CMO प्रिंयका सिंह का पत्र: या तो नियमों का ज्ञान नही या फिर बड़े घोटाले को दफन करने का षडयंत्र / Shivpuri News

Bhopal Samachar
एक्सरे @ललित मुदगल / शिवपुरी। सूचना के अधिकार के नियमो को नियमो के उलझा कर उसकी कैसे हत्या की जाती हैं इसका उदारहण बन रहा हैं कोलारस के नगर परिषद कार्यालय का एक पत्र। यह पत्र कोलारस प्रियंका सिंह के हस्ताक्षर से जारी हुआ हैं। यह पत्र सीधे-सीधे एक आवेदक के अधिकारो और इस देश के सूचना के अधिकार के कानून की गाला घोट रहा हैं या फिर सीएमओ कागजो में दफन किसी घोटाले को उजागर नही होना देना चाहती या फिर सीएमओ को कानून का ही ज्ञान नही हैं नियमानुसार ऐसे पत्र को किसी भी आरटीआई के आवेदक को जारी नही कर सकते हैंं आईए सीएमओ के इस पत्र का एक्सरे करते हैं।

नगर परिषद कोलारस ने एक पत्र क्रंमाक 154/2020 दिनांक 17.4.2020 को जारी किया। इस पत्र आवेदक के पास लॉकडाउन होने के कारण 01 जून 2020 अर्थात आज पंहुचा हैं। इस पत्र को जारी किए लगभग 73 हो गए। यह गलती भारतीय डाक विभाग की नही हैं यह पत्र नगर परिषद कोलारस से समय पर नही निकला। इस पत्र ने भी लॉकडाउन का पालन किया हैं। इस करण यह अपने भेजे गए स्थान पर 73 दिन बाद भेजा।

यह पत्र आरटीआई का प्रयोग करने वाले एक आवेदक के पास पहुंचा हैं जिसने आरटीआई के माध्यम से कोलारस नगर परिषद के परिषद में होने वाली बैठको के निर्णय के मामलो की जानकारी चाही गई थी। कोलारस नगर परिषद ने अभी तक जानकारी नही दी,बल्कि आवेदक को एक पत्र जारी कर उसे भ्रमित करने का प्रयास किया।

यह पत्र कोलारस नगर परिषद की सीएमओ प्रियंका सिंह ने अपने हस्ताक्षर से जारी किया हैं। आवेदक को इस पत्र के माध्यम से बताया गया हैं कि उपरोक्त विषयातंर्गत आपके द्धारा चाही गई जानकारी का उद्धेश्य स्पष्ट न होने के कारण जानकारी दिया जाना संभव नही हैं।

यह पत्र में लिखी भाषा सरकारी भाषा है और इसका सीधा-सीधा सा अर्थ हैं कि हम आपको जानकारी नही देना चाहते है। अगर सूचना के अधिकार में ऐसा कोइ नियम होता कि जानकारी लेने का उद्देश्य स्पष्ट करे। तो इतना बडा कानून बताते समय आरटीआई की जानकारी लेने वाले फार्म पर इसका कॉलम भी अंकित अवश्य होता।

मेडम नियमो की बात कर रही हैं इस भाषा को पढकर लगता हैं कि मेडम को शायद आरटीआई के नियमो का ज्ञान नही हैं यह उन्होने इस पर हॉमवर्क नही किया। यह एक गंभीर विषय बनता हैं। हम मेडम और पाठको को जानकारी के दिए बता दे कि सूचना के अधिकार के नियम की धारा 6 (2)में स्पष्ट उल्लेख हैं कि सूचना के लिए अनुरोध करने वाले आवेदक से सूचना का अनुरोध करने के लिए किसी कारण को या अन्य व्यक्तिगत ब्यौरो को सिवाय उसके जो उससे संपर्क करने के लिए आवश्यक हो देने की अपेक्षा नही की जाऐगी।

इस नियम का सीधा—सीधा अर्थ हैं कि किसी भी आवेदक को सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त करने वाली जानकारी का कारण नही पूछ सकते जब तक वह जानकारी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत ना हो।

कुल मिलाकर नगर परिषद कोलारस की सीएमओ प्रियंका सिंह द्धारा जारी यह पत्र एक षडयंत्र है कि किसी व्यक्ति के अधिकारो से वंचित करने का। आवेदक ने जानकारी मांगी हैं कोलारस की परिषद में होने वाली बैठको की। परिषद सिर्फ इस कारण आयोजित कराई जाती हैं कि कैसे लोकहित में आगे कार्य करे।

परिषद में लोकहित में होने वाले कार्य जैसे निर्माण,पानी की व्यवस्था,समान की खरीददारी और योजनाओ को पास किया जाता हैं। इसकी पूरी एक प्रोस्डिंग होती हैं,जो लोकहित में होती हैं। यह जानकारी किसी भी स्थिती में किसी भी व्यक्ति की निजी नही हैं।
अब सवाल बनाता है कि इस जानकारी देने में क्यो रोड अटकाए जा रहे हैं। क्या छुपा है इस जानकारी में जो सीएमओ प्रियंका सिंह सार्वजनिक नही करना चाहती हैंं ऐसे कोैन से घोटाले इस जानकारी में छुपे हैं। आवेदक का कहना है कि इस जानकारी में एक बडा घोटाला छुपा है जो किसी भी व्यक्ति पर एफआईआर से लेकर आगे की कार्यवाही हो सकती है।

यह बात भी हो सकती हैं जैसा आवेदक रहा हैं,इस कारण इस जानकारी को सार्वजनिक करने से सीएमओ घबरा रही हो। इस कारण ऐसे नियमविरूद्ध पत्र जारी कर आवेदक को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। या ऐसा भी हो सकता हैं कि सीएमओ प्रियंका सिंह को सूचना के अधिकारो के नियमो का ज्ञान ही ना हो,पर ऐसा हो नही सकता हैं पत्र की जो भाषा हैं वह सिर्फ आवेदक को भटकाने का कार्य कर रही हैं और एक आवेदक के अधिकारो का हनन कर रही हैं।
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