लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझने लगे परिवार,अब खाने का संकट - Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। मार्च माह से जारी लॉकडाउन ने लोगों की अर्थव्यवस्था को बिगाडकर रख दिया है। कई लोग ऐसे हैं जो हर रोज अपनी दुकान खोलकर उससे कमाई करते थे लेकिन डेढ माह से अधिक समय बीत जाने के बाद अब लोगों के सामने आर्थिक तंगी होने लगी है और कई लोग बैठे बैठे अपनी जमा पूंजी तक खा गए हैं ऐसे में अब उनके सामने पूंजी का संकट खडा हो गया है।

चाट के ठेले से कमाता था 500

शहर के गुरूद्वारा चौराहे पर चाट का ठेला लगाने वाले ओम का कहना है कि वह चाट का ठेला लगाकर हर रोज 500 रूपए कमाता था लेकिन डेढ माह हो गया अब तो जमा पूंजी भी खा ली। ऐसे में अब आगे कैसे परिवार का गुजारा होगा। किराए का मकान है साथ ही हाथ ठेला भी किराए पर हैं गुजारा करना मुश्किल हो रहा है।

बेटर का काम कमाता था 400, अब बेरोजगार

हाकिम बेटर का काम कर 400 रूपए हर रोज कमाता था लेकिन डेढ माह के लॉकडाउन ने उसके परिवार की ही कमर तोड दी है। परिवार में कमाने वाला वह ही है। बूढे पिता है वह कहां कमाने जाएंगे। घर में जो भी कुछ थोडा बहुत पैसा जमा किया था वह भी खा लिया अब तो घर खर्च के लिए भी पैसे नहीं उधार सामान भी कहां तक लाएं।

बंद हो गई दुकान, कहां से करें गुजारा

हिमेश की सोने चांदी की दुकान है और उसकी छोटी सी ही दुकान है ऐसे में वह हर रोज दुकान जाकर कुछ सामान बनाकर पैसा कमा लेता था लेकिन डेढ माह से घर पर बैठकर जमा पूंजी खा रहे हैं। यदि लॉकडाउन कुछ दिन ऐसे ही रहा तो परिवार का गुजारा करना मुश्किल होगा।

कोरोना के चलते घरों में हुआ काम बंद

बैजंती लोगों के घरों में झाडू पौंछा और बर्तन साफ कर अपने परिवार का पेट पाल रही थी उसके पति का टेलरिंग का काम था लेकिन वह बंद हैं। ऐसे में परिवार की जबावदारी अब उस पर हैं। लेकिन कोरोना के डर के चलते कई घर वालों ने काम कराने से ही मना कर दिया है। वह दो घरों में बर्तन व झाडू कर 1500 रूपए महीना कमा रही हैं लेकिन मंहगाई में इतने कम पैसों में गुजारा कैसे करें समझ से परे हैं।

डिप्रेशन का शिकार हो रहे लोग

लॉकडाउन के चलते कई लोग डिप्रेशन का शिकार तक होने लगे हैं। कई लोगों को अपने रोजगार की चिंता सता रही है तो किसी ने मकान और किसी ने कार के लिए लोन ले रखा है लेकिन किश्त जारी है उसमें कोई छूट नहीं हैं ऐसे में कर्ज के बोझ तले लोगों के सामने अब कर्ज पटाने की चिंता ने उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना दिया है।
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