सेवा के माध्यम से ग्रामीण बैंक समाज सेवा समिति मुक्ति मार्ग पर अग्रसर: स्वामी सेवानंद जी | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। भक्ति मार्ग पर आगे बढऩे के लिए सेवा एक मात्र माध्यम है। सेवा से भक्ति और भक्ति से मुक्ति की दुर्लभ यात्रा संभव है। ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति सेवा के माध्यम से मुक्ति मार्ग की ओर अग्रसर हो रही है। उक्त उदगार परमाहंस आश्रम चूनाखो के प्रसिद्ध संत स्वामी सेवानंद जी सरस्वती ने ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति द्वारा संचालित अंतिम यात्रा वाहन के लोकापर्ण समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए हैं।

मंगलम भवन में आयोजित इस गरिमापूर्ण समारोह में मध्यांचल ग्रामीण बैंक के महाप्रबंधक के श्रीधर राव अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे। समारोह में शिवपुरी में समाजसेवा के विभिन्न आयामों में अपनी श्रेष्ठ भूमिका का निर्वहन कर रही समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति के समन्वयक एसकेएस चौहान ने पुरानी अंतिम यात्रा वाहन को समाजसेवी संस्था अपना घर को दान किया और इस संस्था के पदाधिकारियों को वाहन की चाबी मुख्य अतिथि स्वामी जी के करकमलों से भेंट कराई।

समारोह में सम्मानित होने वाली संस्थाओं में अस्पताल तथा मुक्तिधाम में अपनी सेवाएं दे रही मानवता, मदद बैंक, अपना घर शामिल हैं। इस अवसर पर शिवपुरी के जरूरतमंदों को ब्लड दान मेें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले अमित खंडेलवाल और उनकी टीम तथा मुक्ति वाहन के चालक बबलू ड्राईवर का भी सम्मान किया गया तथा उनके कार्यो की आयोजकों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।

समारोह में संत स्वामी सेवानंद जी भारती ने अपने आध्यात्मिक उदबोधन से इस समाजसेवी कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। स्वामी जी ने सबसे पहले इस मान्वीय कार्य के लिए ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति को शुभकामनाएं दी और कहा कि मनुष्य जीवन में भक्ति दुर्लभ है, क्योंकि भक्ति ही हमें मोक्ष या मुक्ति मार्ग की ओर ले जाती है। भक्ति रूपी हीरक तत्व को प्राप्त करने हेतु सेवा एक मात्र माध्यम है। सेवा से ही मन भक्ति में रमता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कमाए हुए धन का अपनी सामर्थ के अनुसार कुछ न कुछ उपयोग समाजसेवा में करना चाहिए।

जरूरी नहीं कि आप एक करोड़ का दान करें या लाखों का दान करें। यदि अपनी हेसियत के अनुसार एक रूपया का भी आपने समाजसेवा के कार्य में उपयोग किया तो उसका उतना ही महत्व है मानो आपने करोड़ों का दान किया हो। कार्यक्रम की अध्यक्षत करते हुए मध्यांचल ग्रामीण बैंक के महाप्रबंधक श्री के श्रीधर राव ने कहा कि इस संसार में सिर्फ एक ही जाति है और वह है मानवता। इसके लिए आवश्यक है कि हम कुछ न कुछ हद तक अपने स्वार्थो से अलग हों और समाज की उन्नति तथा भलाई में अग्रसर हों।

उन्होंने कहा कि हमें अपने-अपने बच्चों में भी समाजसेवा के संस्कार डालने चाहिए ताकि उनके दिल में सेवा, करूणा और दयालुता की भावना का समावेश हमेशा रहे। श्री राव ने कहा कि जब मैं छोटा था तो मेरे माता-पिता मुझे बताया करते थे कि अपनी कमाई के चार हिस्से करों, जिनके भाग आपके जीवन के उपयोग और बचत में काम आए।

वहीं उसका एक हिस्सा समाजसेवा के लिए भी समर्पित हो। उन्होंने कहा कि इस समिति से जुड़ाव के कारण मैं आज अपने आप को गौरवंावित महसूस कर रहा हूं। समारोह में सिविल सर्जन डॉ. गोविंद सिंह, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. अजय खैमरिया, मछुआ कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राजू बाथम और समाजसेवी प्रमोद गर्ग ने भी अपना उदबोधन दिया तथा समाजसेवा समिति द्वारा अपनी स्थापना से अब तक किए गए समाजसेवी कार्यो से अवगत कराया। कार्यक्रम के बाद अतिथिगणों ने अंतिम यात्रा वाहन का लोकापर्ण किया। कार्यक्रम का संचालन ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति के समन्वयक एसकेएस चौहान ने किया।

शिवपुरी की अग्रणी समाजसेवी संस्था है ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति : डॉ. खैमरिया

मंगलम के संचालक डॉ.अजय खैमरिया ने इस अवसर पर ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति के सम्मान में काव्यात्मक और हृदयस्पर्शी व्याख्या दिया। उन्होंने इस समिति के टीम लीडर एसकेएस चौहान की सराहना की और कहा कि वह न केवल वर्तमान में समाजसेवा के कार्य कर रहे हैं बल्कि इस बात के लिए भी चिंतित है कि उनके सेवानिवृत होने के बाद भी समाजसेवा का यह कार्य बदस्तूर जारी रहे।

डॉ. खैमरिया ने याद करते हुए कहा कि इस समिति के प्रतिवर्ष 8 से 10 कार्यक्रमों में मुझे जाने का अवसर और गौरव मिलता है। मकर संक्राति पर जब मैं इस समिति के एक कार्यक्रम में गया, जिसमेें दिव्यांग बच्चों को मिष्ठान, मंगोडे आदि वितरित किए जा रहे थे। तब मैने देखा कि समिति की प्रेरणा से छोटे-छोटे बच्चे अपनी बचत की राशि को यहां समाजसेवा के कार्य में खर्च कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह समिति समाजसेवा का कोई मौका नहीं छोड़ती है। अन्य समाजसेवी संस्थाओं को इस संस्था से प्रेरणा लेना चाहिए।

मानवीय संवेदनाओं का हृास होना चिंता का विषय : डॉ. गोविंद सिंह

सिविल सर्जन डॉ. गोविंद सिंह ने जहां ग्रामीण बैंक समाजसेवा समिति के कार्यो की सराहना की। वहीं वह कहने से भी नहीं चूके कि शव यात्रा वाहन का उपयोग हमारी घटती मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस वाहन का उपयोग तो 15-20 साल से प्रारंभ हुआ है। लेकिन उसके पहले भी लोग मृतकों के शव को अंतिम संस्कार के लिए मुक्ति धाम ले जाते थे। लेकिन वह दिवंगत व्यक्ति को कंधा देने में वह अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करते थे।

हर व्यक्ति कोशिश करता था कि मैं कहीं कंधा देने से चूक न जाऊ। बहुत से लोग अर्थी के चारों कोनों पर जाकर कंधा देते थे। अंतिम संस्कार को मानवीय और श्रेष्ठ बनाने का यह एक उपक्रम था। लेकिन आज तो लगभग सभी लोग दिवंगत व्यक्ति को शवयात्रा वाहन से मुक्तिधाम तक ले जाते हैं। यह लोगों को कष्ट से बचाने का एक प्रयास तो है लेकिन साथ ही मानवीय संवेदनाओं के हृास का सूचक भी है। 
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