अपना घर आश्रम बनकर तैयार: मदद के लिए ठाकुरजी को लिखी जाती है चिठ्ठी और हो जाते हैं काम - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी में 6 बीघा में 11500 वर्गफुट में बिल्डिंग बनाकर अपना घर बनकर आश्रम बनकर तैयार हो गया हैं। इस नए भवन में आज सुंदरकाण्ड होगा और 30 प्रभुजी के साथ इसमें प्रवेश किया जाऐगा। इस नए भवन मे 150 प्रभुजीओ को एक साथ रखा जा जाता हैं। अपना घर आश्रम वर्तमान में‎ शहर के फतेहपुर क्षेत्र में दुबे नर्सरी‎ के पास सरकारी जमीन पर‎ संचालित है। अब अपना घर आश्रम स्वयं का बनकर तैयार हो चुका हैं।

मानसिक रूप से विकलांग लोगो को तलाश कर रखा जाता हैं यहां

दिमागी संतुलन बिगड़ने से कई‎ मानसिक दिव्यांग सड़कों पर‎ दरबदर भटकते हैं। ऐसे लोगों के‎ लिए समाजसेवी मिलकर शहर में‎ अपना घर आश्रम संचालित कर‎ रहे हैं। ऐसे दिव्यांग लोगो को यहां प्रभुजी कहा जाता हैं। इससे पूर्व अपना घर आश्रम शहर के फतेहपुर क्षेत्र में दुबें नर्सरी के पास सरकारी जमीन पर संचालित हो रहा था। यहां कई मानसिक रूप से दिव्यांग लोग सही ईलाज और देखरेख के कारण सही होकर वापस भी जा चुके हैं

समाजसेवी आए इस पुण्य काम में

शिवपुरी शहर से 11 किमी दूर‎ शारदा सॉल्वेंट के पास फोरलेन‎ हाइवे किनारे 6 बीघा में नया‎ आश्रम बनकर तैयार है। इसमें से‎ डेढ़ बीघा जमीन जैकेट कारोबारी रमेशचंद्र अगवाल व डेढ़ बीघा‎ समाजसेवी समीर गांधी ने खरीदकर दान दी है। इस परिसर में‎ 11500 वर्गफीट जमीन पर 150 सीटर बिल्डिंग बनकर तैयार है।‎

1500-1500 वर्गफीट साइज के तीन बड़े हॉल बने हैं। पहला‎ हॉल समाजसेवी अमन गोयल, दूसरा जितेंद्र जैन गोटू और तीसरा‎ वैभव रघुवंशी ने बनवाया है। दूसरे फेस में 150 सीटर के लिए‎ काम शुरू करा दिया है जो साल 2023 तक तैयार होगा। इसके‎ बाद कुल 300 प्रभुजी एक साथ रह सकेंगे।‎

यहां 2 हजार वर्गफीट में बड़ी रसोई और 1 हजार वर्गफीट में ऑफिस‎ बनाया जा रहा है। 600 वर्गफीट में मिनी हॉस्पिटल भी बन रहा है।‎ हॉस्पिटल साल 2022 में ही कंप्लीट हो जाएगा। यानी प्रभुजी के इलाज‎ की सुविधा आश्रम के अंदर ही उलब्ध होगी। अस्पताल की तरफ से‎ प्रभुजी का समय-समय पर परीक्षण होता है। बेहतर देखभाल व इलाज‎ से कई प्रभुजी की याददाश्त लौटने से घर वापसी भी हो चुकी है।‎

मदद के लिए लिखी जाती हैं ठाकुरजी को चिठ्ठी

आश्रम संचालित करने के लिए कोई सरकारी मदद नही जा रही हैं। यदि किसी वस्तु की कमी याह जरूरत पडती हैं तो पदाधिकारी आश्रम पटल पर ठाकुरजी के नाम चिठ्ठी लिखकर रख देते हैं। अध्यक्ष रमेशचंद्र अग्रवाल बताते हैं कि शुरूआती दिनों की बात हैं दो बडे कुकर की जरूरत पड रही थी। ठाकुरजी को चिट्ठी लिखी तो अगले ही दिन ग्वालियर से व्यक्ति ढूंढते हुए आश्रम पहुंचे और दो बडे कुकर भेट कर चले गए। ठाकुरजी की चिट्ठी की बदौलत आश्रम में कभी किसी तरह की परेशानी नही आई।
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