शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में आदिवासी समुदायों पर हो रहे कथित अत्याचार, पुलिस की निष्क्रियता और सरकारी योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार को लेकर सहरिया विकास परिषद ने एक गंभीर पत्र लिखा है। परिषद ने यह पत्र भारत की राष्ट्रपति, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिवपुरी के कलेक्टर को संबोधित करते हुए आदिवासी समाज की समस्याओं पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। परिषद ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
कंचनपुरा की घटना और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल
पत्र में मायापुर थाना क्षेत्र के कंचनपुरा गांव की एक हालिया घटना का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जिसने आदिवासी समुदाय में आक्रोश भर दिया है। आरोप है कि माता की प्रतिमा विसर्जन के दौरान जब आदिवासी लड़कियां DJ की धुन पर नृत्य कर रही थीं, तो गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने उनके साथ जबरदस्ती करने और छेड़छाड़ करने की कोशिश की। जब आदिवासी युवकों ने इसका विरोध किया, तो दबंगों ने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की।
सतनवाड़ा कला में भी दबंगई की वीडियो सामने आई थी।
एक कमल दास बाबा के द्वारा हमारी आदिवासी महिलाओं में डंडे खोचना, अश्लील गालियां देने की घटना।
परिषद के जिलाध्यक्ष जगराम पटेल ने पत्र में लिखा है कि इस मामले की शिकायत मायापुर थाने में करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। चार दिनों तक चक्कर काटने के बाद जब पुलिस अधीक्षक (SP) को आवेदन दिया गया, तब जाकर FIR दर्ज की गई। परिषद ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
भ्रष्टाचार और दबंगई का गठजोड़
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस-प्रशासन राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों के हाथों की "कठपुतली" बन गया है। आदिवासियों के विकास के लिए चलाई जा रही पीएम-जन-मन, पीडीएस वितरण और स्वास्थ्य जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे कर रहे हैं और विरोध करने पर उन्हें डरा-धमका कर चुप करा दिया जाता है।
परिषद की प्रमुख मांगें:
1. कंचनपुरा कांड: आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
2. अवैध शराब:आदिवासी बस्तियों से अवैध शराब की दुकानें हटाई जाएं और नशा मुक्ति अभियान चलाया जाए।
3. वन विभाग:अतिक्रमण हटाने के नाम पर आदिवासियों के साथ हो रहे भेदभाव की जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
4. आत्मरक्षा:आदिवासियों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस दिए जाएं।
5. सरकारी योजनाएं: केंद्र सरकार की 'कर्म योगी' और 'विजन प्लान 2030' जैसी योजनाओं को ईमानदारी से लागू किया जाए।
6. बुनियादी सुविधाएं: आजादी के दशकों बाद भी बिजली, पानी और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
7. आदिवासी समुदाय को शासकीय नौकरियों में प्राथमिकता: आदिवासी जनजाति के युवाओं एवं महिलाओं को विशेष अधिसूचना के तहत सरकारी नौकरियों में शामिल किया जाए।
8. भ्रष्टाचार की जांच: तालाब खुदाई और मिट्टी बिक्री में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो।
9. अतिक्रमण: बामरा और टोडा पंचायतों में आदिवासियों की भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को मुक्त कराया जाए।
10. योजना का विस्तार: केंद्र के कर्मयोगी अभियान में नेहरागढ़ गांव के 100 आदिवासी परिवारों को भी शामिल किया जाए।
11. निगरानी समिति: योजनाओं की निगरानी के लिए बनी समिति को केवल दिखावे के लिए इस्तेमाल न किया जाए।
12. दंबगई: ब्रजमोहन पुत्र सीताराम बाथम के हाल ही में सतनवाड़ा कला में आदिवासी समुदाय के प्राचीन लगभग 100 वर्ष पुराने फुलवाती मैया एवं देवता का चबूतरा पर पूजा पाठ एवं सुधार करने से गाली गलौज कर जान मारने की धमकी देकर रोकना। ब्रजमोहन अपनी समाज के बड़े बीजेपी नेता की धमकी देता है।
सहरिया विकास परिषद ने स्पष्ट किया है कि यह पत्र केवल एक आवेदन नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के दमन और पीड़ा का दस्तावेज है। यदि सरकार और प्रशासन उनकी सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, तो वे सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।
कंचनपुरा की घटना और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल
पत्र में मायापुर थाना क्षेत्र के कंचनपुरा गांव की एक हालिया घटना का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जिसने आदिवासी समुदाय में आक्रोश भर दिया है। आरोप है कि माता की प्रतिमा विसर्जन के दौरान जब आदिवासी लड़कियां DJ की धुन पर नृत्य कर रही थीं, तो गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने उनके साथ जबरदस्ती करने और छेड़छाड़ करने की कोशिश की। जब आदिवासी युवकों ने इसका विरोध किया, तो दबंगों ने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की।
सतनवाड़ा कला में भी दबंगई की वीडियो सामने आई थी।
एक कमल दास बाबा के द्वारा हमारी आदिवासी महिलाओं में डंडे खोचना, अश्लील गालियां देने की घटना।
परिषद के जिलाध्यक्ष जगराम पटेल ने पत्र में लिखा है कि इस मामले की शिकायत मायापुर थाने में करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। चार दिनों तक चक्कर काटने के बाद जब पुलिस अधीक्षक (SP) को आवेदन दिया गया, तब जाकर FIR दर्ज की गई। परिषद ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
भ्रष्टाचार और दबंगई का गठजोड़
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस-प्रशासन राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों के हाथों की "कठपुतली" बन गया है। आदिवासियों के विकास के लिए चलाई जा रही पीएम-जन-मन, पीडीएस वितरण और स्वास्थ्य जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे कर रहे हैं और विरोध करने पर उन्हें डरा-धमका कर चुप करा दिया जाता है।
परिषद की प्रमुख मांगें:
1. कंचनपुरा कांड: आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
2. अवैध शराब:आदिवासी बस्तियों से अवैध शराब की दुकानें हटाई जाएं और नशा मुक्ति अभियान चलाया जाए।
3. वन विभाग:अतिक्रमण हटाने के नाम पर आदिवासियों के साथ हो रहे भेदभाव की जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
4. आत्मरक्षा:आदिवासियों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस दिए जाएं।
5. सरकारी योजनाएं: केंद्र सरकार की 'कर्म योगी' और 'विजन प्लान 2030' जैसी योजनाओं को ईमानदारी से लागू किया जाए।
6. बुनियादी सुविधाएं: आजादी के दशकों बाद भी बिजली, पानी और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
7. आदिवासी समुदाय को शासकीय नौकरियों में प्राथमिकता: आदिवासी जनजाति के युवाओं एवं महिलाओं को विशेष अधिसूचना के तहत सरकारी नौकरियों में शामिल किया जाए।
8. भ्रष्टाचार की जांच: तालाब खुदाई और मिट्टी बिक्री में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो।
9. अतिक्रमण: बामरा और टोडा पंचायतों में आदिवासियों की भूमि पर हो रहे अवैध कब्जों को मुक्त कराया जाए।
10. योजना का विस्तार: केंद्र के कर्मयोगी अभियान में नेहरागढ़ गांव के 100 आदिवासी परिवारों को भी शामिल किया जाए।
11. निगरानी समिति: योजनाओं की निगरानी के लिए बनी समिति को केवल दिखावे के लिए इस्तेमाल न किया जाए।
12. दंबगई: ब्रजमोहन पुत्र सीताराम बाथम के हाल ही में सतनवाड़ा कला में आदिवासी समुदाय के प्राचीन लगभग 100 वर्ष पुराने फुलवाती मैया एवं देवता का चबूतरा पर पूजा पाठ एवं सुधार करने से गाली गलौज कर जान मारने की धमकी देकर रोकना। ब्रजमोहन अपनी समाज के बड़े बीजेपी नेता की धमकी देता है।
सहरिया विकास परिषद ने स्पष्ट किया है कि यह पत्र केवल एक आवेदन नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के दमन और पीड़ा का दस्तावेज है। यदि सरकार और प्रशासन उनकी सुरक्षा और अधिकारों को सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, तो वे सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।