पानी सप्लाई के नाम पर हर साल होता है करोडों का खेल: वरिष्ठ अभिभाषक विजय तिवारी ने उठाया मुद्दा / Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। नगर पालिका में हुई प्रशासक नियुक्ति ने भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है। यह भ्रष्टाचार शहर की जनता को पानी पिलाने के नाम पर पिछले कई बर्षों से किया जा रहा था और इस गोलमाल में जनता द्बारा चुनकर नपा भेजे गए वे तमाम जनप्रतिनिधि भी शामिल थे जो समाजसेवा के लिए सामने आए थे।

अब इस पूरे मामले को वरिष्ठ अभिभाषक विजय तिवारी ने उजागर किया है,साथ ही उचित स्थानों पर इसकी शिकायत कर जाँच की मांग करते हुए जल घोटाले को अंजाम देने बाले अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

पूर्व में हुआ यह करता था कि माह अप्रैल के आरम्भ होते ही नगर पालिका द्बारा शहर के सभी वार्डों में कृत्रिम जल संकट में दर्शाते हुए प्राइवेट टैंकर लगाकर लगाए जाते थे तथा माह अप्रैल माह आते-आते प्रत्येक वार्ड में 39 टैंकर जल प्रदाय हेतु आवंटित कर दिए जाते थे।

किंतु इस वर्ष अप्रैल समाप्त होने को है किंतु संपूर्ण शहर के किसी भी वार्ड में कहीं से भी टैंकरों की मांग सामने नही आई और न ही 39 वार्डों में से किसी भी स्थान पर जलसंकट जैसी स्थिति दिखाई दी।इससे यह स्पष्ट है कि पूर्व में नगरपालिका के कर्ताधर्ताओं द्वारा टैंकरों को लेकर किस हद तक भ्रष्टाचार किया जाता था। पिछले वर्ष का ही रिकार्ड उठाकर देखा जाए तो पानी सप्लाई में लगाए गए टैंकरों के खेल का खुलासा हो सकता है।

विवादों में रह चुका है बड़े टैंकरों का मामला

इस वर्ष पानी सप्लाई का जो मामला अभिभाषक विजय तिवारी ने उठाया है वह बहुत गंभीर होकर करोड़ों रुपए के काले कारनामे की परतें खोलता है। बशर्ते इस पूरे मामले में लीपापोती न होकर निष्पक्ष जाँच कराई जाए तो।पिछले समय नपा द्बारा जो बड़े टैंकर पानी सप्लाई में लगाए गए थे।

उनके प्रतिदिन कागजों में दर्शाए जाने बाले चक्कर भी अपने आप में भ्रष्टाचार को उजागर करता है। जब यह मामला तूल पकड़ा था तो पानी सप्लाई में लगाए गए टैंकरों के भुगतान को रोक दिया था। हालांकि सूत्रों का कहना है कि बाद में इस मामले में भी लीपापोती कर भुगतान कर दिए गए थे।

दिखावे के लिए करते है विरोध, भुगतान के नाम पर एक साथ खड़े दिखाई देते है सभी दल के पार्षद

इस वर्ष शहर में पानी की कोई भी मारामारी दिखाई नहीं दे रहे जबकि पिछले वर्षों पर नजर डाली जाए तो नपा में पदस्थ जनप्रतिनिधियों द्वारा शहर के भीतर बड़े पैमाने पर पानी की मारामारी दर्शाते हुए तमाम टैंकर सप्लाई में लगाए जाते थे और इनका मोटा भुगतान भी होता था।

इस काले खेल में पानी के नाम पर कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा सिर्फ और सिर्फ परिषद बैठक में दिखावे के लिए विरोध दर्ज कराया जाता था। इनके फर्जी विरोध का उस समय खुलासा हुआ जब गत वर्ष विवादों में आने के बाद टैंकरों का भुगतान रोका गया तो सभी पार्षद वरिष्ठ नेताओं के समक्ष एक छतरी के नीचे भुगतान कराने के लिए अनेकों बार खड़े दिखाई दिए थे।