जंगल के राजा को कितना भोजन हैं इसलिए पार्क में लगाए जा रहे हैं 45 कैमरे, टाइगर के लिए शहर के नालो का प्रदुषण बनेगा समस्या

Bhopal Samachar
शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर आने की राह में वाइल्ड लाइफ ने कांटे बिछा दिए थे। पार्क में टाइगर आने के पूरे रास्ते साफ थे लेकिन वाइल्ड लाइफ ने एक मीटिंग के दौरान यह पेंच फसा दिया था कि टाइगर को शिकार करने के लिए पार्क में पर्याप्त जानवर नही हैं।

शिवपुरी के पार्क प्रबंधन की वन्य प्राणी की संख्या को नही माना,लेकिन अब शिवपुरी के नेशनल पार्क में कितने जानवर हैं,टाइगर को शिकार करने में अधिक परेशानी तो नही होगी इसके लिए अब नेशनल पार्क में 45 कैमरे लगाए जा रहे हैं। इन कैमरो में 21 दिन की रिकॉर्डिंग की जाऐगी,और इसी के आधार पर तय होगा की जंगल में राजा आऐगा की नही।

बडा सवाल बन रहा था कि पार्क में टाइगर के लिए पर्याप्त भोजन पार्क में उपलब्ध होगा या नहीं। यह तय हो चुका है कि एक टाइगर नहीं बल्कि दो जोड़े या इससे अधिक टाइगर शिवपुरी को मिलेंगे। टाइगर पिंजरे में नहीं, बल्कि वहां प्राकृतिक वातावरण में रहेगा। ऐसे में उसके लिए पर्याप्त शाकाहारी जानवरों की उपलब्धता जरूरी है जिससे वह आसानी से शिकार कर सके और आराम से रह सके। इसके लिए नेशनल पार्क में शुक्रवार से कैमरा ट्रैपिंग की जा रही है।

कैमरा ट्रैपिंग 21 दिन तक चलेगी जिसमें 45 कैमरा पार्क में अलग-अलग जोन में लगाए जाएंगे। इन कैमरों में 21 दिन तक रिकॉर्डिंग करने के बाद एनालिसिस की जाएगी कि साल 2018 की गणना के बाद से यहां कितने जानवर बढ़े हैं। साथ ही टीम यह भी देखेगी कि इतने जानवरों की संख्या टाइगर के लिए पर्याप्त होगी या नहीं। इसके लिए गुरुवार को वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर की टीम ने नेशनल पार्क प्रबंधन अधिकारियों और कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ओर से वैज्ञानिक डॉ. तनुज और डॉ. ऋषि शिवपुरी में आए हैं। एनटीसीएम के साथ 18 नवंबर को सीसीएफ सीएस निनामा की महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली में होना थी, लेकिन दिल्ली में बने प्रदूषण के हालात के कारण रद्द हो गई थी। अब यह बैठक इसी माह ऑनलाइन करने पर विचार किया जा रहा है। इसमें एनटीसीए टाइगर के लिए जरूरतें बताएगा जिसे पूरा करने के संबंध में नेशनल पार्क काम शुरू कर देगा।

टाइगर कोरिडोर में होंगे दो घेरे
माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघ लाने से पहले उसकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। इसके लिए खाली कराए जा रहे गांव सहित पार्क के अन्य भाग में टाइगर के लिए बनने वाला कॉरिडोर दो घेरों में होगा। पहला घेरा छोटा होगा, जिसमें बाघों को लाकर रखा जाएगा, जबकि छोटे घेरे को कवर्ड करते हुए दूसरा घेरा भी बनाया जाएगा। तीन-चार महीने छोटे घेरे में रखने के बाद जब बाघ पार्क के जंगल की आबोहवा में रच-बस जाएंगे तो फिर उन्हें दूसरे घेरे में छो़ड़ने के साथ ही पार्क के जंगल में घूमने की पूरी आजादी रहेगी। अभी हाल ही में 125 हेक्टेयर क्षेत्र में यह तैयारी की गई हैं।

बैठक में हुई टाइगर की सेहत को लेकर चर्चा
टाइगर के पुर्नवास के संबंध में एक दिन पहले सीसीएफ ने अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की। इसमें टाइगर से संबंधित स्वास्थ्य एवं सेहत से संबंधित पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। पीएचई एवं नगर पालिका की टीम के माध्यम से माधव नेशनल पार्क आ रहे पानी पर विस्तृत रूप से चर्चा की क्योंकि यह पानी शिवपुरी के नालों से होकर जाधव सागर के माध्यम से पहुंचता हैं।

इसमें कास्टिक सोडो, साबुन युक्त पानी रहता है। जिसकी विधिवत टेस्टिंग कराकर ही पहुंचाया जाए जिससे पानी के उपयोग से किसी भी प्रकार की जानवरों को परेशानी न हो। इसके अतिरिक्त बड़ी झील के माध्यम से अलग से पानी की व्यवस्था की जाएगी जिसकी टेस्टिंग भी कराई जाएगी।

शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या बढ़ेगी तब होंगे टाइगर के लिए माकूल हालात
पार्क की जद में आ रहे पांच गांव का मसला भी अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। यहां पर कुछ लोगों ने खेती के लिए बीज डाल दिए हैं। यहां पर नेशनल पार्क प्रबंधन भी शाकाहारी पशुओं के लिए चारागाह बना रहा है। इस जमीन पर जेसीबी से गड्ढे करवाकर घास का बीज डाला गया है।

दूसरी ओर यहां के अतिक्रमणकारी अभी भी कुछ माह का समय मांग रहे हैं, लेकिन अब प्रबंधन उन्हें किसी भी तरह की मोहलत देने के मूड में नहीं है। जंगल में शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या बढ़ाने के लिए पौधे और घास की प्रजातियां बढ़ाने के साथ पर्याप्त जलस्रोत बनाए जाएंगे। इस क्षेत्र में तेंदुए, लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, खरगोश, जंगली सुअर, नीलगाय आदि वन्य प्राणी हैं।

इनका कहना है
45 कैमरे लगाकर 21 दिन रिकॉर्डिंग कर देखेंगे कि वन्यप्राणियों की संख्या में कितना इजाफा हुआ है। इसके लिए प्रशिक्षण भी दे दिया गया है। टाइगर लाने के संबंध में सभी काम तेजी से किए जा रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही टाइगर का पुर्नवास किया जा सकेगा।
अनिल सोनी, उपसंचालक, माधव राष्ट्रीय उद्यान
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