जिंदा लोग यह आकडा है, 77 साल बाद भी बिजली,शिक्षा, सड़क तक गायब,गड्ढे खोदकर पीते है पानी

Bhopal Samachar

संजीव जाट @बदरवास। आजादी की 77 वर्ष बाद आज भी ऐसे गांव हैं जो पानी,बिजली,रोड जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं से मोहताज ऐसा ही एक गांव है बदरवास जनपद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला अंतिम छोर पर बसा राजस्थान सीमा से लगा हुआ सालोन  पंचायत का पटबई गांव। इस गांव में आजादी के 77 वर्ष बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। एक तरफ देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है लेकिन इस अमृत महोत्सव को चिड़ाता हुआ सुविधाओं से कोसों दूर गांव है पटबई जहां न  बिजली है न पानी और न ही सड़क। अगर सिस्टम की बात करे तो इस गांव के जिंदा लोग केवल आंकड़े है,वोटर ओर जनसंख्या के रूप में।

बूंद बूंद पानी को तरसते ग्रामीण

पटबई गांव के निवासी आज भी बूंद बूंद पानी को मोहताज हैं। गांव में पानी न होने के कारण गांव से एक किलोमीटर दूर कूनो नदी में जगह जगह गड्ढे खोदकर उससे पानी भरकर लाते है जब ग्रामीणों के सूखे कंठ की प्यास बुझती है। इस गांव में पहुंचे पत्रिका प्रतिनिधि ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की तो एक तरफ देश की आजादी को 77 वर्ष हो चले है और राजनीतिक दलों द्वारा विकास के बड़े बड़े वादे किए जाते है लेकिन विकास से अछूता ये गांव एक किलोमीटर से पानी लाकर भी प्यासे हैं और आज भी दूषित पानी पीकर जैसे तैसे अपना समय गुजार रहे हैं। ग्रामीणों का आधा दिन तो पानी लाने में ही गुजर जाता है। गांव में एकमात्र हैंडपंप था जो खराब हो चुका है।अब भीषण गर्मी  जब अपना रौद्र रूप दिखा रही है तो पानी के लिए तरसते ग्रामीणों के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ साफ देखी जा सकती है।

कभी नहीं देखी बिजली,अंधेरे में ही गुजर गया जीवन

बदरवास जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सालोन की आदिवासी बस्ती पटबई घाट जिसकी जनसंख्या 350 है। इस गांव में आज तक लाइट नहीं पहुंच पाई है। गांव में विद्युत लाइन ही नहीं है तो फिर बिजली पहुंचने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। हालात यह है कि ग्रामीण रोज इस आस में कि अब बिजली लाइन बिछाई जाएगी अंधेरे में ही सो जाते हैं। गांव में लाइट पहुंचना इन ग्रामीणों को सपने जैसा है।

रोड से महरूम हैं ग्रामीण

पटवई गांव की समस्याओं में इजाफा यहां पहुंचने का रास्ता भी करता है। गांव में आने का पहुंच मार्ग भी उबड़ खाबड़ है जहां हिचकोले खाते हुए ग्रामीण आते जाते हैं। पक्का रास्ता तो दूर की बात गांव में मुरम का रास्ता भी नहीं है। खेतों के पथरीले टेस्ट से गुजरते गुजरते यहां के ग्रामीणों का जीवन निकल चुका है लेकिन पक्के रोड की उनके आस अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। ग्रामीणों की आस 77 वर्षो से लगी हुई है कि कभी तो कोई हमारे गांव की सुध लेने आएगा।

हाईटेक जमाने में शिक्षा से वंचित पटबई के नौनिहाल

पटबई गांव की इस आदिवासी बस्ती में न तो स्कूल है और न ही बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक। गांव में स्कूल न होने से यहां के नौनिहाल बच्चे शिक्षा जैसी आवश्यक मूलभूत अधिकार से वंचित हैं। गांव के बच्चे शिक्षा के अभाव में ज्ञान के प्रकाश के बिना अंधेरे में हैं। इस गांव के बच्चों को अगर पढ़ाई करना है तो तीन किलोमीटर दूर चमारी नदी को क्रॉस कर समीपस्थ गांव में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है।

पलायन को मजबूर हैं ग्रामीण,मजदूरी करने जाते हैं गुजरात

पटबई गांव सहित पास के अन्य गांव के निवासी पानी,सड़क,लाइट के अभाव में नारकीय जीवन गुजार रहे हैं और शासन प्रशासन विकास के ढोल बजाकर अपने गाल झूठे ही फुला रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं से वंचित और अभावों से भरे जीवन से जूझते ग्रामीण अब पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। गांव में न तो रोजगार के कोई साधन हैं और न ही जीविका चलने के लिए अन्य कोई माध्यम। गांव के नौजवान मजदूरी करने गुजरात तक जाते हैं।

क्या कहते है ग्रामीण
हमारे गांव में स्कूल नहीं होने से आधे बच्चे तो। बगैर शिक्षा के रह जाते है क्योंकि जो स्कूल जहा पढ़ने जाते है वह सात किलोमीटर दूर है
राजगोपाल भिलाला ग्रामीण

हम आजादी के बाद आजादी के बाद आजादी के बाद आशा थी कि हमारे गांव में पानी की व्यवस्था होगी एवं बिजली की लाइन आएगी एवं स्कूल बनेगा लेकिन यह आशा आजादी के आज 75 वर्ष होने के बावजूद भी हमारे गांव की हालात नहीं बदले जो मांगे थी वह भी  पूरी नहीं हुई और हमें पीने का पानी भी कूनो नदी में जाकर लाना पड़ता है
नाहर सिंह भिलाला

हमारे द्वारा हमारे द्वारा इस गांव की जो समस्या है वह समस्याएं जटिल है और जिसे बिजली की समस्या है तो यह बिजली विभाग के द्वारा इसका काम किया जाना है पानी की समस्या हेतु हमने विभाग को लगातार पत्र लिख रहा है एवं लाइट पानी स्कूल भी है तो वह काफी दूर है इन सब सुविधाओं के लिए हम लगातार मांग कर रहे हैं और जो रास्ता है जो खराब है या नहीं नहीं बना है उसके लिए हम हमारे जनपद पंचायत से डलवाने का प्रयास कर रहे हैं
महेंद्र गुर्जर सरपंच प्रतिनिधि

क्या कहते है कलेक्टर
मामला संज्ञान में आया है आखिर सुविधाओं से वंचित क्यों रहा इसकी जांच कराते है क्यों नहीं मिला लाभ
रविंद्र चौधरी,कलेक्टर शिवपुरी
 
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