17 को आएंगे पीएम मोदी कूनो: हवाई मार्ग से विदेश से आएंगे चीते, स्वागत की तैयारी में जुटा पार्क प्रबंधन- Shivpuri News

Bhopal Samachar
भोपाल। शिवपुरी जिला और श्योपुर जिले की सीमा से लगा कूनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर को अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते जाए जा रहे हैं। देश के पीएम नरेंद्र इन आठ चीतो को इस पार्क में छोडेंगे। इनमें चार-चार नर और मादा चीते हैं।

जानकारी अनुसार, दिल्ली से वायुसेना के दो हेलिकॉप्टर चीतों को लेकर पार्क पहुंचेंगे। चीता परियोजना का औपचारिक शुभारंभ करने के लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी कूनो पहुंच रहे हैं। वे जिले के तहसील मुख्यालय कराहल में महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों को भी संबोधित करेंगे। VIP के आवागमन के लिए पार्क व कराहल में 10 हेलीपैड और कराहल से पार्क तक सड़क बनाई जा रही है।

लोक निर्माण विभाग व मप्र सड़क विकास निगम को हर हाल में 14 सितंबर तक काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इसी दिन प्रधान मंत्री का जन्मदिन भी है। श्योपुर में चीता परियोजना के शुभारंभ को लेकर 20 दिन से तैयारियां चल रही हैं। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर पसोपेश की स्थिति थी। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को बताया कि जन्म दिवस (17 सितंबर) पर प्रधान मंत्री मध्य प्रदेश आ रहे हैं। वे चीता परियोजना का शुभारंभ करेंगे। हमने स्व सहायता समूह के सदस्यों के सम्मेलन को संबोधित करने का भी आग्रह किया है।

जानकारी मिल रही है कि अभी नमीबिया से चार नर और चार मादा चीता लाए जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका से अनुबंध नहीं हो पाया हैं। वहां से भी 12 चीते जाने हैं। यह चीते जोहान्सबर्ग से दिल्ली हवाई अड्डे तक हवाई जहाज से लाए जाएंगें। वहां से सेना के हेलीकॉप्टर लेकर चलेंगे और पार्क में वन रहे हेलीपैड पर लेकर उतरेंगें।

दक्षिण अफ्रिका के चीता विशेषज्ञो का चार सदस्यीय दल मंगलवार को कुनो पालपुर पहुंच गया हैं। यह दल दो दिन यहां रहेगा और चीता लाने की तैयारियां देखेगा। दल की रिपोर्ट पर दक्षिण अफ्रीका सरकार,भारत को चीता देने का निर्णय लेगी। दल कुनो के बाद शिवपुरी माधव नेशनल पार्क शिवपुरी और नौरादेही अभ्यारण सागर का भी दौरा करेगा।

सबसे अंत में 75 साल

भारत में वर्ष 1947 में आखिरी बार चीता देखा गया था। मध्य प्रदेश के सरगुजा के जंगल में दिखाई दिए चीते का का वहां के महाराज ने शिकार किया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीती विलुप्त प्रजाति की अनुसूची में दर्ज कर दिया था।
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