शिवपुरी। छह साल पहले हुई हत्या के मामले में आरोपी बलवीर रावत पर शिवपुरी कोतावाली मे प्रकरण दर्ज किया था। लेकिन आरोपी ने अपने आप को बचाने के लिए ग्वालियर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ऐसे कुटरचित दास्तावेज पेश किए जिससे यह सिद्ध हो सके कि वह घटना दिनांक को घटना स्थल पर मौजूद नही था।
बल्कि उसकी उपस्थिती भोपाल में पंचायत एंव ग्रामीण विकास मंत्रालय में हत्या के समय थी। लेकिन जांच में उक्त दास्तावेज फर्जी पाए गए इससे वह हत्या के मामले तो बच नही सका और उसके खिलाफ धोखाधडी का मामला भी दर्ज हो गया।
जानकारी के अनुसार 18 जून 2013 को आरोपी बलवीर रावत पर कोतवाली में अपराध क्रंमाक 197/13 धारा 302,120वी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर द्धितीय अपर सत्र न्यायाधीश सिद्धी मिश्रा के न्यायालय में प्रकरण प्रचलित था। जबकि आरोपी घटना के बाद से ही फरार था। इस दौरान आरोपी द्धारा स्वंय को निर्दोष सबित करने के लिए पंचायत एंव ग्रामीण विकास मंत्रालय के कुद प्रपत्र कूटरचना कर तैयार किए।
आरोपी ने उन कूटरचित दस्तावेजो को उपयोग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट मे यह साबित करने के लिए किया कि वह घटना दिनांक को भोपाल में मोजूद था। और उसका इस हत्या से कोई लेना देना नही हैं।
न्यायालय ने जब इन दास्तावेजो की जांच कराई तो वह फर्जी निकले। न्यायालय ने आरोपी को इस मामले में भादवि की धारा 420,467,468,471,120वी के तहत प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया जिस पर सिटी कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।