करैरा के विकास की तस्वीर: विधायक और सांसद का परफॉर्मेंस जीरो, 32 गांव के ग्रामीण परेशान - KARERA NEWS

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करैरा।
जिले के करैरा से होकर निकलने वाला भितरवार ग्वालियर मार्ग की हालत पिछले ढाई सालों में काफी खस्ता हाल में पहुंच गई है । हर साल बारिश के समय यही सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती है । अब बरसात का सीजन खत्म होते ही इन सड़कों की हालत धूल उड़ने की वजह से आये दिन इस मार्ग पर हादसे हो रहे हैं ।

इसकी वजह से लोंगों को सांस लेने में काफी परेशानियों कासामनाभी करना पड़ रहा है।जिस मुद्दे को लेकर पूर्व विधायक को क्षेत्र की जनता ने अपने 5 साल के लिए जनप्रतिनिधि चुना था , वह 15 महीने में ही इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए , इन्हीं की वजह से आज करैरा विधानसभा सहित पर पहली वार उपचुनाव होने जा रहा हैं।

ऐसे जनप्रतिनिधियों की वजह से ही 32 गांव के लोंगो को धूल से परेशान होना पड़ रहा हैं। करैरा से लेकर सीहोर करही तक सङक की हालत पिछले ढाई तीन सालो में कुछ ज्यादा ही खराब हो गई है । करही , सीहोर गांव की सड़कों की स्थित तो यह हो गई हैं कि लोगों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी बिना बरसात के तालाबों में बदल गया हैं।

करैरा से सीहोर होकर जाने वाला ग्वालियर भितरवार मार्ग करैरा अभयारण्य के फॉरेस्ट विभाग से निर्माण कार्य से परमिशन न होने की वजह से अधर पड़ा हैं। इस विकराल जन समस्या की तरफ न तो ग्वालियर सांसद ध्यान दे रहे हैं न ही जिम्मेदार पूर्व विधायक।

ग्रामीणों का कहना है कि करैरा भितरवार मार्ग की खस्ता हाल स्थित की सबकुछ जानकारी होने के बाद भी अनजान बने बैठे हैं। जैसे इनको करैरा से सीहोर की सड़क की स्थित का कोई पता न हो। फोन लगाने पर जिम्मेदार करैरा के सत्ता दल के पूर्व विधायक,सांसद जैसे जनप्रतिनिधि, यहां तक कि एसडीएम, कलेक्टर तक फोन नहीं उठाते। कई बार सीएम हेल्पलाइन लगाई, लेकिन कोई निराकरण नहीं हुआ।

करैरा से भितरवार मार्ग 45 किलो मीटर दूर है। इस मार्ग से भितरवार तक जाने में एक घंटे का सफर तीन घंटे में तय हो रहा हैं। करैरा से सीहोर तक इतने गड्ढे हो गए कि वाहन से चलना तो दूर पैदल तक चलने में इत्मी धूल उड़ती है कि गंदे पानी से भरे सड़कों के गड्ढे दिखाई तक नही देते हैं। इन गड्ढों में प्रतिदिन सैकड़ों लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैंं।

जब भी कोई घटना हो जाती है तो सीहोर, वहगवां के ग्रामीण एमपीआरडीसी विभाग के महाप्रबंधक और प्रोजेक्ट मैनेजर को फोन लगाकर जानकारी देते हैं तो फॉरेस्ट विभाग का रोना बताकर फोन काट देते हैं।

इनका कहना हैं
सीहोर बस स्टैंड की सड़क समस्या को लेकर हम कईबार शिकायत कर चुके, न जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे न ही जिले के प्रशासनिक अधिकारी । आने वाले उपचुनाव में हम इन नेताओं को सही सबक सिखाएंगे। हेमंत शर्मा , ग्रामीण सीहोर

करैरा से करही, सीहोर बस स्टैंड पर झतनी धूल उड़ती है कि सड़कें दिखाईतक नहीं देती हैं। इस रोड से निकलने वाले अनजान राहगीर तो इन गड्ढों में गिरकर प्रतिदिन घायल हो रहे हैं ।
नवल भार्गव स्थानीय ग्रामीण 
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