शिवपुरी। कम खाओ और गम खाओ के तर्ज पर चली शिवुपरी की 101 वर्षीय बुर्जग महिला सरवदी देवी का निधन बुधवार को हो गया। सरवदी देवी संभाग की सबसे उम्र दराज आयकर दाता थी,इस कारण आयकर विभाग ने उन्है घर आकर सम्मानित किया था।
शतायु होने के बाद भी उन्होंने कभी चश्मा नहीं लगाया और घर के पांच पीढियों के बच्चों को वह आवाज से ही पहचान कर उनको नाम से बुलाती थीं और लंबा और स्वस्थ जीवन जीने के टिप्स देती थीं।
बुधवार सुबह जैसे ही उन्होंने अंतिम सांस ली और यह समाचार शहर में फैला,वैसे ही आयकर अधिकारी पद से सेवानिवृत बंसल जी की मां सरवदी बाई 101 वर्ष के प्रति अपनी अश्रुपुरित श्रद्धांजलि अर्पित करने लोग उनके घर पहुंचे।
खास बात यह रही कि घर के लोगों ने सबसे कहा कि उनके जाने का रंज न मनाएं क्योंकि उन्होंने विषम परिस्थतियों में भी मुस्कुराने की नसीहत दी थी। इसके बाद लोगों को बीच उनके संस्मरण सुनाए जाने लगे और यह क्रम पूरा 6 घंटे तक चला जब तक कि उनका अंतिम संस्कार नहीं हो गया।
लंबा जीवन जीना है तो कम खाओ और गम खाओ
उनके बेटे आयकर अधिकारी बंसल बताते हैं कि मां अक्सर हम सभी भाई बहनों और परिवार के सदस्यों से कहती थी कि हमेशा कम खाओ पर परिवार के साथ अधिक समय बिताओ।
यही नहीं गम खाने की बात भी वह करती थी। जिसका आशय यह था कि क्रोध और आवेश में आकर कभी अपना मानसिक संतुलन नहीं खोना है हमें धैर्य के साथ अपना जीवन आगे बढाना है और ईमानदार लोगों के साथ सदा ईश्वर रहता है। इसलिए कभी जीवन में परिवार से मिले संस्कार मत छोडना।
सरवदी देवी के बारे में उनके नाती और आकाशवाणी के उद्घोषक डॉ. समर्थ अग्रवाल बताते हैं कि घर की पांच पीढियों के सदस्यों को वह नाम से बुलाती थी। उन्होंने कभी चश्मा नहीं पहना और 100 वर्ष की आयु पिछली बार पूरी हुई तो उन्हें सबसे लंबी आयु की टैक्स दाता महिला संभाग की होने पर संभाग के आयकर विभाग की टीम उन्हें सम्मानित करने आई थी। उनके निधन के समाचार के बाद अंतिम विदाई देने मुक्तिधाम में सैकड़ों लोगों का जमघट लगा।
शतायु होने के बाद भी उन्होंने कभी चश्मा नहीं लगाया और घर के पांच पीढियों के बच्चों को वह आवाज से ही पहचान कर उनको नाम से बुलाती थीं और लंबा और स्वस्थ जीवन जीने के टिप्स देती थीं।
बुधवार सुबह जैसे ही उन्होंने अंतिम सांस ली और यह समाचार शहर में फैला,वैसे ही आयकर अधिकारी पद से सेवानिवृत बंसल जी की मां सरवदी बाई 101 वर्ष के प्रति अपनी अश्रुपुरित श्रद्धांजलि अर्पित करने लोग उनके घर पहुंचे।
खास बात यह रही कि घर के लोगों ने सबसे कहा कि उनके जाने का रंज न मनाएं क्योंकि उन्होंने विषम परिस्थतियों में भी मुस्कुराने की नसीहत दी थी। इसके बाद लोगों को बीच उनके संस्मरण सुनाए जाने लगे और यह क्रम पूरा 6 घंटे तक चला जब तक कि उनका अंतिम संस्कार नहीं हो गया।
लंबा जीवन जीना है तो कम खाओ और गम खाओ
उनके बेटे आयकर अधिकारी बंसल बताते हैं कि मां अक्सर हम सभी भाई बहनों और परिवार के सदस्यों से कहती थी कि हमेशा कम खाओ पर परिवार के साथ अधिक समय बिताओ।
यही नहीं गम खाने की बात भी वह करती थी। जिसका आशय यह था कि क्रोध और आवेश में आकर कभी अपना मानसिक संतुलन नहीं खोना है हमें धैर्य के साथ अपना जीवन आगे बढाना है और ईमानदार लोगों के साथ सदा ईश्वर रहता है। इसलिए कभी जीवन में परिवार से मिले संस्कार मत छोडना।
सरवदी देवी के बारे में उनके नाती और आकाशवाणी के उद्घोषक डॉ. समर्थ अग्रवाल बताते हैं कि घर की पांच पीढियों के सदस्यों को वह नाम से बुलाती थी। उन्होंने कभी चश्मा नहीं पहना और 100 वर्ष की आयु पिछली बार पूरी हुई तो उन्हें सबसे लंबी आयु की टैक्स दाता महिला संभाग की होने पर संभाग के आयकर विभाग की टीम उन्हें सम्मानित करने आई थी। उनके निधन के समाचार के बाद अंतिम विदाई देने मुक्तिधाम में सैकड़ों लोगों का जमघट लगा।