी ने 3 लाख के बीमा क्लेम के लिए बैंक में दस्तावेज दे दिए। बैंक से क्लेम नंबर भी मिल गया। बैंक ने क्लेम भुगतान का आश्वासन दिया। संपर्क करने पर बैंक वालों ने मना करके 10 नवंबर 2022 को क्लेम निरस्त कर दिया। वैध दस्तावेज नहीं होने का हवाला दिया।

आयोग की सुनवाई में बैंक ने तर्क दिया कि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने बीमा क्लेम निरस्त किया है। फिर बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जबाव में कहा कि दीवान सिंह तोमर की मौत की सूचना 30 दिन की अवधि में नहीं देते हुए विलंब से 8 अगस्त 2022 को दी है।

आयोग ने सेवा में कमी पाते हुए फैसला सुनाया है कि बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड आदेश की तारीख से दो माह के अंदर आवेदकों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत प्राप्त होने वाली बीमा क्लेम राशि का भुगतान करें एवं उक्त राशि पर बीमा निरस्ती की तारीख 10 नवंबर 2022 से अदायगी तारीख तक 6% वार्षिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करें।

अनावेदक बीमा कंपनी आदेश तारीख से दो माह के अंदर आवेदकों को हुई शारीरिक, मानसिक परेशानी के लिए 3 हजार रु. व परिवाद व्यय के 2 हजार रुपए यानी 5 हजार भी अदा करेगी। दो माह के अंदर राशि अदा नहीं की तो अदायगी तारीख तक 6% वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा।