शिवपुरी। शहर में सुअरों को लेकर तमाम दिलासे और आश्वासन देने के बाद भी नगर पालिका प्रशासन शिवपुरी शहर में सूअरों की लाईलाज समस्या का समाधान नहीं कर पाया है और न ही नगर पालिका में कार्यरत सूअर पालकों के विरूद्ध वह कोई कदम उठा पाया है। जिसके कारण शहर में सूअरों की समस्या यथावत बनी हुई है और कॉलोनियों गलियों तथा मोहल्लों में सूअरों की भारी भीड़ देखी जा रही है। ऐसी स्थिति में अब नगर पालिका का ही आसरा है। सूअर समस्या से शहर को मुक्ति दिलाने के लिए अभिभाषक संजीव बिलगैयां ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है। जिसकी सुनवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में होने की उम्मीद है।
शिवपुरी शहर में पिछले 10 सालों से सूअर समस्या बनी हुई है। जिसने अब गंभीर रूप ले लिया है। सूअरों के लिए नगर पालिका ने प्रयास तो किए। लेकिन पूरे मन से प्रयास न करने के कारण कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि सरकारी खजाने से भी लाखों रूपए सूअरों के शूटआउट के नाम पर खर्च कर दिए गए। मजे की बात तो यह है कि अधिकांश सूअर पालक नगर पालिका में कार्यरत हैं। लेकिन इसके बाद भी नगर पालिका प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा।
बल्कि आरोप तो यह है कि नगर पालिका प्रशासन का सूअरों को संरक्षण मिला हुआ है। प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के निर्देश पर पिछले दिनों कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह भी सूअर पालक के निवास स्थान पर पहुंचे थे और ऐसा लगा था कि सदभावनापूर्ण तरीके से सूअर समस्या का हल हो जाएगा। लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला।
इसी दौरान अभिभाषक संजीव बिलगैयां ने कहा कि वह इस समस्या के निदान के लिए उच्च न्यायालय जा रहे हैं और उच्च न्यायालय के निर्देशों का यदि पालन किया जाता तो सूअर समस्या कभी की हल हो गई होती। इसके पश्चात नगर पालिका प्रशासन चेता और उसने सूचना जारी कर सूअर पालकों से कहा कि वह अपने सूअरों की जानकारी निश्चित दिनांक तक दें अन्यथा उक्त सूअरों को लावारिश मानकर उनकों पकडऩे तथा उनके खात्मे की कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन इस सूचना का भी सूअर पालकों पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद नगर पालिका ने टीम बुलाकर सूअरों की पकड़ा धकड़ी की और मुश्किल से 500-700 सूअर ही पकड़े जा सके। जबकि शहर में 30 से 40 हजार तक सूअर हैं। इसके बाद नगर पालिका ने सूअरों को पकडऩे का अभियान रोक दिया और सूअर पालक निश्चिंत हो गए। जिसके कारण हर गली मोहल्ले और कॉलोनियों में सूअरों का जमावड़ा देखा जा रहा है। सूअरों के कारण शहर में कई लोग दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं।
शिवपुरी शहर में पिछले 10 सालों से सूअर समस्या बनी हुई है। जिसने अब गंभीर रूप ले लिया है। सूअरों के लिए नगर पालिका ने प्रयास तो किए। लेकिन पूरे मन से प्रयास न करने के कारण कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि सरकारी खजाने से भी लाखों रूपए सूअरों के शूटआउट के नाम पर खर्च कर दिए गए। मजे की बात तो यह है कि अधिकांश सूअर पालक नगर पालिका में कार्यरत हैं। लेकिन इसके बाद भी नगर पालिका प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा।
बल्कि आरोप तो यह है कि नगर पालिका प्रशासन का सूअरों को संरक्षण मिला हुआ है। प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के निर्देश पर पिछले दिनों कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह भी सूअर पालक के निवास स्थान पर पहुंचे थे और ऐसा लगा था कि सदभावनापूर्ण तरीके से सूअर समस्या का हल हो जाएगा। लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला।
इसी दौरान अभिभाषक संजीव बिलगैयां ने कहा कि वह इस समस्या के निदान के लिए उच्च न्यायालय जा रहे हैं और उच्च न्यायालय के निर्देशों का यदि पालन किया जाता तो सूअर समस्या कभी की हल हो गई होती। इसके पश्चात नगर पालिका प्रशासन चेता और उसने सूचना जारी कर सूअर पालकों से कहा कि वह अपने सूअरों की जानकारी निश्चित दिनांक तक दें अन्यथा उक्त सूअरों को लावारिश मानकर उनकों पकडऩे तथा उनके खात्मे की कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन इस सूचना का भी सूअर पालकों पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद नगर पालिका ने टीम बुलाकर सूअरों की पकड़ा धकड़ी की और मुश्किल से 500-700 सूअर ही पकड़े जा सके। जबकि शहर में 30 से 40 हजार तक सूअर हैं। इसके बाद नगर पालिका ने सूअरों को पकडऩे का अभियान रोक दिया और सूअर पालक निश्चिंत हो गए। जिसके कारण हर गली मोहल्ले और कॉलोनियों में सूअरों का जमावड़ा देखा जा रहा है। सूअरों के कारण शहर में कई लोग दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं।
