Shivpuri News नगर पालिका: कमीशन के चक्कर में दिया गया ठेकेदारो को लाभ, 4.15 करोड रूपए मांगें नपा से आयकर विभाग ने

Bhopal Samachar
शिवपुरी। भ्रष्टाचार से भरी नगर पालिका शिवपुरी से एक खबर आ रही है। खबर कर्मचारियो के भ्रष्टाचार से जुडी हुई हैं और इस भ्रष्टाचार की कीमत नगर पालिका संस्था को चुकानी पड रही है। नगर पालिका के ठेकेदारो के भुगतानो में इंकमटैक्स के टैक्स कटौत्रा के मामले में 4.15 करोड रूपए नपा संस्था को इंकमटैक्स विभाग को चुकाने पड रहे हैं।

इंकमटैक्स विभाग ठेकेदारो से वसूली न करने के बजाय सीधे नगर पालिका संस्था से बसूली कर रहा है। ऐसे में अगर नगर पालिका को आयकर विभाग को इतनी बडी रकम देनी पडी तो अति आवश्यक काम के साथ साथ कर्मचारियो के वेतन के लाले भी पड सकते है।

आयकर विभाग ने वसूली निकालने के साथ-साथ एसबीआइ बैंक को धारा 256 में पत्र भेजकर तत्काल इस राशि का डीडी बनाने के निर्देश भी आयकर विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हैं। इसके पालन में बैंक ने भी डीडी बनाकर तैयार कर लिया है। हालांकि अभी इसे डिपोजिट नहीं किया गया है। इस बड़ी राशि को बचाने के लिए नगर पालिका और जिला प्रशासन एड़ी चोटी का जोर लगा चुका है, लेकिन भोपाल आयुक्त के आगे सारे प्रयास विफल ही साबित हुए।

आयकर विभाग ने जो टैक्स संबंधी रिकवरी नगर पालिका पर निकाली है वह करीब चार साल पुराने मामले में हैं। टैक्स कटौत्रा के ऑनलाइन सिस्टम लागू होने के पहले तक नगर पालिका द्वारा ठेकेदारों से कटौत्रा काटा जाता था। साल 2017-18 में नगर पालिका ने बिना पैन कार्ड के ही 20 प्रतिशत के बजाए सिर्फ 2 प्रतिशत का कटौत्रा ठेकेदारों से काटा। इसके चलते आयकर विभाग को 18 प्रतिशत कम राशि मिली। जब यह गड़बड़ी पकड़ी गई तो यह 18 प्रतिशत की राशि अब आयकर विभाग नगर पालिका से वसूल रहा है।

ठेकेदारों को पहुंचा दिया करोड़ों का फायदा
नियमानुसार नगर पालिका को ऐसे ठेकेदार जिनके पैन नंबर नपा के पास नहीं है, से चेक राशि का 20 प्रतिशत कटौत्रा आयकर के एडवांस के रूप में काटना था। नगर पालिका ने पैन नंबर नहीं होने के बाद भी 20 के बजाए दो प्रतिशत टैक्स काटा। यह नुकसान सीधे-सीधे आयकर विभाग को हुआ और इसका लाभ ठेकेदारों को मिला क्योंकि पैन नंबर नहीं होने से उन्हें सिर्फ 2 प्रतिशत कटौत्रा दी देना पड़ा और इस 18 प्रतिशत को उन्हें लाभ मिल गया,ऐसा नही हो सकता की नपा के कर्मचारियो को इस नियम की जानकारी नही हो। कर्मचारियो ने अपना कमीशन बढाया और बिना कटौत्रा के भुगतान कर दिए।

इस तरह नपा ने गवाएं करोड़ों
नगर पालिका में आयकर विभाग की तीन धाराएं काम करती हैं। ठेकेदारों का आयकर कटौत्रा धारा 94सी के अंतर्गत होता है। कर्मचारियों का वेतन धारा 92बी के अंतर्गत आता है और नगर पालिका जिनसे सेवाएं लेती है उनका कटौत्रा 94जे के तहत आता है। नगर पालिका ने बिना पैन कार्ड के ठेकेदारों का आयकर कटौत्रा दो प्रतिशत काटा जबकि नियमानुसार उन्हें 20 प्रतिशत कटौत्रा कटाना चाहिए था।

ऑनलाइन सिस्टम हो जाने के बाद यह विसंगति आयकर विभाग ने पकड़ ली। सन् 2016-17 में आयकर टीम ने नगर पालिका में सर्वे किया और अकाउंट रिकॉर्ड के साथ कैशबुक की जांच की। रिकॉर्ड की जांच में यह सामने आया कि नगर पालिका द्वारा ठेकेदारों को 20 प्रतिशत के बजाए मात्र 2 प्रतिशत कटौत्रा ही काटा गया है। इसके बाद आयकर विभाग ने वसूली के लिए पत्राचार शुरू कर दिया।

आयुक्त के पत्रों को किया नजरअंदाज, यही लापरवाही पड़ी भारी
आयकर कटौत्रे की विसंगति को लेकर आयकर आयुक्त भोपाल से नगर पालिका को समय-समय पर पत्राचार किया जाता रहा। जबाव देने में नगर पालिका ने गंभीरता नहीं बरती और जब नगर पालिका लापरवाह साबित हुई तब अंतिम तौर पर एक पक्षीय कार्रवाई करने का पत्र भी आयुक्त की ओर से नगर पालिका को मिला। इसके बाद भी नगर पालिका ने इस मामले में कोई रूचि न दिखाते हुए कोई जबाव नहीं दिया। नतीजन आयुक्त ने 4.15 करोड़ रुपये की वसूली किए जाने का एकतरफा निर्णय ले लिया।

यह कर रही है नगर पालिका
4.15 करोड़ रुपये को बचाने के लिए नगर पालिका उन चेक पेमेंटों का खंगाल रही है जिनकी फर्मों के पैन नंबर नगर पालिका के पास नहीं हैं। ऐसी फर्मों से पैन नंबर मंगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही नगर पालिका ने रिकवरी के खिलाफ अपील भी दायर की है। कोरोना काल के चलते इस मामले में सुनवाई नहीं हो पाई। वहीं आयकर विभाग ने अपनी अटैचमेंट पावार का उपयोग करते हुए बैंक को इस राशि की रिकवरी के लिए डीडी बनाने के निर्देश दे दिए हैं। जिसके पालन में बैंक ने भी डीडी बनाकर तैयार कर दिया है।

एक्सपर्ट वर्जन
इस मामले में आयकर विभाग की कार्रवाई एकदम नियम संगत है। गलती पूरी तरह से नगर पालिका की है क्योंकि उसने विषय की गंभीरता को न समझकर इस मामले में लापरवाही बरती है। इसके कारण ही उसे करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अपील में जो पूर्ति आप कर देंगे उतना टैक्स रिफंड हो जाता है। नगर पालिका को शुरुआत में ही इसे गंभीरता से लेकर टैक्स विशेषज्ञों की राय लेकर आगे की कार्रवाई करना चाहिए थी।
ओएल जैन, सेवानि. इनकम टैक्स ऑफिसर।
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