पोहरी। 2 अक्टूबर को जहां पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए नशा मुक्ति और संयम का संदेश दे रहा था, वहीं पोहरी में शासन-प्रशासन के आदेश धरे के धरे रह गए। गांधी जयंती पर शराब बिक्री पर सख्त रोक के बावजूद शराब ठेकेदार ने खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाईं।
सूत्रों के मुताबिक, शराब दुकानें बाहर से बंद दिख रही थीं, लेकिन दुकान के बाहर ठेकेदार के लड़के और नजदीकी लोग ग्राहकों को बोतलें बेचते रहे। पैसा मौके पर ही वसूला गया और शराब हाथों-हाथ थमाई गई। यानी आदेश सिर्फ कागजों में रहे और जमीनी हकीकत में नशे का धंधा बेरोक-टोक चलता रहा।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शासन ने प्रतिबंध लगाया था तो स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस पर निगरानी क्यों नहीं कर पाई? क्या प्रशासन और पुलिस की आंखों के सामने यह सब होता रहा या फिर मिलीभगत से कानून को दरकिनार किया गया? गांधी जयंती जैसे पावन दिन पर शराब की बिक्री होना सिर्फ ठेकेदार की मनमानी नहीं, बल्कि प्रशासन और पुलिस की नाकामी का बड़ा सबूत है।
नगर के जागरूक नागरिकों ने इस पूरे मामले की निंदा की है और मांग की है कि शराब ठेकेदार सहित संबंधित जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो। लोगों का कहना है कि यदि ऐसी घटनाओं पर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में शासन-प्रशासन की साख और ज्यादा गिर जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, शराब दुकानें बाहर से बंद दिख रही थीं, लेकिन दुकान के बाहर ठेकेदार के लड़के और नजदीकी लोग ग्राहकों को बोतलें बेचते रहे। पैसा मौके पर ही वसूला गया और शराब हाथों-हाथ थमाई गई। यानी आदेश सिर्फ कागजों में रहे और जमीनी हकीकत में नशे का धंधा बेरोक-टोक चलता रहा।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शासन ने प्रतिबंध लगाया था तो स्थानीय प्रशासन और पुलिस इस पर निगरानी क्यों नहीं कर पाई? क्या प्रशासन और पुलिस की आंखों के सामने यह सब होता रहा या फिर मिलीभगत से कानून को दरकिनार किया गया? गांधी जयंती जैसे पावन दिन पर शराब की बिक्री होना सिर्फ ठेकेदार की मनमानी नहीं, बल्कि प्रशासन और पुलिस की नाकामी का बड़ा सबूत है।
नगर के जागरूक नागरिकों ने इस पूरे मामले की निंदा की है और मांग की है कि शराब ठेकेदार सहित संबंधित जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो। लोगों का कहना है कि यदि ऐसी घटनाओं पर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में शासन-प्रशासन की साख और ज्यादा गिर जाएगी।