कैसे मुक्त होगी शिवपुरी सूअरों से, हैदराबाद के नवाब के गोली मारो से दिल्ली-इंदौर की कंपनी सहित 4 चरण फैल- Shivpuri News

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शिवपुरी।
पिछले 8 सालो से शिवपुरी शहर को सूअर मुक्त करने की प्लानिंग पर काम चल रहा है,लेकिन शहर सूअर मुक्त नहीं हो पा रहा है। यह अभियान नगर पालिका ने अपने ज्ञान से नही बल्कि हाईकोर्ट के आदेश से शुरू किया था। सन 2014 से गोली मारो अभियान से लेकर 60 रुपए प्रति सूअर तक की प्लानिंग हो चुकी है। अभी चार चरण सूअरों से मुक्ति की हो चुके हैं,लेकिन सूअर घटने की बजाय बढ़ रहे हैं।

हाईकोर्ट के डंडा के कारण सबसे पहले सन 2014 में हैदराबाद की कंपनी वाइल्ड लाइफ ट्रेंक्यू फोर्स ने इसका ठेका लिया है। कंपनी और एनजीओ के मालिक नवाब सफाद अली खान और उनके चार नेशनल रैंक प्राप्त शूटर सूअरों में शहर में गोली मारो अभियान की शुरुआत की थी। शुरुआत में यह अभियान सही दिशा में चला,लेकिन शहर में गोली सूअरो के अतिरिक्त दिशा भटक रही थी विरोध भी हुआ साथ में सूअरों की गिनती के घोटाले के कारण यह अभियान बंद हो गया।

फिर हुए टेंडर सूअर से मुक्किरण के लिए

नगर पालिका के अनुसार शिवपुरी शहर में 16 हजार सूअर हैं। शहर को सूअर मुक्त बनाने के लिए फिर साल 2021 में नपा तीन बार टेंडर प्रक्रिया कर चुकी है लेकिन तीनों बार ठेकेदार कुछ सूअरों को पकड़ने के बाद काम छोड़कर भाग गए यानी शहर सूअर मुक्त नहीं हो सका। हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद एक बार फिर से नगर पालिका ने सूअरों को शहर से बाहर करने की कवायद करने जा रही है। इस बार उज्जैन नगर निगम की तर्ज पर प्रति सूअर ₹60 रुपए खर्च करने की तैयारी है। इसके लिए टेंडर भी हो चुके हैं।

हैदराबाद के नवाब से लेकर दिल्ली और इंदौर तक की कंपनी फैल

ऐसे में 16 हजार सूअर पकड़ने के लिए नपा को अब ₹9 लाख 60 हजार रुपए खर्च करने होंगे। फिलहाल सूअर मुक्त शहर एक कल्पना ही है क्योंकि नपा के तमाम प्रयास असफल रहे हैं। पिछले साल ही तीन ठेकदारों को सूअर पकड़ने का जिम्मा दिया गया लेकिन तीनों ठेकेदार भाग निकले। दिल्ली एनसीआर से लेकर इंदौर तक से सूअर पकड़ने वाले ठेकेदारों की टीम सूअर पकड़ने की कवायद कर चुकी है लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। तीनों बार में कुल मिलाकर 2 से 3 हजार सूअर ही बाहर निकाले जा सके।

अभियान शुरू हुआ था तब 12 हजार थे लेकिन अब 16 हजार सूअर संख्या

जितने सूअर बाहर नहीं गएए उससे ज्यादा बढ़ गए। पहले सूअर तकरीबन 12 हजार थे। अब इनकी संख्या 16 हजार के करीब बताई जा रही है। इन सूअरों को पकड़ने के लिए अब नपा ने उज्जैन नगर निगम की तर्ज पर वहां की टेंडर प्रक्रिया और नियम का हवाला देते हुए शिवपुरी में भी टेंडर प्रक्रिया की है। इसके तहत प्रति सूअर पकड़ने के लिए ठेकेदार को 60 रुपए दिए जाएंगे। ठेकेदार को एक साल का समय दिया गया है।

यह 4 चरण हो चुके है शुरू

सबसे पहले सन 2014 में हैदराबाद की कंपनी वाइल्ड लाइफ ट्रेंक्यू फोर्स ने इसका ठेका लिया है। कंपनी और एनजीओ के मालिक नवाब सफाद अली खान और उनके चार नेशनल रैंक प्राप्त शूटरों ने सूअरो के ब्रेन में गोली मारने का अभियान शुरू किया लेकिन गोली की संख्या का घोटाला,विवाद और विरोध के कारण नवाब साहब वापस लौट गए।

कोरोना काल के दौरान मई 2021 में दिल्ली एनसीआर से ठेकेदार बुलाया गया था। इस ठेकेदार को सूअरों को पकड़कर 100 किलोमीटर दूर शहर से बाहर छोड़ने थे लेकिन ट्रांसपोर्टेशन में खर्च अधिक आने के चलते ठेकेदार महज डेढ़ से दो हजार सूअर पकड़कर रफूचक्कर हो गया।

दिवाली के पहले अक्टूबर 2021 में इंदौर.देवास के सूअर पकड़ने वाले ठेकेदार से नगर पालिका का अनुबंध हुआ। अनुबंध के मुताबिक ठेकेदार को सूअर पकड़कर ले जाने थे लेकिन यह ठेकेदार भी 500 से 1000 सूअर पकड़ने के बाद काम छोड़कर चलते बने।

साल 2021 में ही दिवाली के बाद नपा ने एक और टेंडर किया। इसमें ठेकेदार को सूअर पकड़कर ले जाने थे। इस ठेकेदार की सहायता के लिए नपा ने अमला उपलब्ध कराया था। साथ ही अन्य सहायता भी की थी लेकिन सूअर पकड़ने के एजव में नपा को कोई शुल्क नहीं देना था। यह ठेकेदार बमुश्किल 50 सूअर पकड़ा सका और काम छोड़कर भाग गया।
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