कांग्रेस और कटौती, आखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है, कही भाजपा का गठबंधन तो नही | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। प्रदेश में अंधाधुंध बिजली  कटौती के कारण तत्कालीन दिग्विजय  सिंह सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था और प्रदेश में भाजपा सरकार की वापसी हुई थी और भाजपा के सत्ता में आने के बाद आश्चर्यजनक  रूप से  प्रदेश में व्याप्त बिजली संकट समाप्त हो गया था और जनता ने राहत की सांस ली ओर आम पब्लिक के जीवन से कटौती नामक शब्द गायब हो गया।

लेकिन प्रदेश में अब जब से कांग्रेस  सरकार सत्ता में आई है तब से ही धड़ाधड़ बिजली कटौती पूरे प्रदेश में होने लगी है और इससे शिवपुरी भी अछूता नहीं है। लगभग 6 माह ेस बिजली कटौती से जनजीवन परेशान है। बिजली कटौती  शहर के अलावा अन्य ग्रामीण क्षेत्रों कोलारस, पोहरी, बदरवास, करैरा, पिछोर, खनियाधाना, भौंती आदि क्षेत्रों में हो रही  है।

शिवपुरी की बात करे तो शायद ही कोई दिन ऐसा हो जिससे  बिजली  संकट से लोग परेशान न हुए हों। शहर की अलग अलग कॉलोनियों में अलग अलग दिन बिजली कटौती कभी मेटिनेंस के नाम पर तो कभी आंधी तूफान के नाम  पर काटी जा रही है। प्रतिदिन शहर के बड़े इलाके में तीन से चार घंटे की अघोषित बिजली कटौती जारी है।

आज सुबह से ही श्रीराम कॉलोनी और उससे लगे हुए क्षेत्रों में बिजली नहीं है जिससे गर्मी में लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। बिजली  कटौती ऐसा नहीं है सिर्फ दिन में ही होती हो बल्कि  रात में भी बिजली काट दी जाती है और कभी भी रात रात भर लाइट नहीं आती। जिससे  बेहाल होकर लोग सडक़ों पर घूमते रहते हैं और प्रदेश सरकार को कोसते रहते हैं।

सवाल यह है कि जब भाजपा सत्ता में थी तो बिजली का संकट क्यों नहीं था और कांग्रेस के  सत्ता में आते ही बिजली संकट क्यों बढ़ गया। लोगों  के मन में सवाल है कि क्या कांग्रेस बिजली संकट के बहाने जनता को परेशान कर रही है,यह हो नही सकता है कि कांग्रेस अपने वोटरे को परेशान करे।

प्रदेश के बिजली विभाग की बात करे तो सिर्फ सरकार का चेहरा बदला हैं,बिभाग के कर्मचारी ओर अधिकारी नही,संसाधन वही हैं तो फिर कैसे बिजली संकट खडा हो रहा हैं कही यह भाजपा और बिजली विभाग के कुछ बडे अधिकारियो का गठबधंन तो नही,जिससे सरकार की फिजा खराब हो रही हैं,या नई सरकार के नुमाईंदे बिजली विभाग के अधिकारियो की इन गडबडियो को पकड नही पा रहे हों। मुख्यमंत्री कमलनाथ तमाम चेतावनी के  बावजूद भी बिजली अधिकारियों पर अंकुश नहीं लगा पाए और बिजली संकट बदस्तूर जारी है।
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