करैरा। आइटीबीपी करैरा में प्रशिक्षुओं को फायरिंग रेंज में प्रशिक्षण दिया गया। इसमें जगह-जगह उठते धुंए के बीच तड़ातड चलती गोलियों की बौछार में जवान क्रोलिंग करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। देखने में यह किसी एक्शन फिल्म के वॉर सीन की तरह लगता है।
इसका निरीक्षण करने के लिए आइटीबीपी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर करैरा के डीआइजी सुरेंद्र खत्री भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण को बेटल इनोकलेशन कहते हें। इसमें जवानों को दुश्मन की चौकी के नजदीक करीब 30 से 80 गज की दूरी पर क्रोलिंग करते हुए पहुंचना होता है। इस दौरान दुश्मन सैनिकों द्वारा की जा रही गोलीबारी से भी खुद को बचाना होता है।
गोलियों की बौछार के बीच जवान क्रोलिंग करते हुए दुश्मन की चौकी के नजदीक पहुंचते हैं और उसके बाद धावा बोलकर उस पर कब्जा कर लेते हैं। जब सीमाओं पर युद्ध होता तो जवानों को इस तरह की स्थिति से रूबरू होना पड़ता है। करैरा के आइटीबीपी रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर में 24वें सप्ताह का प्रशिक्षण चल रहा है।
इसमें 28 रिक्रूट की टोली को खेराघाट फायरिंग रेंज में ले जाकर बेटल इनोकलेशन का डेमो दिया गया। इससे गोली की बौछार के बीच इन ट्रेनीज का भय निकल सके। यह प्रशिक्षण असिस्टेंट कमांडेंट नागेंद सिंह के नेतृत्व में और डीआइजी सुरेंद्र खत्री की उपस्थिति में दिया गया। इसके बाद जंगल ने भूख लगने पर वहां मौजूद संसाधनों से खुद भोजन कैसे बनाना है इसका अभ्यास भी जवानों को कराया गया। पत्थरो के चूल्हे बनाकर उपलब्ध बर्तनों में भोजन बनाते हुए भी जवान नजर आए।