शिवपुरी। आज हम अपनी सतर्कता से कोरोना से लडाई मे एक पयदान और उपर चढकर आरेंज जान से निकलकर ग्रीन जॉन में पहुंच चुके है। शहर क्षेत्र से अधिक जागरूकता ग्रामीण क्षेत्रो में दिख रही है। ऐसा ही जागरूकता भरा उदाहरण पोहरी के एक गांव से आया हैं।
जहां गांव के निवासी मजदूरी करने राजस्थान के बारा जिले में गए थे। वह पैदल चलकर अपने गांव वापस आए,लेकिन जागरूक ग्रामीणो ने उन्है बहार ही रोक लिया और प्रशासन को सूचना दी। प्रशासन ने आधी रात मजदूरो की गाडी की लाईट जलाकर स्क्रीनिंग करने की खबर आ रही हैं।
जानकारी के अनुसार भैंसरावन के पास कांकर गांव के 22 मजदूर अपने संग पांच बच्चों के साथ गुरुवार की दोपहर 1 बजे पहुंचे। इस बात की भनक ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने कोरोना संक्रमण फैलने के डर से मजदूरों को गांव में घुसने नहीं दिया। गांव वाले कहने लगे कि पहले अस्पताल जाकर चैक कराकर आओ, उसके बाद ही गांव में आने देंगे।
गांव से अस्पताल बहुत दूर होने की वजह से मजदूर पास ही स्थित महुए के पेड़ के नीचे बैठ गए। पंचायत के रोजगार सहायक ने इस मामले की सूचना पोहरी बीएमओ डॉ शशांक चौहान को दी। बीएमओ अपने साथ डॉ थानेदार सिंह व अन्य टीम को लेकर गाड़ी से शाम 5 बजे पोहरी से निकले।
मौके पर शाम 6.30 बजे पहुंचे तो अंधेरा हो चुका था। महुए के पेड़ के नीचे बैठे मजदूरों व उनके बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए अपनी गाड़ी हेडलाइट जलानी पड़ी। उसके बाद स्क्रीनिंग शुरू की गई।
मजदूरों को 14 दिन घर पर ही रहने की सलाह
बीएमओ डॉ चौहान ने बताया कि बारां से लौटे सारे मजदूरों से 14 दिन तक अपने ही घरों रहने की सलाह दी है। गांव के दूसरे लोगों को भी समझाया कि वे मजदूर स्वस्थ हैं। अपने घर जाकर रह सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि मजदूर 14 दिन गांव में ना घूमें।
