पिता की कोरोना से मौत, दर - दर की ठोकरें खाने को मजबूर 3 मासूम - Bairad News

Bhopal Samachar
प्रिंस प्रजापति@ बैराड़। कोरोना काल में कई परिवारो ने अपनो को खो दिया,उनकी मौत का कारण कोरोना है,लेकिन स्वास्थय विभाग मृत्यु प्रमाण पत्रो में कोरोना को दोषमुक्त कर रहा हैं। ऐसे में इन परिवारो को शासकीय लाभ मिलने से वंचित हो रहे हैं।

ऐसे कई मामले लगातार प्रकाशित हो रहे हैं,पर इनकी सुनवाई नही हो रही हैं,लगतार विभाग इन कोरोना योद्धाओ का अपमान कर रहा हैं,मौत हुई हैं जानलेवा कोेरोना से लेकिन मृत्यु का कारण समान्य बता रहा है।

कोरोना महामारी के चलते पूरे विश्व को तोडकर रख दिया है यह महामारी कई परिवारों के लिए दारुण दुख लेकर आइ है जिले के ग्राम इंदार में भी कोरोना के कारण पांच बच्चों के सिर से माता - पिता दोनो का साया उठ गया है इनके माता पिता दोनो को कोरोना संक्रमण ने अपना ग्रास बना लिया और बेसहरा अनाथ बच्चे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है।

लेकिन फिलहाल बच्चों के मामा पांचो बच्चों को बैराड़ लेकर आ गए है बैराड़ तहसील में भी एक ऐसा ही बहुत ही दर्दनाक घटना कोरोना संक्रमण के चलते देखने को मिली है दर्दनाक बात यह है कि मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं शिवपुरी जिले की बैराड़ तहसील क्षेत्र में एक ऐसा परिवार देखने को मिला है जहां कोरोना की मार के चलते 3 बच्चे अनाथ हो गए हैं जिनके सिर से पिता का साया हमेशा हमेशा के लिए उठ गया है।

जानकारी के अनुसार अनिल धाकड़ पुत्र नक्टूराम धाकड़ की कोरोना महामारी से 29 मई 2021 की शाम मृत्यु हो गयी। उसके मासूम बेटे ने गमगीन माहौल के बीच अनिल का अंतिम संस्कार ग्राम अहिल्यापुर पंचायत खटका तहसील बैराड़ जिला शिवपुरी में किया।

मात्र 34 साल की उम्र का अनिल धाकड़ अपने पीछे एक मासूम लड़का नवनीत धाकड उम्र 5 बर्ष एवं दो लड़कियों कविता धाकड़ उम्र 9 बर्ष व रोनक धाकड़ उम्र 7 बर्ष को अनाथ छोड़ कर चला गया इतना ही नही इनके अलावा घर में अनिल के बृद्व माता पिता और पत्नी को रोता छोड़ कोरोना ने अनिल को अपना ग्रास बना लिया।

जिसने भी यह दर्दनाक खबर सुनी वह विधाता की क्रूर नियति पर अफसोस जताने लगा। कोरोना संक्रमण से मौत होनै के बाद भी अस्पताल से दिए मृत्यु प्रमाणपत्र में कोरोना भी नहीं दर्शाया।

वहीं स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इन अनाथ बच्चों के भरण पोषण शिक्षा व रहने के लिए सरकार व जिला प्रशासन खुद आगे बढ़कर कदम उठाएं कहीं ऐसा ना हो कि सरकार की घोषणाएं दिखावटी साबित हो एवं इन बच्चों को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए विवश होना पड़े। देंखें प्रशासन इन अनाथों को इस संकट से उबारने के लिए क्या कदम उठाता है।
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