शिवम पाण्डेय शिवपुरी। शासन स्तर से भले ही ग्रामीण क्षेत्रों की दशा और दिशा सुधारने के लिए लखो रुपए का बजट दिया जा रहा हो लेकिन धरातल पर ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधरने दिखाई नहीं दे रहा। शिवपुरी जिले के पिछोर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत गणेशखेडा में सरपंच सचिव और रोजगार सहायक मिलकर दिन-रात भ्रष्टाचार करने में लगे हुए है।
ग्राम पंचायत निवासी भरत लाल लोधी पुत्र नारायण दास लोधी ने बताया कि ग्राम पंचायत गणेशखेड़ा में निर्मित शौचालय निर्माण के बारे में हितग्राहियों के खाते में राशि नहीं डाली गई। शौचालय की राशि में सरपंच सचिव रोजगार सहायक द्वारा जमकर धांधली की जा रही है।
भरत ने बताया कि ग्राम पंचायत गणेशखेड़ा के सरपंच कलावती लोधी एवं सहायक सचिव भगवान सिंह लोधी को ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 40 एवं धारा 92 के तहत से पृथक किया जाना चाहिए था। लेकिन आला अधिकारियों ने इन्हें प्रथक नहीं किया है जिसके चलते गणेश खेड़ा की सरपंचों कलावती द्वारा पंच परमेश्वर 14 वित्त की राशि से चार है हैंडपम्प खनन निर्माण में उपयोग का शासन की योजनाओं के विरुद्ध कार्य किए गए।
भरत लाल लोधी ने बताया कि ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक ने अपने संपूर्ण कार्यकाल में हद से ज्यादा भ्रष्टाचार किए हैं, अगर इनके संपूर्ण 5 वर्षों की जांच हो जाए तो भ्रष्टाचारी सरपंच और सचिव सलाखों के पीछे होंगे। ग्राम पंचायत निवासी भरतलाल लोधी इस संपूर्ण भ्रष्टाचार मामले की शिकायत जिले के समस्त आला अधिकारी सहित शिवपुरी कलेक्टर सहित जिला पंचायत सीईओ सहित आयुक्त मध्यप्रदेश पंचायत राज और मानव अधिकार आयोग में भी कर चुका।
समस्त ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मनरेगा के कामों में हो रहे चेकडैम व खेत तालाब, और बोल्डर चेक डैम निर्माण में कमीशनखोरी के चलते जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा हैै। मनरेगा योजना के तहत होने वाले काम में किसी तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए सरकार द्वारा युक्ति निकाली गई। इसके तहत निर्माण स्थल पर हर रोज मजदूरों की हाजरी मस्टर रोल में भरी जाएगी। मजदूरी का पैसा सीधे मजदूरों के बैंक खातों में भेजा जाएगा।
इसके बाद भी पिछोर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली गणेशखेडा में सरपंच व सचिव की मिली भगत से फर्जी हाजरी लगाकर मनरेगा के तहत लूज बोल्डर, चेक डैम और खेत तालाब निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग करके स्वीकृत राशि में हेराफेरी की जा रही है। इस संपूर्ण घोटाले में आला अधिकारियों की भी पूरी मिलीभगत है।
ग्रामीणों ने बाताया कि उन्होनेे कई बार जॉब कार्ड बनाने को लेकर सचिव को आवेदन भी दिया है लेकिन उनके जॉबकार्ड नहीं बनाए जा रहे है। जिस कारण उन्हे मजबूरन गांव से बाहर मजदूरी के लिए जाना पड़ता है। जिसके चलते ग्रामीणों ने मांग की है कि उक्त निर्माण कार्य की जांच कराई जाए।