शिवपुरी RTO मधु सिंह ने अपने भाइयों को खाते में 80 लाख की सरकारी रााशि डलवाई | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
एक्सरे ललित मुदगल। शिवपुरीं। वैसे तो आरटीओ विभाग का सरकार के म़ंत्रियो ओर बडे अफसरो के अघोषित खर्चो को उठाने का जिम्मा रहता हैं। या सीधे शब्दो में कह ले कि इस विभाग को सरकार की ओर भ्रष्टाचार करने का सरंक्षण प्राप्त होता हैं,लेकिन शिवपुरी का आरटीओ विभाग अपने भ्रष्टाचार के कारण प्रदेश में नंबर वन होता जा रहा है। खबर मिल रही है कि शिवपुरी की आरटीओ मधुसिंह ने अपने मुहबोले भाईयो और दलालो के खातो में सीधे 80 लाख रूपए सरकारी पैसा डलबा दिया हैं। 

जैसा कि विदित हैं कि अभी कुछ दिनों पूर्व आटीओ की कार से बसों से बसूली करते हुए RTO के कटर को मीडिया ने अपने कैमरे में कैद किया था। इन कटरो को देख लग रहा था कि जैसे आरटीओ विभाग के भ्रष्टाचार के भ्रूण खुले आम सडको पर घूम रहे हों। मेडम पर कार्यवाही न होने के नतीजा यह आया कि आरटीओ मेंडम ने विभाग में एक बडे घोटाले का पका दिया हैंं। 

बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सभा के नाम पर आरटीओं ने 80 लाख रूपए का पैमेंट अपने चहेते दलालों के खातों में डलबा दिया है। सबसे अहम बात यह है कि उक्त दलालों के नाम पर पूरे प्रदेश में कही भी कोई बस का नाम रजिस्टर नहीं है। 

पिछले वर्ष 2018 जुलाई में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी का कार्यक्रम पिछोर में हुआ था जिसमे वाहनों की व्यवस्था जिला परिवहन कार्यालय से कराई गई थी,जिसमे 41 लाख रुपये का भुगतान जिला पंचायत शिवपुरी ने जिला परिवहन अधिकारी के पत्र के आधार पर किया।

बताया गया है कि रात्रि में आनन फानन में जिला परिवहन अधिकारी जिला पंचायत कार्यालय पहुची और स्वयम अपने हाथों से जल्दबाजी में एक पत्र लिखा जिसमे 300 गाड़ियों के 41 लाख रुपये का भुगतान लगभग का उल्लेख किया गया और दो दिन बाद ही वह भुगतान अलग अलग लोगो के खाते में पहुंच गया। 

खास बात यह है कि जिन लोगो के खाते में भुगतान पहुचा उसमे से कई लोग बस संचालक है ही नही अपात्र है,पुष्पेंद्र सिंह यादव, व अशोक नागपाल इनके नाम से लगभग 21 लाख रुपये का भुगतान हो गया जबकि इन दोनों के नाम न तो कोई बस पंजीकृत है और  न ही ये दोनों  अधिकृत ट्रेवल्स संचालक हैं ।

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के नाम से एक पत्र अशोक नागपाल के नाम से जारी हुआ है जिसमे प्रतिनधि शब्द का उपयोग किया गया है यानी बस संचालको के प्रतिनिधि के रूप में 20 लाख रुपए एक ही खाते में डाले गए। 200 बस ये अशोक नागपाल के द्वारा ग्वालियर व आसपास से उक्त कार्यक्रम में लगाई गई दर्शायी है ,बीस हजार रुपये के हिसाब से ये बसे मंगाई गई है। प्रश्न यह है कि अशोक नागपाल को 100 बस ऑपरेटर का प्रतिनिधि कैसे माना जा सकता है।

क्या 100 अलग अलग बस ऑपरेटरों ने अशोक नागपाल के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी जिला परिवहन कार्यालय में जमा कराई है क्या ? ओर अभी जब निर्वाचन कार्य मे बसों की जरूरत थी तब 300 बसे बड़े आराम से 24 घंटे में परिवहन विभाग ने उपलब्ध करा ली लेकिन उक्त पिछोर के कार्यक्रम में दस गुना अधिक लागत पर ग्वालियर से बसे मंगवाना और अबिलम्ब उनका भुगतान कराया जाना एक सोची समझी रणनीति के चलते एक घोटोलो को पकाया जाना प्रतीत होता हैं। 

पुष्पेंद्र सिंह यादव व अशोक नागपाल के नाम से न ही कोई बस है न ही कोई ट्रेवल्स सन्चालित की जाती है,फिर भी लाखों रुपये का भुगतान विनके नाम से कराना हेराफेरी नही तो क्या है?केवल दस लोगो ने खाते में 300 बसों का भुगतान 41 लाख रुपया पहुच गया जबकि 300 बसे इन दस लोगो के पास है ही नही। यानी अन्य आठ लोगो के नाम से भी जो भुगतान हुआ है,वह अन्य लोगो का है जिसका कोई हिसाब किताब नही है।जब जिला परिवहन अधिकारी से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन उठाना तक मुनासिब नहीं समझा।

विभग द्धवरा सफाई दी जा रही है कि बैक संचालको के खाते नही थे इस कारण यह रकम 2 व्यक्ति के खातो में ट्रांसफर की हैं। विभाग का यह बयान भी बचकाना दिख रहा हैं कि जो बस मालिक हैं उसका बैंक खाता नही हैं,पंचायत विभाग जब मनरेगा की मजदूरी भी आनलाईन पेमेंट करता है तो पंचायत विभाग ने भी एक पत्र के आधार पर कैसे इतनी बडी रकम ट्रासंफर कर दी। यह भी एक सवाल उठ रहा हैं,बही बस संचालको के खाते बैंक में न होने की तो यह बात हजम होने योग्य नही हैं क्यो की 99 प्रतिशत बसे फायनैंस होती हैं। तो सवाल ही नही उठता हैं खाते न होने का। इसी तरह उच्च न्यायालय के आदेश पर आयुक्त परिवहन विभाग का आदेश हर परिवहन कार्यालय में केश काउंटर खोलने का है जबकि शिवपुरी में कोई केश काउंटर नही है। 

दबे शब्दों में विभाग के ही एक बाबू से बातचीत की गई तो उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोई भी केश काउंटर शिवपुरी में नही है,और इससे जनता काफी परेशान होती है और सीधे सीधे हजारों रुपये का लाभ प्रतिदिन स्मार्ट चिप को जा रहा है जिसका अनुबंध माह सितंबर में समाप्त हो गया उसके बाद बढ़कर छह माह यानी मार्च में भी सीमा समाप्त हो गयी पर अंधेरगर्दी के चलते उसका काम भी अनवरत जारी है।

मुरैना से लेकर आई है मेडम अपने मुंहबोले भाई को
बताया गया है कि मुरैना से आये एक कटर जिला परिवहन अधिकारी के मुँहबोले भाई बताए जाते है । जो उनका सारा कार्य ये ही संचालित करते है किस हैसियत से किस आदेश पर इस पर सभी चुप्पी साध लेते है।ये तो सभी जानते है कि परिवहन विभाग मध्यप्रदेश का सबसे आय वाला विभाग है परन्तु जिस तरह से ये अनियमितताओं का केंद्र बन चुका है उससे जनता काफी त्रस्त है।

जिला पंचायत अधिकारी को इस मामले में फोन पर इस मामले पर उनकी प्रतिक्रिया चाही गई तो उन्होने कहा कि मैं अभी व्यस्त हूं,फ्री होकर कॉल करता हूं। जैसे ही इस मामले में जिला पंचायत सीईओ की प्रतिक्रिया आती हैं प्राथमिकता से प्राकशित कर दी जाऐगी।  



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