जागरूकता ही सर्वाइकल कैंसर से बचाव का बेहतर उपाय, समय पर उपचार जरूरीः डॉ. उमा जैन- Shivpuri News

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शिवपुरी।
कैंसर दिवस के अवसर पर शहर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ,आईएफसीपीसी एवं डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रशिक्षित कॉल्पोपस्को पीस्टा एवं सर्वाइकल कैंसर प्रिवेंशन स्पेशलिस्ट डॉ.उमा जैन ने जानकारी देते हुए बताया है कि सवाईकल कैंसर;बच्चेदानी के मुख का कैंसर महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा बड़ा कारण है।

भारत में प्रति वर्ष एक लाख 25 हजार महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा या मुख का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर से ग्रस्त हो जाती हैं और उनमें से करीब 70 हजार महिलाओं की मृत्यु हो जाती है, क्योंकि वे अधिकतर एडवांस स्टेज में उपचार के लिए आती हैं। यह अत्यन्त दुःखद पूर्व है कि हमारे देश में प्रत्येक 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर से होती है

जबकि नियमित जांच द्वारा 100 प्रतिशत तक इस कैंसर से आसानी से बचा जा सकता है। गरीबी, अशिक्षा एवं महिलाओं में जानकारी का अभाव तथा अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही भी इसका कारण है।

डॉ.उमा जैन ने बताया कि गर्भाशय के मुख का कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस,एचपीवी के कारण होता है, संपर्क के दौरान यह वायरस गर्भाशय के मुख तक पहुंच जाता है और उसे धीरे.धीरे संक्रमित करना शुरू कर देता है।

खास बात यह है कि गर्भाशय के मुख में एचपीवी से हुए संक्रमण को कैंसर में तब्दील होने में सामान्यतः दस से बीस वर्ष या इससे अधिक का समय लग जाता है, ऐसे में अगर समय रहते जांच कराकर संक्रमण का उपचार करा लिया जाए तो बच्चेदानी के मुख के कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है।

लिहाजा 25 से 65 वर्ष तक की महिलाओं को समय.समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि उन्हें एचपीवी संक्रमण है तो उपचार कर उसे फौरन खत्म किया जा सके। बच्चे दानी की ग्रीवा या मुख के कैंसर सर्वाइकल कैंसर के लक्षण प्रारंभिक चरण प्री कैंसर स्टेज में कभी.कभी दिखायी नहीं देते और यह स्क्रीनिंग जॉच से ही पता चल सकता है। इसलिए समय रहते हुए कैंसर जैसी बीमारी को लेकर जागरूकता ही सर्वाइकल कैंसर से बचाव का बेहतर उपाय और उपचार है इसलिए जागरूक हों और इस बीमारी से अपने बचाव को लेकर जागरूक रहें।

हालांकि बच्चे दानी की ग्रीवा या मुख के सर्वाइकल द्ध कैंसर से संबंधित सभी जांच एवं प्रारंभिक अवस्था में उपचार के लिए सुविधा सरकारी अस्पतालों में भी उपलब्ध है। बच्चेदानी की ग्रीवा के सर्वाइकल द्ध कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में पहचान से उसका निदान संभव है।
लक्षण दिखाई देने लगते है ऐसे

* अनियमित मासिक रक्तस्राव
* सहवास के दौरान पीड़ा या रक्त. स्राव का होना
* रजोनिवृत्ति के बाद पानी या रक्तस्राव का होना
* असामान्य स्त्रा व ;पानीद्ध जो तरल गाढ़ा और बदबूदार हो या गुलाबी रंग का हो।
* पेट के निचले हिस्से में दर्द । यूरिन को बार.बार जाना ;यह लक्षण तभी दिखाता है जब कैंसर पेशाब की थैली तक पहुँच चुका हो*
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