बदले बदले से नजर आए मंशापूर्ण सरकार,,,,,,,,,,भक्त हैरान परेशान, कैसे बदल गए बजरंग बलि- Shivpuri News

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शिवपुरीं।
शिव की पुरी शिवपुरी में शंकर स्वयं केसरी नंदन का जन्मोत्सव बडी ही धूम धाम से मनाया गया। शिवपुरी जिले के हनुमान मंदिरों पर भक्तों की भीड़ रही। शहर में हनुमान जयंती पर सबसे अधिक आकर्षण और चर्चा का केंद्र रहा मंशापूर्ण दरबार,क्योंकि जो भक्त 4 अप्रैल के बाद मंशापूर्ण सरकार के दर्शन करने गए थे तो उन्हें बदले बदले से नजर आए मंशापूर्ण सरकार

क्यों बदले बदले से नजर आए सरकार

यह सवाल आपके भी मन मे चल रहा है कि क्यों बदले बदले से नजर आए मंशापूर्ण सरकार, 6 मार्च के दिन जब मंशापूर्ण सरकार का श्रृंगार किया जा रहा था तो अचानक मंशापूर्ण हनुमान मंदिर में स्थापित प्रतिमा ने अपना चोला स्वतः ही अपना चोला उतारना शुरू कर दिया। महंत अरुण महाराज के अनुसार प्रतिमा से लगभग 5 क्विंटल चोला उतरा,अरुण महाराज ने बताया कि सैकडो वर्षो से लगातार सरकार पर चोला चढ़ाया जा रहा था,प्रतिमा का जो स्वरूप था वह स्पष्ट दिखाई नही देता था। लेकिन अब चोला उतरते ही प्रतिमा अपने आकर्षक रूप में आ गई है।

आर्शीवाद और नृत्य मुद्रा में है प्रतिमा

अरुण महाराज ने बताया कि हमारे पूर्वज जो इस मंदिर की पूजा करते चले आ रहे है उनके मुख से हम सुनते आ रहे थे कि सरकार के हाथ में सोठा नही है,उनके हाथ में पर्वत नहीं है। प्रतिमा के रूप में विराजमान हनुमान जी का एक हाथ कमर पर है और दूसरा हाथ आर्शीवाद की मुद्रा मे है ऐसी प्रतिमा देश में और कही सुनने और देखने को नहीं मिली है। हमारे बुर्जगो ने बताया कि यह प्रतिमा भक्त शिरोमणि बजरंग बलि और उनके आराध्य प्रभु के मिलन के समय का दृश्य को दिखाती है प्रतिमा

क्या है राम मिलन

अरुण महाराज ने बताया कि जब राम लखन सीता जी की खोज में वन वन भटक रहे थे तो वह किष्किंधा पर्वत के समीप बैठे थे,किष्किंधा पर्वत पर सुग्रीव,हनुमान और उनके मंत्री गण पर्वत पर बैठे थे तो उन्हें तो मानव पर्वत की ओर आते दिखे,वाली से भयभीत सुग्रीव को लगा कि यह दोनों मानव बाली के भेजे गए है,सुग्रीव ने हनुमान जी को राम लखन का भेद लेने उनके पास भेजा था। हनुमान जी ब्राह्मण भेष में राम लखन के पास गए थे। जब बजरंग बलि को इस बात का ज्ञान हुआ कि यह दशरथ नंदन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम है तो वह भक्ति भाव मे नृत्य करने लगे थे यह प्रतिमा इसी भाव को प्रदर्शित करती है कि कब से इंतजार कर रहे थे सरकार आपका आज मिले है।

आप स्वयं अनुमान लगा सकते है कि रामजी के जब प्रथम दर्शन हनुमान जी को हुए थे तो उनके क्या भाव रहे होगे,वो संसार की सुध भूल बस अपने प्रभु का स्मरण कर रहे होगे,आर्शीवाद मुद्रा इसलिए है कि हनुमान जी ब्राह्मण रूप में थे और जब राम जी ने ब्राह्मण भेष धारी हनुमान जी को देखा होेगा तो रघुवंश ने ब्राह्मण भेष को प्रणाम किया था और नीति के अनुसार ब्राह्मण देवता के रूप में उपस्थित हुए राम भक्त हनुमान जी ने आशीर्वाद दिया था। यह प्रतिमा इसी भाव को प्रदर्शित करती है। यह भाव को शब्दों में नहीं उकेरा जा सकता है।

जो भक्त 6 मार्च से पूर्व दर्शन करके गए थे वह हैरान और परेशान

जो भक्त मंशापूर्ण सरकार के 6 मार्च से पूर्व दर्शन करने गए थे। उन्होंने तब मंशापूर्ण सरकार बदले बदले नजर आए। प्रमिता का रूप बदल चुका था,स्लिम दिख रहे थे बाबा,बालरूप दिखाई दे रहा था मंशापूर्ण सरकार का,अपने अदभुत श्रृंगार और विशेष साज सज्जा के कारण अद्भुत दृश्य लग रहा था। लोग हैरान थे ऐसा क्यों हुआ है कैसे बदल गए उनके सरकार,

मंशापूर्ण के रूप में स्वयं विराजित है राम भक्त हनुमान

मंशापूर्ण हनुमान जी स्वयं भू है,उनकी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा नही की गई वह सपने में अपने होने का अहसास देते हुए विरोल के पेड़ से प्रकट हुए थे। जहां प्रकट हुए वही स्थापित है इस पेड को हटा दिया गया था। मंशापूर्ण हनुमान जी की सबसे बडी विशेषता है कि जिस भक्त ने अपनी मंशा सरकार से कही हो,वह अवश्य पूरी होती है जो इस मंदिर में एक बार दर्शन करने आता है वह इस दरबार में हमेशा आता है। शहर के कई परिवार ऐसे है जिनकी तीसरी चौथी पीढी लगातार यह दर्शन करने आती है। इसलिए भक्तों की अपार श्रद्धा का केंद्र है मंशापूर्ण सरकार
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