SHIVPURI NEWS - 2200 करोड़ की विवादित उर नदी परियोजना के खिलाफ किसानों ने किया जल सत्याग्रह

Bhopal Samachar

पिछोर। शिवपुरी जिले के पिछोर स्थित लभेडा तिराहे के पास से निकली उर नदी बांध से निकली आधी-अधूरी नहर में भरे बारिश के पानी में खड़े होकर आधा सैकड़ा से अधिक किसानों ने मंगलवार सुबह से धरना प्रदर्शन किया। किसानों की मांग है कि उनके मकानों व जमीन पर कब्जा कर नहर का निर्माण कराया जा रहा है और उनको अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया। ऐसे करीब एक सैकड़ा से अधिक किसान है जो कि पिछले 7 साल से मुआवजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

किसान इस प्रदर्शन से पहले एसडीएम पिछोर ममता शाक्य से मिलने गए थे और उन्होंने जब कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया तो प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा। किसानों ने चेतावनी दी है कि आज तो सांकेतिक रूप से यह प्रदर्शन किया था। अगर मुआवजा नहीं मिला तो जल्द बड़ा आंदोलन करेंगे।

जानकारी के मुताबिक नहर व डैम का निर्माण करने वाले ठेकेदार के लोग मंगलवार को जब नहर का काम करने पहुंचे तो किसान जितेन्द्र लोधी, दीवान सिंह, महेंद्र यादव, महेश, रूपेन्द्र आदि एक जुट होकर पिछोर एसडीएम ममता शाक्य के पास जा पहुंचे और बताया कि हमें अभी तक मुआवजा नहीं मिला और हमारी जमीन व मकानों पर जबरन कब्जा किया जा रहा है।

एसडीएम ने पूरे मामले में जब अनसुनी कर दी तो आधा सैकड़ा किसान आक्रोशित होकर लभेडा तिराहे के पास उर नदी बांध से निकली आधी बनी नहर के पानी में खड़े होकर जल सत्याग्रह कर विरोध प्रदर्शन करने लगे। किसानों का आरोप था कि हमारे गांव से जो नहर निकाली जा रही हैं। उसका निर्माण बेहद घटिया तरीके से किया जा रहा है और वाटर लेवल बिना नहर का निर्माण कार्य रहा है। यह नहर हमारे मकान के स्तर देखे से ऊपर हो निकल रही है। एक तो नहर घटिया होने से पानी का रिसाव हो रहा है जिससे घर डूब में आ रहे हैं और दूसरा नहर के निर्माण के लिए कई मकान बिना मुआवजा के तोड़े जा रहे है। अधिकारी न तो मुआवजा देने को तैयार है ना ही हमारी कोई बात सुन रहे है।

पिछोर विधानसभा क्षेत्र समेत दतिया क्षेत्र के हजारों किसानों की फसलों को सिंचित करने वाली 2200 करोड़ रुपए लागत की उर नदी वृहद सिंचाई परियोजना का काम वर्ष 2018 में शुरू हुआ था और काम शुरू होते ही इस पूरे मामले में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। मुआवजा वितरण को लेकर जो घोटाला हुआ था, उस मामले में जो रिकॉर्ड कलेक्टर कार्यालय में रखे थे, उन रिकॉर्ड को कुछ महीने पहले कलेक्टर कार्यालय में घुसकर कुछ लोगों ने जला दिया था।

 मामले में पुलिस एफआईआर भी हुई थी, लेकिन जांच के नाम पर खानापूर्ति कर पूरे घटनाक्रम को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बता दें कि पिछले कुछ सालों में कई बार इस वृहद सिंचाई परियोजना से संबंधित किसानों के मुआवजे, भूमि अधिग्रहण, घटिया नहर निर्माण को लेकर किसानों व जनप्रतिनिधियों द्वारा जंगी प्रदर्शन हो चुके है।