कूनो अभ्यारण्य: पुराना इतिहास हैं इस जंगल में शेरो का सिंधिया राजवंश भी अफ्रिका से लाया था यहां शेर - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पोहरी की सीमा से लगा हुआ श्योपुर जिले में आने वाला कूनो नेशनल पार्क मे 6 माह के अंदर अफ्रिकन चीता आ सकता हैं,इसकी तैयारी में पार्क प्रबंधन जुट गया हैं। पार्क में चीताओ के आने के कारण शिवपुरी जिले में पर्यटन के बढने की उम्मीद हैं।

100 साल पूर्व थे यहां शेर,सिंधिया राजवंश लाया था,यह हैं इस जंगल का इतिहास

बताया गया है कि सौ साल पहले महाराजा सिंधिया के प्रयासों से दक्षिण अफ्रीका से लाकर यहां बसाए गए थे। इससे पूर्व 455 साल पहले (वर्ष 1666 में) चंद्रवंशी राजा बलभद्र सिंह ने यहां अपनी राजधानी बसाई। यहां कूनो नदी के किनारे आलीशान किला है, जो अभी भी बेहतर स्थिति में है। इस भूमि ने कई लड़ाई देखी हैं। यहां पालपुर गढ़ी और आमेठ का किला भी है। ये स्थान डकैतों के लिए भी जाना जाता है।

कूनो अभ्यारण्य 1981 में अस्तिव में आया था। कूनो अभ्यारण्य से पूर्व इस क्षेत्र को पालपुर का जंगल कहा जाता था। यह जंगल काफी घना हैं और इस जंगल की जीवन दायिनी नदी कूनो 12 माह बहती हैं।

कूनो नदी एक ऐसी नदी हैं जो घनी आबादी में नही बहती हैं यह अपनी पूरी यात्रा जंगल में ही तय करती हैं इसका पानी पीने के लिए बेहत्तर हैं इस नदी के पानी में प्रदुषण की मात्रा न के बराबर है। 1950 के दशक में यह पालपुर रियासत का क्षेत्र था फिर यह ग्वालियर स्टेट की शिकारगाह बन गई थी।

1981 में इस क्षेत्र को जंगली जानवरो के लिए अभ्यारण्य घोषित कर दिया जब इसका क्षेत्रफल मात्र 345 वर्ग किलोमीटर था। 2003 में कूनो अभ्यारण्य हो नेशनल पार्क का दर्जा मिल गया। गुजरात के गिरी के शेरो को यहां लाने का प्रोजेक्ट बनाया गया। इसमें शिवपुरी जिले के कुछ गांव शामिल किए गए टोटल 24 गांवो को विस्थापित किया गया।

बब्बर शेरो का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा

एशियाटिक लायन (बब्बर शेर) के लिए कूनो पालपुर नेशनल पार्क में लाने का ममाला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा गुजराज सरकार ने पहले तो गिरी के शेरो को देने का वादा करती रही,लेकिन शेर देने में कुछ कुछ अंडगें लगती रही।

एम्पावर कमेटी साल 2017 में कूनो सेंचुरी का निरीक्षण कर इसे शेरों के प्रवास के लिए बेहतर बता चुकी है, लेकिन गुजरात सरकार ने कुछ खामियां बताईंं, जिससे इस प्रोजेक्ट में लगातार बाधाएं आती रहींं हैं।

शेर नही चीता बनेगा अब कूनो की शान

फिलहाल विश्व प्रसिद्ध गिरी के शेरो का आगमन तो कूनो में नही हो सका हैं,लेकिन अफ्रिकन चीतो के आने के द्धवार अवश्य खुल गए हैं। अगर सबकुछ सही रहा तो 6 माह के अंदर कूनो में अफ्रिकन चीता अवश्य आ सकते हैं।

चीतों की सुरक्षा के लिए कूनो अभ्यारण में इलेेक्ट्रिक और सामान्य दोनों प्रकार की तार फेंसिग से बाडा को सुरक्षित बनाया जा रहा हैं। अभ्यारण में चीतो के भोजन के लिए शाकाहारी एंव मांसाहारी पशुओ की गिनती चल रही है।

कूनो अभ्यारण्य के चारों और चीतों की सुरक्षा के लिए पांच वर्ग किलोमीटर लंबाई में तार फेंसिग लगाने का काम चल रहा हैं। यह फेंसिग इलेक्ट्रोनिक और सामान्य दोनों प्रकार की रहेगी। इलेक्ट्रोनिक फेंसिग के कारण कोई भी जानवर फेंसिंग को पार नही कर सकेगा। क्यों कि उससे संपर्क होते ही करंट लगेगा। 1981 में स्थापित हुए कूनो अभ्यारण का फैलाव 450 किली मीटर से बढकर 750वर्ग किलोमीटर में हो चुका हैं इसमें बफर एरिया 550 किलोमीटर हैं।

यह है जानवर कूनो में

चीतल 27253,सांभर 27809 नीलगाय 5621,चिंकारा 7585,वाईल्ड पिग 3768,हिरण 469,लंगूर 9117,ब्लैकबक 2174 की संख्या में हैं।

कूनो में 8 चीता आएंगें

अभ्यारण्य के अधिकारियों के अनुसार फिलहाल 8 चीताओ का आना तय हो गया हैं। इसमें नर और मादा चीताओं की संख्या का खुलासा नही हो सका हैं। कूनो अभ्यारण्य के दस्तावेजो में दर्ज शाकाहारी पशुओ की संख्या के आलावा मौजूदा स्थिती में शकाहारी जानवरो की कितनी संख्या हैं,इसकी गिनती भी चल रही हैं।

पार्क में चीता आने से बड सकता हैं शिवपुरी में पर्यटन

कूनो पार्क में चीता के आने से शिवपुरी जिले में भी पर्यटन बड सकता हैं,वर्तमान में शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में भी शेरो के लाने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा हैं। शिवुपरी जिले में भी कई दर्शनीय स्थल हैं कुल मिलाकर खजराहो,चंदेरी,शिवपुरी,कूनो और रणथम्मोर तक एक पर्यटन की एक श्रृंखला बन सकती हैं।
G-W2F7VGPV5M