ब्राह्मण समाज के सम्मेलन पर सवाल, भारी पडी यह POST, ब्राह्मण शब्द के आधार पर उठाया सवाल: एक्सरे @ललित मुदगल

Bhopal Samachar
शिवपुरी समाचार डॉट कॉम। अभी दो दिन पूर्व सर्व ब्राह्मण समाज जिला शिवपुरी का सम्मेलन आयाजित किया गया था इस सम्मेलन में संगठन के पदाअधिकारियो के शपथ ग्रहण समारोह और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम अपनी पूरी भव्यता और गारिमा के साथ संपन्न हुआ,इस कार्यक्रम के बाद शिवपुरी के पत्रकार राजकुमार शर्मा की एक पोस्ट सोशल पर वायरल की, इस पोस्ट ने इस कार्यक्रम पर सवाल खडे किए है। इस सवाल ने ब्राह्मण समाज के आधार और कार्यक्रम के उदेश्य पर ही सवाल खडा कर दिया आईए इस ब्राह्मण शब्द के आधार का एक्सरे करते हैंं।

सबसे पहले ब्राह्मण शब्द की व्याख्या करने का प्रयास करते हैंं,वैसे शास्त्रो में ब्राह्मण शब्द की अनेको व्याख्या हैं,लेकिन एक सरल सूत्र से इसका अनुवाद करते हैं,कि ब्राह्मण क्यो पूजनीय,जबाब आता हैं कि सृष्टि में सब समाहित हैं, और सृष्टि देवताओ के अधीन हैं और देवता मंत्रो के अधीन है और मंत्र ब्राह्मण के अधीन हैं। कुल मिलाकर हमारे वेद शास्त्र और कई धार्मिक ग्रंथो मे ब्राह्मण शब्द का अर्थ खोजने निकलते हैं तो पूजा पाठ कर्मकाण्ड ब्राह्मण से जुडा होता हैं। इस कारण हम कह सकते हैं ब्राह्मण जाति का आधार इस सनातन संस्कृति में पूजा पाठ से जुडा हुआ है।

अब पत्रकार राजकुमार शर्मा की वायरल पोस्ट पर एक नजर डालते हैंं,पत्रकार राजू ग्वाल ने अपनी पोस्ट में लिखा हैं कि बंधुआ मजदूर की तरह मंदिरो में पूजा कर रहे हैं पुजारी इनकी चिंता किसी ब्राहम्मण संगठन ने की। पोस्ट का सीधा आ आशय हैं कि शिवपुरी में लगभग 1 दर्जन ब्राह्मण संगठन सक्रिय हैं,इन संगठनो के तमाम पदाअधिकारी हैं इन संगठनो के कार्यक्रम भी होते हैं,कार्यक्रमो में सम्मान समारोह भी आयोजित किए जाते हैं कार्यक्रमो में मुख्य अतिथि या तो शासन का कोई अधिकारी होता हैं या सरकार में कोई मंत्री पद पर आसीन होने वाला व्यक्ति या नेता।

सम्मान समारोह भी आयोजित किया जाता हैं तो सम्मान में वेदाचार्य,मंदिर में पूजा करने वाला पुजारी या ऐसा कोई बालक नही होता है तो कर्मकांड की परिक्षा उतीर्ण करके आया हो। अब बात करते हैं,संगठनो के उददेश्यो की तो एक बात निकल कर सामने आती हैं ब्राह्मण समाज की हित की रक्षा करना,ब्राह्मण को एकता के रूप में पिरोना।

ब्राहम्मणो के हित ओर एकता में यह संगठन यह भूल गए कि हमे हमारे आधार की भी रक्षा करनी हैं जिसके हम जाने जाते हैं। हमारा आधार हैं पूजा पाठ कर्मकाण्ड,पूजा पाठ तो लगभग सब अपने—अपने घरो में करते हैं। लेकिन में बात कर रहा हूं मंदिरो के पुजारियो की,यही बात पत्रकार राजकुमार शर्मा ने उठाई हैं।

हमारी संस्कृति में मंदिर के पुजारी का स्थान पूज्नीय है और ऐसा नही हैं वह पुजारी सभी जातियो के लिए पूज्जनीय हैंं,हमारा आधार ही पूजा पाठ हैं इसे सीधा—सीधा लिखे तो लिख सकते हैं कि ब्राहम्मण शब्द की व्याख्या या परिभाषा से पूजा पाठ और कर्मकाण्ड जैसे शब्दो को हटा दिया जाए तो ब्राह्मण शब्द का अस्प्तित्व समाप्त हो जाऐगा।

मैं किसी भी ब्राह्मण संगठन की विचार धारा या कार्यक्रमो का विरोध नही करता हूं,लेकिन पत्रकार राजकुमार शर्मा की पोस्ट को भी नही नाकर सकता हूं,पोस्ट का उदेश्श्य पर ब्राह्मण समाज को चिंतन करना चाहिए कि ब्राह्मण हित की बात करने वाले सगंठन क्या अपने मूल आधार से भटक रहे हैं

आज का यूग भौतिक वादी हैं पूरे ब्राह्मण समाज में 1 प्रतिशत से कम लोग ही अपनी बच्चो को संस्कृति विदयालय में भर्ती करते हैं। कर्मकाण्ड का पाठन नही कराते हैं। सबकेा अपने बच्चे इंजीनियर डॉक्टर या प्रशासनिक अधिकारी बनाना हैं मेरी याददाश्त में किसी ने नही कहा है कि मैं नौकरी करता हूं और मुझे मेरे बच्चे को हनुमान जी का पुजारी बनाना हैं या फला मंदिर में पुजारी बनाना हैं।

एक प्रतिशत मंदिरो के पुजारी ही आर्थिक रूप से संपन्न होगें। बांकियों का लिखना आश्वयक नहीं समझता हूं,सरकार के द्धारा मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी का मानदेय 1 हजार से अधिक नही हैं कुछ मंदिर ट्रस्टो के है ट्रस्ट कितना वेतन देते हैं यह सर्वविदित हैं।

यह पुजारी वह हैं जो हमारी संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं और ब्राह्मण शब्द के अस्तितव को बचाने के लिए लड रहे,फिर ऐसे किसी कार्यक्रम में मंदिरो के पुजारियो को मंच पर स्थान नही देना बेमानी हैं। राजकुमार शर्मा ने सिर्फ इसलिए लिखा हैं कि हमे मंदिरो में तैनात पुजारियो की आर्थिक स्थिती पर विचार करना चाहिए,लेकिन विचार संगठन का अध्यक्ष या पदाधिकारी करता है कि केसे मैरे सम्मान में बढोतरी हो और मुझे फायदा हो।

और अंत एक बात स्पष्ट लिखना चाहूंगा,जब आप किसी व्यक्ति से मिलते हैं और वह कहता हैं कि आप तो पंडित जी हो,ब्राह्मण हो और आप पूज्जनीय हो,तो जरूर याद करना कि आपके पूर्वजो की यह पूजा पाठ का फल हैं जो आपको यह सम्मान मिल रहा हैं,हमारे पूर्वजो के कर्मो ने ही ब्राह्मण शब्द की गरिमा का जिंदा रखा हैं। हमे हमारे समाज के मंचो पर हमारे पूर्वजो के कर्मपथ पर चल रहे पुजारियो का सम्मान करना अतिआवश्यक हें,क्योंकि वह हमारे ब्राह्मणों का ब्रांड हैं और आधार हैं..........इतिश्री
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