बाद में मरती है गर्भवती महिला, पहले हेल्थ कार्ड का गला दबा देता है स्वास्थ्य विभाग, कौन है जिम्मेदार | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। जिले का स्वास्थय विभाग चाहे कितने भी बेहत्तर स्वास्थय सेवाओ के दावे कर ले, लेकिन प्रसूताओ की मरने ही संख्या लगातार बड रही हैं। कोलारस ब्लॉक की प्रसूता कलावती की मौत ने स्वास्थय विभाग की लापरवाही की पोल खोल दी है। कलावती की मौत से यह सिद्ध् हुआ हैं कि ग्रामीण स्तर पर स्वास्थय विभाग अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा रहा हैं,और जिला स्तर पर।  

मातृ एवं शिशु मृत्य दर रोकने के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है। काेलारस ब्लॉक की गर्भवती कलावती की रविवार को खून की कमी से मौत के बाद मिडिया ने मैदानी स्तर पर पड़ताल की तो चौकाने वाला खुलासा हुआ। गर्भधारण से लेकर नौ महीने तक प्रसूताओं की जरूरी जांचें और टीकाकरण तक नहीं कराया जा रहा है। ज्यादातर गर्भवती महिलाओं के हेल्थ कार्ड (मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्ड) तक नहीं बने हैं।

जिनके बने हैं, उनका नौवां महीने तक कार्ड पर सिर्फ नाम और पता चढ़ा है। जिला अस्पताल में भर्ती होने वाली 50% गर्भवती महिलाएं ऐसी हैं जिनकी नौ महीने में किसी तरह की जांचें और टीकाकरण तक नहीं हुआ। अधिकाशं प्रसूताओं के मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन (एमसीपी कार्ड) कार्ड तक नहीं बनाए गए हैं। कुछ को कार्ड बनाकर थमा तो दिए, लेकिन जरूरी जांचें और टीकाकरण का कहीं कोई उल्लेख ही नहीं है।

यही वजह है कि अंचल के अस्पतालों में प्रसूताओं की गंभीर हालत के चलते डॉक्टर सीधे जिला अस्पताल रेफकर कर देते हैं। जिससे जिला अस्पतला में 160 बैड की तुलना में प्रसूताओं की संख्या 200 पार पहुंच रही है। यह हालात अधिकारियों के ध्यान नहीं देने से मैदानी स्तर पर एएनएम, आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं ठीक ढंग से काम नहीं कर रहीं हैं। जिससे स्पष्ट हो रहा है कि स्वास्थ्य विभाग को प्रसूताओं की जान की परवाह नहीं है।

सवाल बड़ा हो रहा हैं आखिर कौन है जिम्मेदार

यहां यह सवाल खडा होता हैं कि हैल्थ कार्ड का मामला जब उठा जब कोलारस ब्लॉक की कलावती खून की कमी से तड़प-तड़प कर मर गई। जिले के सरकारी अस्पताल सहित अचंल के अस्पतालो में प्रतिदिन प्रसव होते हैं,डॉक्टर उनके हैल्थ कार्ड क्यो चैक नही करते,अगर करते ओर उनके कार्ड में नियमित जांच और टीका करण का उल्लेख मिलता या नही मिलता तो इसके जिम्मेदारो पर आज तक कार्रवाई क्यो नही की गई।

इसमें मैदानी कर्मचारियो की लापरवाही तो उजागर होती है,साथ में डिलेवरी कराने वाले डॉक्टरो की भी लापरवाही सामने आ रही हैं उन्होने ऐसे मामलो की जानकारी लेकर मैदानी कर्मचारियो पर कार्रवाई के लिए क्यो नही लिखा,यह मुददा मिडिया उठा रही हैं,डिलेवरी कराने वाले चिकित्सक भी उठा सकते थे,लेकिन नही उठाया गया यह एक विचार करने योग्य प्रश्न हैं कि जिले का स्वास्थय विभाग अधिकारी स्तर से लेकर मैदानी स्तर पर लापरवाह हैं।

इन प्रसूाताओ की हुई मौत

मीना (23) पत्नी प्रधान जाटव निवासी पचावली की 22 अप्रैल 2019 को मौत हो गई। मौत को लेकर जांच कराई, जिसमें पता चला कि प्रसव के दौरान यूट्रेस बाहर आ गया। लुकवासा से जिला अस्पताल रेफर के दौरान रास्ते में मौत हो गई। कुसमा (29) पत्नी अजय विहार की 22 मई 2019 को प्रसव के दौरान मौत हो गई। मौत को लेकर वजह हायपरटेशन एनिमिया सामना आया।
                       

मातृत्व सुरक्षा अभियान कागजों में सिमटा

प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की जान न जाए, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान की शुरूआत की है। हर महीने की 9 तारीख को प्रसूताओं की जांच कराने की पहल शुरूआत में चली। लेकिन अब कागजों तक सिमटकर रह गई है। प्रसूताओं की सुध कोई लेने सामने नहीं आ रहा। अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे।

विभाग की अनदेखी के कारण भगवान भरोसे प्रसूताएं

पोहरी ब्लॉक में बैराड़ क्षेत्र के खद्दपटी गांव की प्रसूता ममता (23) पत्नी प्रागी यादव को प्रसव के लिए भर्ती कराया है। प्रसूता का किसी ने एमसीपी कार्ड नहीं बनाया। आंगनबाड़ी केंद्र बैजा गांव में है जो खद्दपटी से 2-3 किमी दूर है। आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एक भी बार सुध लेने गांव नहीं आईं।

शिवपुरी शहर की लुधावली बस्ती की रहने वाली प्रसूता रामकली (24) पत्नी लच्छी आदिवासी को भर्ती कराया। जहां डिलेवरी के बाद खून की कमी के चलते ब्लड चढ़ाया जा रहा है। परिजनों ने बताया कि नौ महीने के दरम्यान किसी ने एमपीसी कार्ड बनाकर नहीं दिया। प्रोत्साहन राशि के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुनीता भर्ती कराने जरूर आ गई थी।

कोलारस ब्लॉक के धर्मपुरा गांव की रहने वाली प्रसूता लता (20) पत्नी ऊधम आदिवासी को जिला अस्पताल में प्रसव के लिए सोमवार की शाम भर्ती कराया है। लता का एमसीपी कार्ड तो है, लेकिन जांचों व टीकाकारण का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। सिर्फ डिलेवरी की संभावित तारीख 19 जुलाई लिख दी है। प्रसूता ने बताया कि गांव में जांच करने कोई नहीं आया।

जांचें व टीकाकरण नहीं कराने पर कार्रवाई करेंगे

प्रसूता की मौत के संबंध में जानकारी मंगा ली है। मैं अभी भोपाल में हूं, नोटिस तैयार करवा लिए हैं। MCP कार्ड बनाकर सभी जांच कराने के लिए एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आशा सहयोगिनियों को जिम्मेदारी दी है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
डॉ अर्जुनलाल शर्मा, CMHO 
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