शिवम पाडें,पिछोर। कोरोना से युद्ध करने के लिए सरकार ने सभी के लिए राहत के दरवाजे खोले दिए हैं। लेकिन राहत तो पीछे चल रही हैं आगे भ्रष्टाचार और लापरवाही आगे चल रहा हैं। ऐसा ही मामला सामने आया हैं,स्कूली बच्चो को कोरोना काल में सोशल डिस्टेंस के चलते और स्कूल बंद होने के कारण मध्यान भोजन के जगह अब गेंहू वितरित करने के आदेश सरकार ने किए हैं,लेकिन गेंहू के जगह सडे,घुने और मिट्टी मिले गेंहू बांटे जा रहे हैं। इन गेंहू को आदमी तो छोडो जानवर भी नही खा सकता हैं।
जानकारी के अनुसार पिछोर के अनुविभाग के भौती क्षेत्र की ग्राम पंचायत महौबा के महुआ खेडा के बालक प्राथमिक विदयालय से आ रही हैं। जहां करोना काल में स्कूली बच्चो को गेंहू मिटटी मिक्स वितरित किए जा रह हैं। अगर बाटें इन गेंहूं में मिट्टी शब्द को हटा लिया जाए तो यह गेंहू वर्षा से लड कर आया हैं लाल हैं सडा है और घुना हुआ है।
अगर इसमें मिट्टी भी नही होती ओर इन गेहूं के बने आटे से बनी रोटी आदमी खा लेता हैं तो वह 100 प्रतिशत बीमार हो सकता हैं। अब गेंहू कोरोना से युद्ध करने को वितरित किए हैं या बीमार करने के लिए। इन वितरित किए गेहूंओ में इतनी मिट्टी है इसे जानवर नही खा सकते हैं।
इस पूरे मामले में एक बडा भ्रष्टाचार सामने निकलकर आ रहा हैं। अब सबाल यह बनता हैं कि स्कूलो पर यह सडा घुना और मिट्टी युक्त आया कहा से इस मामले मे बीएसी से बात की तो उन्होने बताया कि हमने तो गेंहू मार्केटिंग या कंट्रोल से उठाया गया होगा। जैसा आया हैं वैसा ही बांटा जा रहा हैं। बस गलती हमारे शिक्षक की हैं यह है उसे चैक करेंके गेंहू उठाना था। अगर खराब था तो नही उठाना था।
वही इस स्कूल के हैडमास्टर बृखभान पाल से बातचीत की तो बताया कि यह गेंहू महौबा की कंट्रोल से उठाया था। वही गेहूं मैने बाटां हैं। इसमें मेरी कोई गलती नही हैं। प्रत्येक बच्चो को 2.5 किली गेंहू बांटा जा रहा हैं। शिकायत मिलने के बाद गेंहू वापस लिया और फिर मैने अपने घर का गेंहू बांट दिया।
इस पूरे मामले में पूरी गलती खदयान्न विभाग की है। कंट्रोल पर गेंहू बदला जा रहा हैं या मार्केटिंग सोसायटी से ही यह खेल हुआ हैं जांच का विषय हैं लेकिन यह बात सही हैं की इस गेंहू काण्ड में फिर खादयन्न विभाग की लापरवाही उजागर हुई हैं। उन्होने सडा,गला,और घुना मिट्टी युकत गेंहू बच्चो को बांटने दे दिया है।