शिवपुरी। जिला अस्पताल की गायनिक ओपीडी में बुधवार की सुबह एक महिला मरीज के पुरूष अटेंडर ने जूनियर डॉक्टर के साथ खीचातानी कर दी। मामला थाने तक पहुंचा, लेकिन बाद में दोंनो पक्षों के आवेदन वापस कर दिए गए और मामला आपसी सहमति से निपटा दिया गया।
जानकारी से पता चला है कि बुधवार सुबह गायनिक ओपीडी से सब कुछ सामान्य चल रहा था, तभी वहां एक गर्भवर्ती महिला मरीज आई। उसके पर्चे पर वहां उपस्थित स्टाफ ने सील लगाकर एचआईबी व हीमोग्लोबिन टेस्ट के लिए बोला।
बताया जा रहा है महिला के साथ आई एक पुरूष अटेंडर ने हॉस्पिटल में उक्त टेस्ट कराने से मना करते हुए वहां डयूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर शिक्षा गौतम से कहा, वह सिर्फ महिला का चैकप कर ले।
डॉक्टर ने कहा, जब तक उसके सामने रिर्पोट नहीं होगी, वह चेकअप कैसे करेगी और पर्चे पर क्या नोट करेगी, इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में कहा सुनी इतनी बढ गई कि मरीज के परिजन डॉक्टर से कहने लगें कि आप पर्चे पर यह लिख दो कि आप मरीज का इलाज नहीं करगी। जब डॉक्टर ने ऐसा लिखने से मना कर दिया तो खीचातानी शुरू दी।
इस मामले में जूनियर डॉक्टर शिक्षा गौतम व मरीज की तरफ से गुलशन राठौर ने अस्पताल चौकी पर शिकायतों आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की। यह आवेदन पहले कोतवाली भेजे गए और फिर वहां से वापस आस्पताल चौकी।
इसके बाद दोनों पक्ष सिविल सर्जन डॉ. एमएल अग्रवाल के पास पहुंचे, जहां दोनों पक्षों में बातचीत के बाद पुलिस को दिए गए आवेदन वापस लिए गए और पूरे विवाद का पटाक्षेप हो गए।
जानकारी से पता चला है कि बुधवार सुबह गायनिक ओपीडी से सब कुछ सामान्य चल रहा था, तभी वहां एक गर्भवर्ती महिला मरीज आई। उसके पर्चे पर वहां उपस्थित स्टाफ ने सील लगाकर एचआईबी व हीमोग्लोबिन टेस्ट के लिए बोला।
बताया जा रहा है महिला के साथ आई एक पुरूष अटेंडर ने हॉस्पिटल में उक्त टेस्ट कराने से मना करते हुए वहां डयूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर शिक्षा गौतम से कहा, वह सिर्फ महिला का चैकप कर ले।
डॉक्टर ने कहा, जब तक उसके सामने रिर्पोट नहीं होगी, वह चेकअप कैसे करेगी और पर्चे पर क्या नोट करेगी, इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में कहा सुनी इतनी बढ गई कि मरीज के परिजन डॉक्टर से कहने लगें कि आप पर्चे पर यह लिख दो कि आप मरीज का इलाज नहीं करगी। जब डॉक्टर ने ऐसा लिखने से मना कर दिया तो खीचातानी शुरू दी।
इस मामले में जूनियर डॉक्टर शिक्षा गौतम व मरीज की तरफ से गुलशन राठौर ने अस्पताल चौकी पर शिकायतों आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की। यह आवेदन पहले कोतवाली भेजे गए और फिर वहां से वापस आस्पताल चौकी।
इसके बाद दोनों पक्ष सिविल सर्जन डॉ. एमएल अग्रवाल के पास पहुंचे, जहां दोनों पक्षों में बातचीत के बाद पुलिस को दिए गए आवेदन वापस लिए गए और पूरे विवाद का पटाक्षेप हो गए।