भ्रूण हत्या से बडा कोई पाप नहीं,गर्भ के समय दिए संस्कार बच्चों को महानता की और ले जाते है:मुनि अभय सागर- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। पंचकल्याणक की शुरुआत राग-रंग से हुआ करती है, परंतु इसका उपसंहार वीतरागता से होता है। पंचकल्याणक महोत्सव में इतने प्रदर्शन का उद्देश्य मात्र इतना है कि कैसे एक आत्मा ने संसार की परंपराओं का अंत किया और परमपद मोक्ष को प्राप्त कर लिया। इसी प्रकार जो गृहस्थ वीतरागता की उपासना के साथ थोड़ा सा भी संयम अपने जीवन में स्वीकार करने के भाव करता है, उसका वीतरागता पाने की ओर बढ़ने का पुरुषार्थ प्रारंभ हो जाता है, और निश्चित ही एक न एक भव में उसका कल्याण भी संभव हो जाता है। यह मंगल प्रवचन पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान में आचार्य विद्यासागर महाराज के परम शिष्य अभयसागर महाराज ने दिए।

उन्होंने कहा कि आज गर्भ कल्याणक के दिन आपकी पूजन का उद्देश्य यह होना चाहिए कि भगवन जैसे आपने संसार मे आने-जाने के क्रम का नाश कर लिया, वैसे ही मेरे जीवन मे वह घड़ी जल्द आए, जब मैं आप जैसा आत्मिक सुख को प्राप्त कर सकूं। संसार की सभी सुख-साधन की चीजों को प्राप्त करना बहुत सुलभ है। परंतु भगवान की भक्ति करने के लिए बहुत पुण्य की आवश्यकता होती है। पुण्य के उदय में पुण्य कर्म का बंध विरले जीव ही कर पाते हैं।

आज हमारे पास सब कुछ है पर भगवान की आराधना के लिए हमारे पास समय नही है। और हम आत्मिक सुख पाना चाहते हैं। याद रखना संसार के कार्यों में विराम देकर ही सुख की प्राप्ति हो सकती है। उंन्होने कहा कि आज विवाह को मात्र वासना का रूप दे दिया, अतः संतान संस्कार विहीन होती जा रही है। आज पद को प्राप्त करने की तो होड़ है, परन्तु संस्कारों को उठाकर साइड मे रख दिया है।

वर्तमान में लिंग परीक्षण और करवाने की व्यवस्था हो गई है। और आपका कैसा दुर्भाग्य है कि एक चींटी को तो बचाने की बात करते हैं, परन्तु अपेक्षित संतान गर्भ में न हो तो भ्रूण हत्या करने से भी नहीं चूकते। ऐसे में हो सकता है कोई महान आत्मा गर्भ में आई हो, और आपने भ्रूण हत्या के माध्यम से एक महान आत्मा की हत्या कर दी। गर्भ के दौरान ऐसे भाव रखें, जिससे वह आत्मा भी महानता को प्राप्त हो, क्योंकि गर्भ के संस्कार ही बच्चों में प्रायःकर देखने को मिलते हैं।

मुनि श्री प्रभात सागर महाराज ने कहा कि गर्भ कल्याणक होने की पात्रता मात्र मनुष्य गति में ही हो सकती है, देव गर्भ कल्याणक मना तो सकते हैं। परंतु जीवन मे एक भी कल्याणक प्राप्त नही कर सकते। परंतु कल्याणक मनाने वालों के जीवन मे एक दिन ऐसा भी आ सकता है, कि एक दिन उनका भी कल्याणक मन सकता है।

मुनि श्री निरीहसागर महाराज ने कहा कि ये पँचकल्याक के साथ साथ विश्व शांति महायग भी है, जिसमें विश्व के समस्त जीवों की शांति की कामना करते हैं। परन्तु आपका दुर्भाग्य है,कि आप लोग वर्तमान में हमारी भारतीय संस्कृति जो उजाले की संस्कृति है, उसे तो छोड़ते जा रहे हैं, और पश्चिमी सभ्यता को अपनाते जा रहे हैं, जो अशुभता का प्रतीक है। ऐसे में संतान में संस्कार आएंगे कहाँ से? उंन्होने कहा कि, आचार्य श्री हमेशा कहते हैं कि बच्चे को ऐसे संस्कार गर्भ में ही देना चाहिए, जिससे बच्चा आपकी सुने।

आजकल के माता-पिता का पुण्य तो अच्छा है, कि उन्हें ऐसे बच्चे मिले। जबकि बच्चों का पुण्य अच्छा नहीं है, उन्हें ऐसे माता मिले, जो उन्हें संस्कार प्रदान नहीं कर पाए। उंन्होने कहा कि, जिस व्यक्ति का राष्ट्र, धर्म, संस्कार और समाज के प्रति श्रद्धान और आस्था नहीं, वह मात्र संसार में जी रहा, उसका कोई महत्व नहीं। ऐसा व्यक्ति मात्र तिर्यंच की भांति है, जो सिर्फ अपने लिए जीता है।

शिवपुरी पंचकल्याणक महामहोत्सव के दौरान आज सुबह गर्भकल्याणक की पूजन की गई। दोपहर में दोपहर में माता मरुदेवी की गोद भराई का कार्यक्रम हुआ तत्पश्चात कार्यक्रम स्थल से पुरानी शिवपुरी मंदिर तक घटयात्रा निकाली गई। और सीमंतनी आदि क्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्र. प्रदीप भैया 'सुयश' और सह प्रतिष्ठाचार्य पं. सुगनचंद आमोल के निर्देशन में सम्पन्न हुई।

आज के महाआरती के पुण्यार्जक राजाराम आनंदकुमार अंकित कुमार अक्षय कुमार पारस प्लाईबुड परिवार रहे तथा हैलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा का सौभाग्य श्री अजित जैन धौलागढ़, श्री वीरेंद्रकुमार कपिल जैन पत्तेवाले, श्री प्रेमचंद राकेश कुमार क्लॉथ किंग, श्री विकास जैन क़िलावानी, श्री चिंतामणि जी किलावानी एवं श्रीमती आशा को प्राप्त हुआ वहीं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य विकाश-खशबू जैन क़िलावानी, गुना की दीदी, अभिषेक जी जड़ीबूटी परिवार एवं संजय-ममता जैन जड़ीबूटी परिवार को प्राप्त हुआ।

प्रतिदिन कर रहे दस हज़ार लोग निःशुल्क भोजन

पंचकल्याणक महोत्सव में स्वर्गीय सेठ बचनलाल पत्ते वालों की पुण्य स्मृति में देवेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, धर्मेंद्र कुमार, सचिन कुमार पत्ते वालों द्वारा नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था विशाल की गई है जिसके लिए विशाल भोजनशाला का निर्माण किया गया है, जिसमें मधुकांश, मेवाड़ केटर्स रतलाम द्वारा स्वादिष्ट भोजन निर्माण किया जा रहा है वहीं, भोजन खिलाने की व्यवस्था सुरेंद्र जैन अमोल, कैलाश पल्लीवाल सहित समस्त जैन समाज के पुरुष- महिला संगठन मिलकर संभाल रहे हैं। वही विशाल पांडाल, डोम, की सम्पूर्ण सुंदर टेंट व्यवस्था श्री अमित जैन संजय टेंट हाऊस बबीना द्वारा की गई है। लाइट माइक व्यवस्था साईं इलेक्ट्रिक साउंड द्वारा की गई है। पांडाल निर्माण, स्टेज निर्माण में दिनेश जैन 'कल्लू भैया' की महती भूमिका रही।

आज यह कार्यक्रम होंगे
आज 07 दिसम्बर मंगलवार को निम्नलिखित कार्यक्रम यहां आयोजित होंगें। सुबह 6ः15 बजे अभिषेक-शांतिधारा, सुबह 6ः45 पर बालक आदिकुमार का जन्म, 7ः15 पूजन 8 बजे जन्माभिषेक के लिए शचि इंद्राणि द्वारा गर्भ गृह से आदिकुमार को लाकर सौधर्म इन्द्र को सौंपा जाएगा। 8ः30 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन। सुबह 9:30 बजे से शिवपुरी में जन्म कल्याणक की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जिसका रूट इसप्रकार रहेगा।

गांधी पार्क अयोध्या मैदान से जुलूस प्रारंभ होगा, जो न्यू ब्लॉक, अरिहंत फर्नीचर के सामने, छर्च बालों के आगे से एबी रोड माधव चौक, गुरुद्वारा रोड होते हुए राजेश्वरी रोड से अस्पताल चौराहा, अग्रसेन चौक, कीर्ति स्तंभ चौक, महावीर स्वामी मार्ग (कोर्ट रोड), गांधी चौक से मिर्ची बाज़ार कीर्ति स्तम्भ, धर्मशाला रोड, आर्य समाज रोड होकर वापस गांधी पार्क मैदान में पहुंचेगा। जहां सौधर्म इंद्र, द्वारा बालक आदिकुमार का 1008 कलशों से पांडुक शिला पर अभिषेक किया जाएगा l तत्पचात मुनिश्री के मंगल प्रवचन होंगे। रात 6ः45 पर महाआरती एवं रात 8:00 बजे से पालना एवं बाल क्रीड़ा आदि कार्यक्रम होंगें
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