मैं शिवपुरी हूं: आज गौरवन्वित हूं इस 100 रूपए के सिक्केे के साथ,वैसे तो पार्टी ऋण चुका नही सकती - Shivpuri News

Bhopal Samachar
मै शिवपुरी हूॅ @ ललित मुदगल, मैं शिवपुरी हूॅ, भाजपा को आंचल में पाल-पोस कर समृद्ध् करने वाली श्रद्धेय राजमाता की कर्मस्थली-तपस्थली। आज मेरा सीना गर्व से चौडा जब हो गया जैसे ही यह खबर आई कि भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रुपए के सिक्के का अनावरण किया। नई दिल्ली में एक वर्चुअल समारोह के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस सिक्के को देश को समर्पित किया।

इस सिक्के की गोलाई 44 मिलीमीटर हैं जिसमें एक तरफ राजमाता सिंधिया का फोटो हैं जिसके उपर हिंदी तथा नीचे अंग्रेजी मे श्रीमति विजयाराजे सिंधिया जन्म शताब्दी लिखा हैं व सिक्के के दूसरी अशोक स्तंभ के दोनो तरफ हिंदी ओर अंग्रेजी में भारत लिखा हैं व अशाक स्तम्भ के नीचे अंको में रूपए 100 अंकित हैं

मैं शिवपुरी हूॅ, कही न कही भाजपा का उदय भी मेरी कोख से भी हुआ है, क्योंकि मैं राजमाता कर्मस्थली हूं। जिस समय देश में भाजपा के गिने चुने सांसद होते थे, उस समय मैं उस संसदीय क्षेत्र की नगरी रही हूं जिसने राजमता को सांसद बनाकर भाजपा को शक्ति दी। इस समय देश और प्रदेश में उसी भाजपा का शासन है, जिसे मैने शिशु अवस्था में अपने आंचल की छांव दी है। हर्ष होता है कि अपनी भाजपा अब संपूर्ण यौवन पर देखकर

मैं शिवुपरी हूं,राजमाता के लोकमाता बनने की पथ की कर्मस्थली हूूं,भाजपा आज एक वट वृक्ष के रूप में स्थापित हो चुका हैं लेकिन जब जनसंघ को लोग खाली समय भी नही देते थे तब राजमाता मेरे संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में मेरा प्रतिनिधि करती थी,कही न कही आज की भाजपा मेंरी कोख में पली हैं।

मेरे ही आंचल में महलों के वैभव को छोडक़र भाजपा को शक्तिशाली बनाने के लिए संघर्ष का मार्ग स्वीकार किया। राजमाता सड़कों पर उतरीं तो मेरी लाखों संतानों ने  राजमाता से लोकमाता के रूप मेें स्वीकार किया।  मैने राजमता के उस आक्रेाश को भी देखा हैं जिससे इंदिरा भी घबराती थी।

राजमाता के प्रेम में लोगों को जान लड़ाते देखा है। लोगों के हित के लिए राजमाता को रातों में जागते हुए देखा है और भगवान श्रीराम मंदिर आंदोलन के समय अपने विवाह की सबसे प्रिय अंगूठी को दान करते देखा है। आज मेरा सीना गर्व से चौडा हो गया जब भाजपा की सरकार ने राजमाता की जन्मशताब्दी वर्ष में 100 रूपए का सिक्का जारी कर रही हैं।

कहते हैं की मां का ऋण कभी उतारा नही जा सकता हैं वह अपनी संतानो की मां नही थी बल्कि राजमाता थी,पूरे भाजपा की लोकमाता थी। भाजपा से उन्होने कुछ लिया नही हैंं समय और इतिहास ग्वाह दिया ही दिया हैं। मैं शिवपुरी हूं,ऐसी राजमाता की कर्म ओर तप स्थली हूं। मेरी इस धरा पर राजमाता का पूरा एक म्यूजियम बनाना चाहिए।

राजमाता के ग्वालियर के राजघराने की यात्रा से लेकर देश में लगी ईमरजैंसी की जेल यात्रा ओर लोकमाता बनने की सभी तस्वीर प्रत्येक प्रकाशित खबर हर घटना की जानकारी उसमें होनी चाहिए जिससे वर्तमान और आने वाली पीढी यह समझ सके कि राजनीति में त्याग क्या होता हैं समर्पण क्या होता हैं राजनीति को सेवा का माध्यम कैसे बनाया जाता हैं। 
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