Shivpuri News- 25 स्कूल की छात्राओं को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दे रही है क्षत्रिय महासभा, कहा- आत्मरक्षा के लिए जरूरी

Bhopal Samachar
काजल सिकरवार@शिवपुरी समाचारः। मोबाइल से रील बनाने के युग में हाथो बंदूक और हाथों में चूड़ियों के साथ लाठी की खनक और बिंदी सी चमक रही है तलवारे। यह शिवपुरी की बेटियां हैं और आत्मरक्षा के गुर सीख रही हैं किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए यह बेटियां अपनी रक्षा तो कर सके और आवश्यकता पड़ने पर समाज की रक्षा भी कर सके।

शिवपुरी की छत्री रोड पर स्थित पर्यटक स्वागत केंद्र पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी ने ब्रजेश तोमर ने बताया कि 7 शिवपुरी की लगभग 100 बच्चों आत्मरक्षा के लिए हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें से 25 बेटिया है। इन बेटियों को पिछले 7 दिन से बंदूक चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। 7 दिन मे ही यह बेटियां अपने टारगेट को हिट करने लगी है।

बहुत ही सीमित संसाधनों के साथ कुछ ही दिनों में यह मासूम की कलाई वजनदार बंदूक से अपना टारगेट हिट करती हैं यह इनकी एग्रकता और लगनशीलता का परिणाम हैं।वही इन बच्चों को लाठी और तलवार चलाना भी सिखाया जा रहा हैं।

आस्था ने कहा कि देश की बेटियों के लिए यह बहुत जरूरी है जिससे कि वह अपनी सुरक्षा कर सकें और मेरा भी उद्देश्य यही है कि में अपनी व दूसरों की सुरक्षा कर सकूं और इसके साथ साथ अपने परिवार की भी रक्षा कर सकूं।

अन्नु भदौरिया ने कहा कि मैं अभी 11 क्लास में हूं और मैं खुद आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं इसलिए मुझे हथियार चलाना सीखना था। और आज मैं लाठी, तलवार एवं राइफल भी चला लेती हूं। जिससे में स्वयं की रक्षा कर सकूं और दूसरों की भी रक्षा कर सकूं।

एक बेटी ने कहा कि बेटियां अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं इसलिए बुजेश सर हमें यह ट्रेनिंग दे रहे हैं लगभग 10 दिन से हमें ट्रेनिंग दे रहे हैं और हम लोगों को सब सिखा रहे है अपनी सुरक्षा की चीजें, बहुत कुछ सिखा रहे हैं इसलिए अब हम आत्मनिर्भर बनेंगे, जिससे हमारे जो साथ रहती है उनकी भी सुरक्षा करेंगे। लाठी साथ में लेकर चलते है

वही दसवी क्लास में पढने वाली स्टूडेंट ने बताया अपनी सेफ्टी के लिए कि आज कल सब जरूरी है मोबाइल के दौर में बेटियों को अपनी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए इसलिए यह बहुत जरूरी है वो दौर भी नहीं रहा कि लोग बोलते है कि घर में बैठे, नहीं आज कल जरूरी है इसलिए अगर हमें लाठी भी ना मिले तो भी जूडो कराटे की भी ट्रेनिंग मिलेगी। उसमें भी हम लोग लाठी के बिना प्रदर्शन कर सकें और अपनी सुरक्षा खुद कर सकें
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