करैरा। उच्च न्यायालय के आदेश का पालन में करैरा प्रशासन के द्वारा विगत 18 दिसंबर को जोर.शोर से कार्रवाई करते हुए टीला रोड स्थित शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को अंजाम दिया गया था।
प्रशासन की यह कार्रवाई केवल औपचारिकता बनकर ही रह गई है, क्योंकि जिस अतिक्रमण को हटाने कार्रवाई की गई थी, वह जस की तस स्थिति में है। प्रशासन ने केवल मशीन से आसपास से तुड़ाई कराकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। प्रशासन की इस दिखावटी कार्रवाई से स्थानीय लोगों में असंतोष व्याप्त है।
शासकीय भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ याचिकाकर्ता का कहना है कि करैरा में चारों और भू माफिया सक्रिय है। उन्हें जहां भी खाली जमीन दिख रही है, वह अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं।
भू माफिया ने शासकीय भूमि सर्वे नंबर 2038 और सर्वे नंबर 1993 पर कब्जा कर भवन का निर्माण करा दिया गया था। शासकीय भूमि पर किए गए अतिक्रमण को लेकर प्रशासन ने न्यायालय के आदेश पर 18 दिसंबर 2020 को पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर अतिक्रमण को तोड़ने की कार्रवाई कीं।
लेकिन प्रशासन ने अतिक्रमण को पूरी तरह जमींदोज कराने की अपेक्षा आसपास से दीवार और रेलिंग को तोड़कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। तब से अधूरे पड़े इस अतिक्रमण को न तो प्रशासन ने हटवाया है और न ही अतिक्रमणकारी ने।
दो बार कार्रवाई के बाद भी नहीं हटा अतिक्रमण
करैरा नगर में सर्वे नंबर 2038 पर किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन दो बार कार्रवाई कर चुका है, लेकिन अभी भी अतिक्रमण जस के तस हालत में हैं।
प्रशासन ने 15 अक्टूबर 2013 में तहसील के निर्देश पर कार्रवाई की थी और बीते माह 18 दिसंबर 2020 को न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई की गई। दो बार कार्रवाई के बाद भी उक्त भूमि अतिक्रमणमुक्त नहीं हो सकी है।
लाखों रुपये की बेशकीमती जमीन से 8 साल बाद भी प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का नाम नहीं लिया। सर्वे नंबर 1993 का रास्ता जो शासकीय महाविद्यालय तक हैए वह पूरी तरह बंद है।