शिवपुरी। बीते मंगलवार को जनसुनवाई में आकर कलेक्टर से अपने तीन साल से कागजो मे अटके वेतन मांगने आई वृद्ध महिला की मौत हो गई। बसंती बाई को तीन साल को वेतन जल्द की दिलाने का आश्वासन कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने दिया था,लेकिन अधिकारियों की लापरवाही फिर सामने आई महिला को वेतन नही मिला और अपने वेतन को पाने के लिए 3 साल से संघर्ष कर रही बीमार बसंती बाई ने अपना दम तोड दिया।
आपको बता दें कि शिवपुरी में आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा संचालित अशासकीय अनुसूचित जाति बालक छात्रावास शिवपुरी एवं करैरा में कार्यरत अधीक्षक, रसोईया, चौकीदार, वाटर मैन के पद पर पदस्थ कर्मचारियों को पिछले तीन साल से वेतन नहीं मिला है। इसकी शिकायत करने एकजुट होकर कर्मचारी गत मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे और वेतन जल्द दिलाए जाने की मांग की। दर्पण कॉलोनी स्थित हॉस्टल के वार्डन हेमराज सुमन का कहना है कि उनके हॉस्टल के पांच कर्मचारियों को तीन साल से वेतन नहीं मिला है।
जबकि सभी कर्मचारी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे है। इसके अतिरिक्त करैरा के हॉस्टल के 3 कर्मचारियों को 3 साल से वेतन नही मिला है। हर बार अनुमोदन की बात कहकर टाल दिया जाता है। हॉसटल में रसोइया का काम करने वाली बुजुर्ग महिला बसंती बाई को बीमार हालत में लेकर उसकी दो बेटियां जनसुनवाई में पहुंची। बसंती भाई ने बताया कि उसे भी तीन साल से वेतन नहीं मिला है पिछले कुछ रोज से उसकी तबीयत बिगड़ चुकी है। उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़ रहा बेहतर उपचार के लिए उसके पास पैसे तक नहीं हैं। उसके दो बेटियां हैं और एक भी बेटा नहीं है बेटियों की मदद से वे अपना उपचार करा रही है ऐसे में अगर उसे वेतन मिल जाए तो वह अपना सही से उपचार करा सकेगी।
इस बीच बसंती बाई की बेटियों ने अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए जमकर लताड़ लगाई और हंगामा करते हुए मां के वेतन की मांग की थी । बसंती बाई की वेतन न मिलने के कारण हालत खराब हो गई थी इसी बीच ये हालात बने कि इनके इलाज तक को पैसा नहीं बचा था। अत्यधिक मुसीबत झेलने वाली बसंती बाई को जिला कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने आश्वशन भी दिया था कि आपकी वेतन संबंधी समस्या का शीघ्र निराकरण किया जाएगा। लेकिन उसके बाद भी उसे वेतन नहीं मिला और आज उसकी मौत हो गई।
आदिम जाति कल्याण विभाग के क्षेत्रीय संयोजक आरके सिंह ने बताया सभी कर्मचारियों का अनुमोदन भोपाल भेजा जाता है जहां से राशि स्वीकृत होकर आती है तब कहीं जाकर इनका भुगतान किया जाता है परंतु लंबे समय से भुगतान की राशि नहीं आई है। भगतान के लिए एक बार फिर विभाग के लिए अनुमोदन भेजा जाएगा।