राष्ट्र निर्माण में सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालयों की अहम भूमिका | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। सरस्वती विद्यापीठ आवासीय विद्यालय में राष्ट्र निर्माण में संत समाज की भूमिका जैसे विषयों पर व्याख्यान एवं प्रवचन देने वाले राष्ट्रीय संत परम पूज्य जीतेन्द्रानंद सरस्वती राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारतीय संत समिति द्वारा व्याख्यान दिया गया।

श्री जीतेन्द्रानंद जी ने अपने व्याख्यान माला में श्री राम के छात्र जीवन के चरित्र के विभिन्न पुष्पों को पिरोते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति,संस्कारों की संस्कृति है हमारे भारत के आदर्श पुरूष ही आज के आचरण स्त्रोत हैं , समय की महिमा केवल भारत में ही है भारत भूमि  पवित्र और महान है गुरू के पास जाकर विद्या प्राप्त करने का उदारहण प्रस्तुत करते हुए जीतेन्द्रानंद  ने कहा कि प्रभू श्री राम जी अपने गुरुजी के आश्रम में विद्या प्राप्त करने के लिए गए और अल्प समय में ही सभी विद्याएँ सीख  ली ।

सरस्वती विद्यापीठ आवासीय विद्यालय भी आधुनिक युग का गुरुकुल है जहाँ छात्रों को राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती है, यहाँ के छात्र राष्ट्र निर्माण के लिए सदैव अपना सहयोग प्रदान करते हुए अपने जीवन को सच्चा देशभक्त कहलाने का गौरव प्राप्त करते हैं । उन्होंने बताया कि अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में प?कर छात्र एक अधिकारी तो बन सकता है परंतु राष्ट्रभक्त नहीं, सर्वप्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना सन 1952 में गोरखपुर में प्रारंभ हुआ जिसे प्रारंभ करने का मूल उद्देश्य राष्ट्रभक्तों का निर्माण करना है और हम सब साक्षी हैं कि जहाँ जहाँ ये छात्र पहुंचे हैं वहाँ पर स्वयं को ही नहीं अपितु राष्ट्र को गौरवान्वित करते हैं। छात्रों की अपने गुरू के प्रति श्रद्धा होना अतिआवश्यक है।

विनोदात्मक शैली का प्रयोग करते हुए गुरू के प्रति श्रद्धा के अनेक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब हम गुरुजी के पास जाकर विद्या प्राप्त करते है  तो शिक्षा के साथ स्वत: ही संस्कार और सदगुण आ जाते है तथा यदि गुरु व्यक्ति के पास पहुंचे तो  उनमें ह्रास होता है इसलिए श्रद्धावान व्यक्ति ही ज्ञान प्राप्त करता है तदोपरांत वह उनका प्रसार  करता है । हम जो समझे वही कहे और वही करें जो हम करें। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना से किया गया। महाराज श्री का स्वागत पवन शर्मा प्राचार्य एवं ज्ञान सिंह कौरव प्रबंधक द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रबंधक ज्ञानसिंह कौरव के द्वारा आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर समस्त विद्यापीठ परिवार उपस्थित रहा।
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