ये हो सकते है सिंधिया के हारने के 4 बड़े कराण,अब जनमानस को पच नही रही है हार | SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar
एक्सरे ललित मुदगल,शिवपुरी। इस लोकसभा चुनाव की 10 देश की बडी खबरो में एक है कि ग्वालियर राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव हार गए। वह भी अपने ही एक दरबारी से, जो कल तक उनके पैर पकडता था उसने की पटक दिया। जनमत ही सर्वोपरि होता है सिंधिया ने इस जनमत को स्वीकार भी कर लिया। जनमत ने वोट नही किया तो सिंधिया हार गए,लेकिन इसी जनमत हो सिंधिया की हार पच नही रही है और हर आम और खास अब सिंधिया की हार का मंथन कर रहा हैं। हम भी सीधे शब्दो से इस हार का मंथन का एक्सरे करते हैं।

आम बातचीत में लोगो ने कहा कि मै वोट तो मोदी को दूंगा,लेकिन जीतेंगें सिंधिया। यह स्लोगन भी सिंधिया का हार का कारण बना है। गुना-शिवपुरी की जनता सिंधिया को दिल में रखती हैं,उनकी हार कही से कही तक किसी को नही दिख रही थी। भाजपा की ओर से टिकिट लेने वालो की लाईन खाली थी,हार तय थी। इस कारण किसी ने आगे बढकर टिकिट नही लिया।

दूसरा बडा कारण देखने को मिला कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का ग्लेम्बर ही उन्है लू डूबा है। आम जन से परस्पर संवाद न होना भी चुनाव का हार कारण बना है। भाजपा ने इसी का फायदा उठाया और सोशल पर यह बात भी उठाई कि कौन से आम आदमी अपने सांसद से फोन पर बातचीत कर सकता हैं। सिंंधिया का चाटूकार फौज जनता की इस नब्ज का पकड नही सकी फीडबैक नही सही नही दिया गया। यह बात भी सत्य हैं  कि सिंधिया अपने संसदीय क्षेत्र में लगातार दौरे करते रहे हैं।

सिंधिया के सिपाहसलारो ने पब्लिक भीड तो बनाया लेकिन वोटर नही बना सकी। सिंधिया अपने पोस्टर छाप नेताओ से घिरे रहे। सिंधिया ने कभी इस गणित पर काम नही किया कि दौरो पर ताम झाम गाडी फोज फाटा ओर सिंधिया दरबार में टॉप की गददी पाने के लिए चेहरे चमकाने वाले नेताओ के अतिरिक्त आम पब्लिक चलकर मिलने क्यो नही आती,अपनी छोटी बडी समस्या क्यो नही गिनाती,क्येा कोई आम आदमी उनपर गुस्सा नही हुआ। ऐसा नही की सिंधिया ने विकास नही किया।विकास तो किया लेकिन पब्लिक से सीधे संवाद नही होना भी हार का मुख्य कारण बना हैं।


तीसरा सबसे बडा कारण बना सिंधिया को सही फीडबैक सिंधिया के सिपाहसलारो ने नही दिया कि अब तक इस क्षेत्र में किसी की आंधी नही चली लेकिन अब चल रही हैं,मोदी के राष्ट्रवाद की आंधी शिवपुरी गुना लोकसभा सीट पर चल रही है। क्येा नही समझा गया कि इस सीट के निवासियो के हद्धय में देशप्रेम उमड रहा हैं,वह भी मोदी की सर्जिकल स्ट्राईक से खुश हैं,जो आदिवासी मतदाता कांग्रेस का वोटर होता था वह पीएम आवास योजना के कारण मोदी का हो गया।

गैस पर रोटी पकाने वाली ग्रमीण महिलाओ को मोदी के सिलेंडर से जीवन सुलभ हो गया। मोदी की योजना ने जमीन पकड ली इस कारण सिंधिया की जमीन धसक गई। स्वयं कांग्रेस भी सिंधिया की हार का कारण रही हैं। मप्र में किसानो की कर्जमाफी भी सिंधिया की जीत का रोडा बनी,जिसे भाजपा ने मौका बनाया और सिर्फ हवाई फायर बताया।

चौथा कारण बताया जा रहा है कि सिंधिया के टीम में चेहरे तो थे,लेकिन उनमें से अधिकांश तह पोस्टर छाप थे। व्हीआईपी नेता थे,जमीनी नही थे। सिंधिया के आस-पास जो नेता थे वे सिर्फ आपस में सिंधिया दरबार में अपने नंबर बढाने की राजनीति करते थे आम पब्लिक की नही। सिंधिया के चारो और चाटूकारो का घेरा होता था आम जन का नही। केवल अपनी दम पर वोट लेने वाले पिछोर विधायक केपी सिंह ही रहे,जिसका प्रमाण पिछोर जीत ने दिया।

सिंधिया की हार अब किसी को नही पच रही हैं,इसका प्रमाण सोशल साईड ने दिया है। नए नवेले सांसद केपी यादव को फूल माला पहना कर बधाई देकर पोस्ट वायरल तो की जा रही हैं,लेकिन सिंधिया के लिए भावनात्मक पोस्ट वायरल हो रही है। यह पोस्ट आम पब्लिक कर रही है। कह रही है कि चाहे हमारे महाराज हार गए हो लेकिन वह हमारे दिल में बसते हैं।

शिवपुरी के मूल निवासी ग्वालियर में प्राईवेट कंपनी में जॉब करने वाले सौरभ नायक ने अपनी एफबी आईडी पर पोस्ट की हैं कि आज जो हम खो चुके है इस पल में,जिंदगी के सफर में नही खोया होगा। पूछे उस जश्न मनाने वाले से जरा,हमे तो हराने वाला भी आज रोया होगा,हम श्रीमंत के दिवाने थे और रहेंगें। शिवुपरी के युवा ने लिखा है कि हमने आज शिवपुरी की पहचान खो थी,इस गंदी राजनीति में बिना दाग वाला,ईमानदार और एक बडा ब्रांड खो दिया। अब अफसोस है शहर को और जल्द ही दिखाई देने लगेगा। ऐसी कई पोस्ट जो दिल छुती हुई भावनाओ के साथ एफबी पर पोस्ट हो रही है।
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