भूमिपूजन और उद्धघाटन के बाद एक भी उद्योग शुरू नहीं हुआ, नेताओं को वादे हवा हुए | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी जिले की वर्तमान समय की सबसे बडी समस्या बेरोजगारी हैं। शायद ग्वालियर के महाराज ज्योतिरिादित्य के चुनाव हारने की एक वजह यह भी हो सकती हैं। शिवपुरी में रोजगार के अवसर नही हैं। कोई भी बडी छोटी फैक्ट्रिया न होने के कारण शिवपुरी का युवा बेरोजगार घूम रहा हैं।

नेता जनता की इस नब्ज को अच्छी तरह समझते हैं,वे घोषणाए करते हैं। ऐसी कई घोषणाए नेता कर चुके हैं। मप्र के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर सहित कई बडे नेताओ ने इस जिले को उदयोग देने का वादा करते हुए बडे ही जोर-शोर से घोषणा करते हुए भूमि पूजन भी किए लेकिन अफसोस आज तक एक पत्थर भी नही रखा गया हैंं

जिले भर में शासकीय भूमि खाली पड़ी है और इस शासकीय भूमि पर उद्योग लग सके, इसके लिए कवायद तो कई साल से चल रही है, लेकिन जिले में आज तक कोई बड़ा उद्योग तक स्थापित नहीं हो सका है। बात यदि विधानसभा क्षेत्रों की करें तो कोलारस, पोहरी, शिवपुरी और करैरा में उद्योगों की स्थापना के लिए जगह चि-ति की गई।  

पोहरी के ग्राम परिच्छा और भानगढ़ के समीप खाली पड़ी सरकारी भूमि पर उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान ने बड़े जोर शोर से यहां उद्योग लगाने के लिए भूमिपूजन किया था, लेकिन एक भी उद्योगपति यहां उद्योग लगाने के लिए आया ही नहीं नतीजे में जमीनें खाली पड़ी हैं।

करैरा में केंद्रीय मंत्री तोमर ने किया था भूमिपूजन, दिखा गए थे सपने

करैरा में पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने फोरलेन हाइवे के समीप श्योपुरा गांव के समीप औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए भूमिपूजन किया, लेकिन यहां भी वही हाल है। यहां कई सालों से सरकारी जमीन खाली पड़ी हुई हैं। स्थानीय व्यापारी भी यहां रोजगार लगाने के लिए आगे तक नहीं आए हैं।

कोलारस के डहरवारा में भी की थी जमीन चिन्हित

कोलारस विधानसभा क्षेत्र के ग्राम डहरवारा में भी उद्योगों के लिए जमीन चि-ति की गई थी। इसके अलावा पड़ौरा भेड़ फार्म की सरकारी जमीन को भी उद्योगों के लिए चि-ति किया गया था। पड़ौरा भेड़ फार्म की जमीन पर रिलायंस ग्रुप कारतूस बनाने की फैक्ट्री खोलने की तैयारी कर रहा है।

टमाटर सोस फैक्ट्री खुले तो किसानों को होगा फायदा

शिवपुरी जिले में बहुतायत में टमाटर होता है। यहां का टमाटर कानपुर सहित अन्य राज्यों में जाता हैं। यदि जिले में टमाटर सोस बनाने की फैक्ट्री खुल जाएं तो इससे किसानों को फायदा होगा, साथ ही लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा, जबकि शिवपुरी के टमाटर की मांग दिल्ली, कानपुर सहित अन्य इलाकों में जहां इसका सोस बनाया जाता है।

प्याज व लहसुन भी बना सकता हैं शिवपुरी की पहचान

जिले में प्याज और लहसुन की खेती भी बहुतायत में होती है। यहां प्याज और लहसुन के पेस्ट बनाने की फैक्ट्री खुल जाएं तो इससे किसान तो लाभान्वित होंगे ही, साथ ही लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होता, जबकि यहां की प्याज बाहर जा रही है। लहसुन को भी बाहर बेचा जा रहा है। अभी तक यहां पेस्ट की कोई भी फैक्ट्री स्थापित नहीं है।

महाराष्ट्र में शिवपुरी की शान बन सकता हैं मूंगफली का दाना

करैरा के मूंगफली के दाने की मांग महराष्ट्र और इंदौर में है। यहां का दाना नमकीन के काम में उपयोग में लिया जाता है। उच्च क्वालिटी का दाना यहां से महाराष्ट्र, दिल्ली, इंदौर सहित अन्य इलाकों में भेजा जाता है, जबकि करैरा, पिछोर इलाके में मूंगफली की खेती बड़ी मात्रा में होती है। करैरा सहित पिछोर इलाके में मूंगफली दाने के बड़े मिल नहीं हैं। यदि यहां बड़े मिल लगें तो लोगों को रोजगार मिलेगा। किसानों को भी फायदा मिल सकेगा।

फूड क्लस्टर पार्क: यशोधरा राजे ने किया था प्रयास

शहर के बड़ौदी इलाके में पूर्व मंत्री और विधायक यशोधरा राजे सिंधिया के प्रयासों से फूड क्लस्टर पार्क की स्थापना तो की गई, लेकिन सरकार के बदलने के बाद अब इस फूड क्लस्टर पार्क की सुध किसी ने नहीं ली है। नतीजे में यहां खाद्य पर आधारित उद्योग नहीं आ सके हैं।

बेरोजगारी होने के कारण शहर का युवा अन्य जिलो में

जिले में कोई बड़ा उद्योग या रोजगार के अवसर न मिलने के चलते युवा रोजगार की तलाश में शहर से बाहर जा रहे हैं। यही कारण है कि शहर से रोजगार के लिए युवा इंदौर, भोपाल, गुजरात सहित अन्य दूसरे शहरों और राज्यों की ओर रुख कर रहे हैं।

सरकार के पिंजरे में कैद हुआ पत्थर उदयोग

जिले में सबसे बड़ा उद्योग पत्थर खदानें थीं, जिनमें कई लोगों को रोजगार मिलता था, लेकिन माधव नेशनल पार्क में आने और वन संरक्षण अधिनियम के तहत जिले की 22 पत्थर खदानों को बंद कर दिया गया, जिससे जिले में पत्थर का कारोबार पूरी तरह से बंद हो गया। स्टोन पॉलिसिंग इंडस्ट्री भी बंद हो गई, जिससे कई लोग बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।