शिवपुरी। विकास आत्महत्या काण्ड में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सुसाइड नोट में लिखा है कि आरोपियों ने ना केवल उसे बेरहमी से पीटा बल्कि उसके पूजा के कलश में मूत्र भर दिया और यह कलश उसके मुंह में उड़ेल दिया। इस मामले में ब्राह्मण समाज के नाम पर राजनीति करने वाले भाजपा और कांग्रेस नेताओं की चुप्पी उनकी पोल खोल रही है। यह वही नेता हैं जो ब्राह्मण समाज के मंचो से कई बार अपना सम्मान करा चुके हैं लेकिन इस मामले में इन नेताओ ने घटना की निंदा तक नहीं की।
अक्सर देखा जाता हैं कि कोई भी ब्राह्मण नेता जब टिकिट की मांग करता हैं तो वह अपनी जाति की संख्या बल को अवश्य गिनाता हैं। राजनीतिक पार्टी भी जाति के गणित को नही नकारती। टिकिट वितरण में जाति का पैरामीटर सबसे बडा होता हैं। जातिगत वोटरों का आंकलन हर राजनीतिक समीक्षा में होता हैं।
वही कुछ ऐसा समाजिक नेता भी अपने जिले में हैं जिनकी दुकाने या रूतबा सिर्फ इस कारण चल रहा हैं कि यह फालने ब्राहम्मण समाज के अध्यक्ष हैं। इस कारण जिले के बड़े—बड़े नेता इन्हे अपने साथ मंचासीन करते हैं। समाज की राजनीति करने वाले नेता समाज की मीटिंगों में समाज के लिए लंबे—लंबे भाषण पैलते हैं ओर तालिया पिटवाते हैं लेकिन जब समाज के लिए कुछ करने का समय आया तो सारे के सारे चुप हैं, क्योंकि ब्राह्मण समाज वोटबैंक नहीं है जबकि आरोपी उनकी पार्टी के वोटबैंक हैं।