शिवपुरी। न्यायालय विशेष न्यायाधीश विवेक शर्मा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम शिवपुरी ने विवेकानंदपुरम कॉलोनी शिवपुरी निवासी नपा ठेकेदार अर्पित शर्मा उम्र 40 साल पुत्र भगवती प्रसाद शर्मा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कार्य की गुणवत्ता व निर्माण नहीं कराने के आधार पर कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। खास बात यह की कि उपाध्यक्ष सहित 18 पार्षदों ने जमानत अर्जी निरस्त कराने अलग से वकील गठित कर आपत्तियां लगाई थी। अब ठेकेदार को फिलहाल जेल में ही रहना पड़ेगा।
जानकारी के मुताबिक नगर पालिका शिवपुरी में 16.13 लाख रु. के फर्जी भुगतान मामले में जेल गए ठेकेदार अर्पित शर्मा जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी। ठेकेदार की ओर से एडवोकेट विजय तिवारी ने पैरवी की। लेकिन कोर्ट ने 23 सितंबर को ठेकेदार की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि सब इंजीनियर जितेंद्र परिहार और सहायक यंत्री मनोज निगम जमानत का लाभ इस आधार पर मिला था
कि एमबी बुक में CMO के आदेश से कार्यों को दर्ज किया था। 25 जुलाई के जांच प्रतिवेदन अनुसार वर्क ऑर्डर 5 फरवरी 2025 का था कार्यपालन यंत्री की मनोहर बागड़ी की अनुशंसा पर लेखा एवं ऑडिट परीक्षण के बाद सीएमओ व नपाध्यक्ष ने ठेकेदार अर्पित शर्मा की फर्म मेसर्स शिवम कंस्ट्रक्शन को भुगतान किया था। जबकि ठेकेदार के खिलाफ गुणवत्ता अनुसार काम नहीं करने या निर्माण कार्य न करने का आरोप है। इसलिए ठेकेदार के खिलाफ आरोप की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना जमानत अर्जी स्वीकार योग्य नहीं होने पर निरस्त की जाती है।
अमानत पर रोक के लिए पार्षदों ने अलग वकील नियुक्त किए
पार्षद नीलम बघेल, सरोज धाकड़, ममता धाकड़, ओम प्रकाश जैन, रघुराज उर्फ राजू गुर्जर, गौरव सिंघल, संजय गुप्ता,कृष्णा जाटव,राजा यादव विजय शर्मा, ताराचंद राठौर, रीना शर्मा, कमला किशन शाक्य, प्रतिभा शर्मा, मीना शर्मा, मोनिका सडैया, रितू जैन व उपाध्यक्ष सरोज व्यास की ओर से अलग वकील पत्र प्रस्तुत किया। आपत्तिकर्ता पार्षदों के दो वकीलों ने जमानत अभी निरस्त कराने तथ्यों के आधार पर तर्क रखें। जबकि ठेकेदार अर्पित शर्मा की जमानत के लिए वकील विजय तिवारी ने पैरवी की। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक गिरजेश खत्री नियुक्त रहे।
अर्पित शर्मा पर 6 अपराध पूर्व के दर्ज
पार्षदों के वकील ने जांच प्रभावित होने की आशंका और हाईकोर्ट से निरस्त याचिका का भी हवाला दिया। वही कोर्ट में बताया कि ठेकेदार के खिलाफ कोतवाली थाने में साल 2014 में आईटी एक्ट के दो सहित दो अन्य अपराध एक अपराध फिजिकल व एक अपराध ग्वालियर के मोहना थाने में दर्ज है। बीएलएस की धारा 318 (4), 316(5), 61(2), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (ए) के अपराध में 16 सितंबर को कोर्ट में सरेंडर किया था।
4.50 करोड़ रु. की फाइलें गायब होने का भी तर्क रखा
पार्षदों की ओर से वकीलों ने तर्क रखा कि एसडीएम को चार बिंदुओं पर जांच करने के निर्देश थे। लेकिन एक ही बिंदु पर जांच हुई है। शेष बिंदुओं पर जांच होना शेष है। एसडीएम के जांच प्रतिवेदन अनुसार 450 करोड़ से अधिक की फाइलें नपा से गायब हैं।
कि एमबी बुक में CMO के आदेश से कार्यों को दर्ज किया था। 25 जुलाई के जांच प्रतिवेदन अनुसार वर्क ऑर्डर 5 फरवरी 2025 का था कार्यपालन यंत्री की मनोहर बागड़ी की अनुशंसा पर लेखा एवं ऑडिट परीक्षण के बाद सीएमओ व नपाध्यक्ष ने ठेकेदार अर्पित शर्मा की फर्म मेसर्स शिवम कंस्ट्रक्शन को भुगतान किया था। जबकि ठेकेदार के खिलाफ गुणवत्ता अनुसार काम नहीं करने या निर्माण कार्य न करने का आरोप है। इसलिए ठेकेदार के खिलाफ आरोप की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना जमानत अर्जी स्वीकार योग्य नहीं होने पर निरस्त की जाती है।
अमानत पर रोक के लिए पार्षदों ने अलग वकील नियुक्त किए
पार्षद नीलम बघेल, सरोज धाकड़, ममता धाकड़, ओम प्रकाश जैन, रघुराज उर्फ राजू गुर्जर, गौरव सिंघल, संजय गुप्ता,कृष्णा जाटव,राजा यादव विजय शर्मा, ताराचंद राठौर, रीना शर्मा, कमला किशन शाक्य, प्रतिभा शर्मा, मीना शर्मा, मोनिका सडैया, रितू जैन व उपाध्यक्ष सरोज व्यास की ओर से अलग वकील पत्र प्रस्तुत किया। आपत्तिकर्ता पार्षदों के दो वकीलों ने जमानत अभी निरस्त कराने तथ्यों के आधार पर तर्क रखें। जबकि ठेकेदार अर्पित शर्मा की जमानत के लिए वकील विजय तिवारी ने पैरवी की। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक गिरजेश खत्री नियुक्त रहे।
अर्पित शर्मा पर 6 अपराध पूर्व के दर्ज
पार्षदों के वकील ने जांच प्रभावित होने की आशंका और हाईकोर्ट से निरस्त याचिका का भी हवाला दिया। वही कोर्ट में बताया कि ठेकेदार के खिलाफ कोतवाली थाने में साल 2014 में आईटी एक्ट के दो सहित दो अन्य अपराध एक अपराध फिजिकल व एक अपराध ग्वालियर के मोहना थाने में दर्ज है। बीएलएस की धारा 318 (4), 316(5), 61(2), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (ए) के अपराध में 16 सितंबर को कोर्ट में सरेंडर किया था।
4.50 करोड़ रु. की फाइलें गायब होने का भी तर्क रखा
पार्षदों की ओर से वकीलों ने तर्क रखा कि एसडीएम को चार बिंदुओं पर जांच करने के निर्देश थे। लेकिन एक ही बिंदु पर जांच हुई है। शेष बिंदुओं पर जांच होना शेष है। एसडीएम के जांच प्रतिवेदन अनुसार 450 करोड़ से अधिक की फाइलें नपा से गायब हैं।