​अब बलारी मैया वन विभाग के पिंजरे में, भक्तो की आस्था पर कुठाराघात | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। ग्वालियर राज्य के महाराजा कै. जीवाजी राव सिंधिया के शाही शिकार के लिए बल्लारी का अभ्यारण प्रसिद्ध था। उन्हीं के समकालीन समय में मां बलारी माता की प्राण प्रतिष्ठा संत श्री स्वामी अकुला नंद महाराज के परम गुरु देव महाराज ने जगत कल्याण के उद्देश्य करवाई थी।

भारत स्वतंत्र के पहले से बल्लारी मां के दर्शन करने के लिए आसपास अंचल के हजारों भक्त प्रतिदिन आते जाते रहते हैं । यह स्थान शिवपुरी जिले का अति प्राचीन सिद्ध स्थल है ,बल्लारी मंदिर के प्रांगण में चेत्रीय नवरात्रि में विशाल मेला का आयोजन गत 100 वर्षों से होता चला आ रहा हैं।

एक अनुमान के मुताबिक 1 वर्ष में करीब 40 से 50 लाख भक्त श्रद्धालु बल्लारी देवी मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं । अंतर राष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रदेश मंत्री बृजेश पाठक ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से एवं मध्य प्रदेश मुख्य वन संरक्षक भोपाल से मांग की है , कि शीघ्र मंदिर का रास्ता भक्त श्रद्धालु लोगों के लिए खोला जाए और हिंदुओं की आस्था के साथ कुठाराघात न किया जाए जहां तक जंगल की सुरक्षा का सवाल हैं। 

तो भक्त उसका ध्यान पूर्व से ही रखते हैं । दूसरी ओर शासन एवं प्रशासन को यह भी ध्यान में रखना होगा की मंदिर की स्थापना भारत स्वतंत्र से पहले हुई थी जबकि मध्य प्रदेश राज्य का निर्माण 1 नवंबर 1956 को हुआ था और माधव नेशनल राष्ट्रीय उद्यान का प्रादुर्भाव 1958 में हुआ है । हिंदू लोग इस मंदिर पर अनादि काल से दर्शन पूजा अर्चना करने के लिए आते जाते रहे हैं। 

इस मंदिर के संदर्भ में महाभारत  में भी एक दृष्टांत आता है, की महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण के आदेश पर देवी मां का अनुष्ठान धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी विजय के लिए किया था । मां से जब धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा कि आप हमारे साथ हमारी रक्षा के लिए चलें तो देवी मां ने आशीर्वाद दिया कि आप का कल्याण होगा।

आपकी विजय होगी ।लेकिन तमाम अनुनय विनय के पश्चात देवी मां जिस समय धर्मराज के रथ पर सवार हुई । उस समय उन्होंने कहा कि यदि तुमने पीछे मुडक़र देखा तो मैं वहीं पर विराजमान हो जाऊंगी। ऐसी क्रांदति हमारे संत विद्वान पंडित जन कहते हैं ,कि वही देवी मां बल्लारी के नाम से यहां पर विराजमान हैं। 
G-W2F7VGPV5M