शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। पार्क प्रबंधन तैयारी कर रहा हैं,टाइगर आने से पूर्व नेशनल पार्क की सीमाओं का विस्तार किया गया था पार्क की सीमा से लगे गांवों को अधिग्रहण किया जाना हैं,इसके लिए पांच गांवों की खेती की जमीन अधिग्रहण कर ली गई हैं,लेकिन पार्क प्रबंधन 3 गांव खाली नहीं करा पा रहा है,अब यह गांव टाइगर की राह रोड़ा बन रहे है।
माधव नेशनल पार्क की सीमा विस्तार के लिए ग्राम मामोनी, लखनगवां और हरनगर अधिग्रहण में आ रहे हैं। साल 2008 में निर्धारित बहुत कम मुआवजे पर ग्रामीणों ने असहमति जता दी थी। इसके बाद ग्रामीणों को अब तक मुआवजा नहीं लिया। मुआवजे का पेंच अभी तक उलझा हुआ है। तीनों गांव नेशनल पार्क शिवपुरी से कूनो होते हुए रणथम्भौर अभयारण्य के कॉरिडोर के हिस्से में आ रहे हैं।
साथ ही गांवों की अधिग्रहित जमीन को फलदार पौधे और चारागाह में विकसित करने की योजना है। नेशनल पार्क के रिकॉर्ड में तीनों गांव के 75 परिवारों को मुआवजा नहीं मिला है। इस कारण बिना मुआवजा इन परिवारों को गांव से हटाना पार्क प्रबंधन के लिए चुनौती बना हुआ है। यदि सरकार 30 करोड़ रुपए का बजट जारी कर दे तो पार्क में टाइगर लाने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो सकेगी।
राज्य मंत्री ने नही की कोई पहल
मुआवजा दिलाने के लिए ग्रामीणों ने पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री को आवेदन दिए। ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने कोई पहल नहीं की है। इसलिए 7 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को फैक्स कर मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है। ग्रामीणों का कहना है कि वे बिना मुआवजा लिए किसी कीमत पर गांव खाली नहीं करेंगे। नेशनल पार्क और प्रशासनिक अधिकारी उन्हें लगातार गुमराह करते आ रहे हैं।
शिवराज सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्यों और टाइगर रिजर्व के कोरिडोर से ग्रामीणों के पुनर्वास के लिए राज्य योजना में प्रति परिवार पैकेज राशि 10 लाख रु. से बढ़ाकर 15 लाख रु. मंजूर की है। तीनों गांवों के ग्रामीण पुनर्वास के लिए प्रति वयस्क सदस्य 15 लाख रु. मांग रहे हैं, ताकि वह दूसरी जगह घर बनाकर आसानी से रह सकें।
जब तक मुआवजा नहीं गांव खाली नहीं
जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, गांव खाली नहीं करेंगे पार्क द्वारा मनमाने ढंग से खेती की जमीन सहित पूरा गांव अधिग्रहित कर लिया है। मामूली मुआवजा देकर भगाने की कोशिश की। हम वास्तविक सर्वे के आधार पर नियम अनुसार मुआवजा मांग रहे हैं। पार्क अधिकारी हाथ खड़े कर रहे हैं। प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा है। हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब तक मुआवजा नहीं मिलेगा, गांव खाली नहीं करेंगे।
दलबीर सिंह,ग्रामीण
ग्रामीण सीएम को फैक्स कर मुआवजे की मांग
पार्क के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक कुमार के समय साल 2006 में मनमाने ढंग से सर्वेे हुआ था। परिवार के मुखिया का नाम लिखकर सिर्फ 493 लोगों की लिस्ट बनाकर मुआवजा प्रकरण बना दिए जबकि पांचों गांव में उस वक्त एक हजार से ज्यादा परिवार थे। पार्क प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा आज तक भुगत रहे हैं। सीएम को फैक्स कर मुआवजे की मांग की है।
नरेश सिंह गुर्जर,ग्रामीण
इनका कहना हैं
उस वक्त जो मुआवजा कलेक्टर द्वारा निर्धारित किया था,वह पैसा जमा हैं। जिले लोगो ने मुआवजा नहीं लिया है,वह जाकर ले सकते है। उस समय की पूरी लिखा पडी है। हम तो खरीदार है,मुआवजा निर्धारण का काम प्रशासन का है।
सीएस निनामा,डारेक्टर,माधव नेशनल पार्क शिवपुरी
जानकारी मांगी हैं
पुनर्वास के लिए सरकार ने मुआवजा राशि बढ़ाकर 15 लाख निर्धारित हो गई हैं। पार्क के लिए अधिग्रहित गांव के परिवारों को मुआवजे के संबंध में भोपाल से जानकारी मांगी थी। नेशनल पार्क से जानकारी मिलने के बाद हम मुआवजा राशि जारी कर देंगें।
अक्षय कुमार सिंह,कलेक्टर शिवपुरी।