शिवपुरी। कल देश कोरोना से लडने के लिए घरो के बाहर देश के प्रधानमंत्री के आहव्हान पर दीप जलाकर पर देश की एकता का संदेश दे रहा था,उसी समय शहर के कुछ व्हाटसऐप ग्रुपो पर एक पोस्ट वायरल हो रही थी कि जब देश कोरोना से लडने के लिए दिपोत्सव मना रहा था तब एक कोरोना फाईटर अपनी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।
इस मरीज शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की फार्मासिस्ट हैं और कोरोना वायरस से संघर्ष करते हुए आन ड्यूटी ब्रेन हॅमरेज हो गया। कोरोना की ड्यूटी का हवाला देते हुए इतने गंभीर मरीज को 24 घंटे तक मरीज को देखा तक नही। इस वाक्ये को देखकर लगता हैं कि यह कैसी एकता हैं कि एक कोरोना फाईटर को उसके विभाग ने 24 घंटे तक देखना तो दूर हाथ भी लगाया। एकता क्या सिर्फ सोशल पर पोस्ट वायरल करने के लिए थी।
जानकारी के अनुसार शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में फार्मासिस्ट पद पर पदस्थ वंदना तिवारी की ड्यूटी कोरोना में तैनात कर्मचारियों में लगी थी। बताया गया हैं कि 31 मार्च को आन ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई। तत्काल जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां डॉक्टरो ने वंदना तिवारी को ग्वालियर के जयरोग्य चिकित्साल में रैफर कर दिया। ग्वालियर के जयरोग्य चिकित्सालय में 24 घंटे तक एक डॉक्टर देखने को तक नही आया। जहां तक प्राथमिक उपचार तक शुरू नही हुआ। जांचो की बात तो दूरी की बात है।
वंदना के परिजनो ने जयरोग्य के अस्पताल प्रबंधन का यह रवैया देखा तो वंदना शर्मा को ग्वालियर के बिरला हॉस्पिटल में 1 मार्च को भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टर अभिषेक चौहान ने ईलाज शुरू किया एमआरआई कराने के बाद बताया गया कि वंदना को ब्रेन हेमरेज हुआ हैं और तत्काल आपरेशन करना होगा।
बिरला हॉस्पिटल के डॉक्टरो ने वंदना के ब्रेन का आपरेशन किया गया,लेकिन वह अभी होश में नही आई है अभी वंदना कोमा में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही हैं। अब बिरला हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि मरीज की पॉजीशन क्रिटिकल हैं कब तक कोमा से बहार आऐगा कहना मुश्किल हैं। इस कारण मरीज को डिस्चार्ज कराओ और सरकारी हॉस्पिटल ले जाओ।
वंदना के पति लोकेन्द्र शर्मा का कहना हैं कि ऐसी स्थिती में वह क्या करे। जब जयरोग्य के डॉक्टरो ने इतनी गंभीर स्थिती में मरीज को 24 घंटे तक हाथ नही लगाया,तो अब ऐसे मरीज का ईलाज करेंगेें कैसे माने। मैने आनन फानन में बिरला में आकर उसका आपरेशन कराया जिसमें मेरे 2 लाख रूपए का खर्चा आ गया।
वंदना के पति ने बताया कि आन ड्यूटी के समय उसकी तबीयत खराब हुई। उसका विभाग भी उसकी किसी तरह की मदद नही कर रहा हैं। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ.इला गुजरिया सिर्फ मदद करने का आश्वासन देती रही अब उनका कभी फोन नही उठता तो कभी बंद आता हैं।
मेरा यही कहना हैं कि जब विभाग अपने ही विभाग के मरीज का समय पर उपचार नही कर रहा हैं तो कोरोना जैसे संकट काल समान्य मरीजो को कैसे ईलाज हो रहा होगा। मैने कैसे भी जुगाड करके आपरेशन करा लिया हैं अब आगे करके कैसे ईलाज होगा। मेरी पत्नि अभी कोमा में है वैलिटिलेटर पर हैं कब तक होश आऐंगा,पता नही।
आगे कैसे ईलाज होगा इस कारण ही मैने संभाग आयुक्त को मीडिया के माध्यम से आवेदन सौंपा है कि एक शासकीय कर्मचारी की मदद करे। उसे चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराए।