शिवपुरी। कहते है जीवन की डोर भगवान के हाथ में हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने मिट्टी खाते समय मां यशोदा को अपने मुख में सारे ब्राहम्मण के दर्शन करा दिए थे। वह भगवान जिनके मुख में सारा ब्राहम्ण समाया हैं वह पूर्ण परेमश्वर कान्हा बन आपके हाथो में आ आजे हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म को प्रधान माना हैं,भक्ति की शक्ति से वह आपके पास खीचे चले आते हैं प्रेम का वास्तिवक अर्थ कान्हा की भक्ति में दिखता है। यह प्रेम ही है,यह भक्ति की शक्ति ही है कि सारे ब्राहम्मण की डोर पर आपके हाथ में रखने वाले श्री कृष्ण ने अपनी डोर आपके हाथ में सौंप दी।
ऐसा ही कुछ नाजारा शहर के बीचो बीच स्थित श्रीनर्सिंग भगवान के मंदिर में देखने के मिली जहां कान्हा का जन्मोउत्सव बडी ही धूमधाम से मनाया गया। मंदिर को सजाया गया। नटखट कान्हा को झूले पर झूलाया गया। बडी ही सुदंर झांकी बनाई गई थी।
झूले पर बाके बिहारी विराजमान थे। भक्त मंदिर पर आकर उनके झूले को झूला रहे थे। कान्हा की झूले की डोर भक्त के हाथो में थी। यह दृश्य बता रहा था कि चाहे आपके जीवन की डोर मेरे हाथ में हैं,लेकिन भक्ति की भाव में अपनी डोर में भी आपको हाथो में सौंप दूंगा।